आजादी की जंग में रेलवे के योगदान की सुनाई जाएगी कहानी, स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े स्टेशनों और ट्रेनों की हो रही पहचान
Azadi Ka Amrit Mahotsav आजादी के अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों की पहचान की जा रही है। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रेलवे स्टेशनों का विशेष तौर पर प्रचार किया जाएगा। इसी तरह से ट्रेनों को भी सुसज्जित करने की तैयारी है।
By Abhishek TiwariEdited By: Updated: Fri, 24 Jun 2022 07:36 AM (IST)
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। Azadi Ka Amrit Mahotsav: आजादी के अमृत महोत्सव की झलक रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में भी दिखेगी। इसके तहत रेलवे ने 'आजादी की रेलगाड़ी और स्टेशन' कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है। इससे आम नागरिक यह जान सकेंगे कि स्वतंत्रता आंदोलन में रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों का क्या योगदान रहा है।
इसके लिए स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों की पहचान की जा रही है। जल्द ही इनकी सूची बनाकर कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा। अगले माह देशभर में रेलवे कार्यक्रम आयोजित करेगा।
स्वतंत्रता सेनानी सुनाएंगे आंदोलन की कहानी
देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रमों में जनभागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों और उनके स्वजन को कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाएगा, ताकि वह स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े प्रसंग लोगों से साझा कर सकें। रेलवे स्टेशनों को सजाने के साथ ही वहां देशभक्ति के गीत बजाए जाएंगे। लाइट एंड साउंड, मल्टीमीडिया और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
स्टेशनों को किया जाएगा प्रचारित
स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रेलवे स्टेशनों का विशेष तौर पर प्रचार किया जाएगा। इसी तरह से ट्रेनों को भी सुसज्जित करने की तैयारी है।कालका मेल का नाम अब नेताजी एक्सप्रेस स्वतंत्रता आंदोलन में ट्रेनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। गोमो, काकोरी, यशवंतपुर, पुरानी दिल्ली सहित कई स्टेशन इसके गवाह हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस सहित अन्य स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन से ही एक शहर से दूसरे शहर पहुंचते थे। उनसे जुड़ी यादों को संजोने की कोशिश रेलवे कर रहा है।
इसी कड़ी में झारखंड के गोमो स्टेशन का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस गोमो रेलवे स्टेशन और कालका मेल का नाम नेताजी एक्सप्रेस कर दिया गया है। इस स्टेशन और ट्रेन से नेताजी का गहरा संबंध रहा है। नेताजी 18 जनवरी, 1941 को अंग्रेजी हुकूमत की आंखों में धूल झोंककर गोमो स्टेशन से कालका मेल में सवार हुए थे। उसके बाद कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आए थे।पहली बार रेल से पुरानी दिल्ली पहुंचे थे बापू
दिल्ली स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र रही थी। इस कारण पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से स्वतंत्रता आंदोलन के किस्सों का जुड़ना स्वाभाविक है। उस समय देश के विभिन्न हिस्सों से स्वतंत्रता सेनानी रेल से यहां पहुंचते थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी पहली बार रेल मार्ग से ही दिल्ली पहुंचे थे। इतिहासकार बताते हैं कि 12 अप्रैल, 1915 की शाम वे पुरानी दिल्ली स्टेशन पहुंचे थे।
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