AAIMS के हॉस्टल में एसी के इस्तेमाल पर रोक, जानें पूरा मामला
ज्यादातर रेजिडेंट डॉक्टर हॉस्टल में ही रहते हैं। कई वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर यहां परिवार के साथ भी रहते हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर गर्मी से राहत के लिए हॉस्टल में एयर कंडीशनर (एसी) का इस्तेमाल नहीं कर सकते, क्योंकि अस्पताल प्रशासन ने हॉस्टल में एसी के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है। गर्मी में आग लगने की घटनाओं से बचाव के लिए ऐसा किया गया है। एम्स प्रशासन ने एसी के इस्तेमाल पर हॉस्टल अधीक्षक को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
एम्स के इस आदेश से गर्मी में रेजिडेंट डॉक्टरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एम्स ने निर्देश में कहा है कि छात्रवास में एसी व ज्यादा लोड वाले अन्य इलेक्टिकल उपकरणों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। इसके मनमाने इस्तेमाल से कमरों में आग लगने की घटनाएं होती हैं, इसलिए हॉस्टल अधीक्षक रेजिडेंट डॉक्टरों को नियम का पालन करने के लिए कहें।
उल्लेखनीय है कि ज्यादातर रेजिडेंट डॉक्टर हॉस्टल में ही रहते हैं। कई वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर यहां परिवार के साथ भी रहते हैं। वे हॉस्टल में एसी का इस्तेमाल करते हैं। एम्स प्रशासन के नए दिशा-निर्देश के बाद यदि सख्ती दिखाई गई तो इस बार गर्मी में रेजिडेंट डॉक्टर एसी का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
वहीं, एम्स में पीएचडी के छात्र रजत प्रकाश द्वारा आत्महत्या के प्रयास के मामले में शोधार्थियों ने गाइड प्रोफेसर डॉ. उर्वशी को निलंबित करने की मांग की है। उन्हें शोध परियोजनाओं से अलग करने को भी कहा है।
बताया जा रहा है कि एम्स प्रशासन ने छात्रों को आश्वासन दिया है कि डॉ. उर्वशी को फिलहाल किसी और पीएचडी छात्र का गाइड नहीं बनाया जाएगा। हालांकि एम्स प्रशासन ने इस बात की पुष्टि नहीं की है।
एम्स में मंगलवार को पूरे दिन गहमागहमी रही। मामले की जांच के लिए गठित कमेटी की लंबी बैठक भी हुई, जिसमें एम्स के यंग साइंटिस्ट यूनियन के प्रतिनिधि को भी शामिल किया गया। यूनियन ने एम्स प्रशासन से मांग की कि उक्त डॉक्टर के नेतृत्व में अभी तीन छात्र पीएचडी कर रहे हैं, उनका गाइड बदला जाए।
इन छात्रों से भी कमेटी पूछताछ कर रही है। यूनियन के चेयरमैन विशाल साहू ने कहा कि एम्स ने कुछ मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया है, लेकिन बैठक में क्या निर्णय लिए गए हैं, उनकी लिखित जानकारी हमारे पास नहीं आई है।
यह बात भी सामने आई है कि कई छात्र मानसिक तनाव के कारण पीएचडी छोड़ चुके हैं। इसलिए डॉ. उर्वशी को शोध परियोजनाओं से हटाया जाए। उनके नेतृत्व में जो छात्र शोध कर रहे हैं, उन्हें लैब के इस्तेमाल की इजाजत दी जाए।