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जानें आखिर क्‍यों दिल्‍ली को अपने लिए लकी मानती थीं श्रीदेवी, कुछ तो खास थी वजह

आज श्रीदेवी की पहली डेथ एनिवर्सरी के अवसर श्रीदेवी की एक वीडियो काफी वायरल हो रही है। जिसे बोनी कपूर ने अपने शादी की 22वीं सालगिराह पर शेयर की थी।

By JP YadavEdited By: Updated: Sun, 24 Feb 2019 09:29 AM (IST)
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जानें आखिर क्‍यों दिल्‍ली को अपने लिए लकी मानती थीं श्रीदेवी, कुछ तो खास थी वजह
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। बॉलीवुड की बेहतरीन अभिनेत्रियों में शुमार श्रीदेवी (Sridevi) को इस दुनिया को अलविदा कहे रविवार (24 फरवरी) को पूरे एक साल हो गए। 24 फरवरी को उनकी पहली पुण्यतिथि (Death Anniversary) है। 

हिंदी फिल्मों के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं में अपने अभिनय को लोहा मनवाने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री श्रीदेवी का 24 फरवरी, 2018 को इस दुनिया से चला जाना उनके प्रशंसकों के लिए बेहद पीड़ादायक रहा। यह अलग बात है कि दुनिया से जाने के बाद श्रीदेवी की यादें लोगों के जेहन में दशकों तक बनी रहेंगी।

बता दें दुबई में 24 फरवरी की रात को एक शादी समारोह के दौरान श्रीदेवी की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। इस शादी में शामिल होने के बाद श्रीदेवी के पति बोनी कपूर और छोटी बेटी खुशी कपूर वापस मुंबई लौट आए थे, लेकिन श्रीदेवी वहीं थी और उन्हें सरप्राइज देने के लिए बोनी अगली दोपहर दुबई पहुंचे थे। इस बीच यह हादसा हो गया।

दिल्ली से था खास लगाव

श्रीदेवी की कई फिल्मों की शूटिंग दिल्ली में हुई है, जिनमें 'चांदनी' का नाम सबसे ऊपर है। जाहिर है श्रीदेवी का दिल्ली आना जाना रहा। फिल्म प्रोडक्शन से जुड़े लोगों के मुताबिक, कुछ साल पहले एक फिल्म की शूटिंग के लिए दिल्ली आईं थीं। इस कड़ी में किसी जानने वाले ने अभिनेत्री श्रीदेवी को बताया कि मुगलों की बेगम चांदनी रात में शाही पालकी में सवार होकर चांदनी चौक जाया करतीं थीं। यहां से बेशकीमती कपड़ों की खरीदारी करतीं थीं। इतना सुनना था कि श्रीदेवी खुद चांदनी चौक का रास्ता तय करने निकल गईं। खुशमिजाजी उनकी खास पहचान थीं और वह अपने आस-पास के लोगों को भी खुश रखने की कोशिश करतीं थीं। उस रात चांदनी चौक से खरीदीं गईं साड़ियां, लहंगे व अन्य कपड़े इस कदर मन भाए कि दिल्ली आने पर वह कई बार इन दुकानों में खरीदार बनीं।

पसंद आया था लहंगे का काम
दिल्ली के जानकार आरवी स्मिथ कहते हैं कि लाल किला समेत पुरानी दिल्ली की हवेलियां श्रीदेवी को भाती थीं। उन्होंने इनके बारे में जानना चाहा तो किसी ने इनके निर्माण की कहानी बताई और स्थान की खासियत से भी रूबरू कराया। बकौल स्मिथ उन्हें कुछ दुकानें इस कदर पसंद आईं कि भविष्य में सालों तक वे यहीं से खरीदरी करतीं थीं। वह बिजली के भी सजावटी सामानों के लिए खान मार्केट की मुरीद थीं।

छतरपुर स्थित शर्मा फर्म से भी श्रीदेवी ने ब्रॉस आइटम, ग्लास सैंडल, ग्लास, झूमर आदि खरीदा था। विक्रेताओं ने बताया कि करीब पांच साल पहले वो खुद उनकी दुकान पर आईं थीं और हर एक सामान खुद चुने थे। उनका व्यवहार फिल्मों में उनके रोल की माफिक भी हंसमुख और मिलनसार था।

दिल्ली को मानती थीं भाग्यशाली

लाइन प्रोड्यूसर रवि सरीन कहते हैं कि श्रीदेवी दिल्ली को अपने लिए लकी मानती थीं। कई बार फिल्मों के सीक्वेंस, डॉयलॉग आदि में दिल्ली का जिक्र उनकी प्राथमिकता होता था। सालों बाद उनकी फिल्म मॉम जब पर्दे पर आई तो वह भी दिल्ली के रंग में रंगी थी।

बदरपुर स्थित सिब्बल सिनेमा के वयोवृद्ध मालिक बिल्लू सिब्बल याद करते हुए बताते हैं कि जब वह मुंबई के एक होटल में श्रीदेवी से मिले थे तब वे 15-16 साल रहीं होंगी। उनकी पहली फिल्म सोलह सावन रिलीज होने वाली थी। वह अपने प्रोड्यूसर के साथ मिलने आई थीं। उस दौरान वे बेहद शांत थीं, ज्यादा बातें नहीं की, लेकिन उनकी पहली फिल्म ने यह साबित कर दिया कि वह बॉलीवुड का सशक्त हस्ताक्षर बनेंगी। पहली फिल्म से ही उन्होंने अपनी पहचान स्थापित कर ली।

कपूर खानदान से करीब से जुड़े सिब्बल बताते हैं कि बोनी कपूर के पिता सुरेंद्र कपूर के वह अच्छे दोस्त थे। बोनी कपूर की पहली शादी में भी वह शामिल हुए थे। इसके बाद श्रीदेवी इस परिवार से जुड़ीं। इस नाते उनसे मिलना होता रहा। नेहरू प्लेस के पारस सिनेमा में प्रबंधक रहे रूप घई बताते हैं कि उनकी अधिकतर फिल्मों ने शानदार कमाई की। चालबाज, मिस्टर इंडिया जैसी फिल्मों ने भी रिकार्ड बनाए। 

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