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दिल्ली में 10वीं फेल युवक बनाने लगा कैंसर की नकली दवा, कभी मेडिकल स्टोर पर करता था काम

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसा गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो कैंसर की नकली दवा बना रहा था। खास बात है कि इस गिरोह का सरगना 10वीं फेल है। वह एक समय दिल्ली के सीलमपुर में मेडिकल स्टोर पर काम करता था। इसी दौरान उसने कैंसर के इंजेक्शन दोबारा भर कर बेचने की साजिश रची। इसके लिए उसने अपने गिरोह में कई लोगों को शामिल किया।

By Shyamji Tiwari Edited By: Shyamji Tiwari Updated: Wed, 13 Mar 2024 05:07 PM (IST)
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दिल्ली में 10वीं फेल युवक बनाने लगा कैंसर की नकली दवा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कीमोथेरेपी की नकली दवाओं का कारोबार करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया। गिरोह का सरगना बागपत का रहने वाला विफिल जैन है। वही डीएलएफ के कैपिटल्स ग्रीन्स औऱ मोती नगर में नकली दवाओं का निर्माण कर रहा था।

4 करोड़ की कीमत नकली दवा बरामद

साउथ सिटी, गुरुग्राम के एक फ्लैट में नीरज चौहान ने नकली कैंसर इंजेक्शन का बड़ा जखीरा जमा कर रखा था।आरोपियों के कब्जे से चार करोड़ रुपये की कीमत की 07 अंतर्राष्ट्रीय और 02 भारतीय ब्रांडों की नकली कैंसर दवाएं बरामद की गईं। फेस्गो की 519 खाली शीशियां और 864 खाली पैकेजिंग बाक्स मिले।

पुलिस के अनुसार आरोपित जिस एंटीफंगल दवा को कैंसर की असली दवाओं की शीशियों में भरते थे वह मुश्किल से 100 रुपये में आती है। भरने के बाद उसे तीन लाख रुपये तक में बेचते थे। उत्तर-पूर्वी जिले से पुलिस टीम ने परवेज नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जो विफिल जैन के लिए खाली शीशियों की व्यवस्था करता था और रिफिल की गई शीशियों की आपूर्ति में शामिल था। 

मेडिकल स्टोर पर करता था काम

विफिल जैन मूल रूप से बागपत का रहने वाला है और दिल्ली के सीलमपुर में बचपन बीता है। वह 10वीं भी पास नहीं है। बुनियादी शिक्षा में असफल होने के बाद सीलमपुर के एक स्थानीय मेडिकल स्टोर पर काम करने लगा। शुरुआत में थोक बाजार से स्थानीय मेडिकल स्टोर्स तक दवाओं की आपूर्ति शुरू की। दो से तीन साल पहले उसने कैंसर के इंजेक्शन दोबारा भर कर बेचने की साजिश रची।

उसने कुछ महंगे इंजेक्शन ब्रांडों को निशाना बनाया। परवेज को खाली शीशियों की व्यवस्था करने के लिए और नीरज को आगे की आपूर्ति के लिए शामिल किया। दोबारा पैकेजिंग बाद वह इन्हें ब्रांड के मुताबिक बाजार में एक से तीन लाख रुपये तक बेचता था।

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