Delhi Pollution: दिल्ली-NCR पहुंचने लगा पराली का धुआं, बुधवार को तीन प्रतिशत रही प्रदूषण में हिस्सेदारी
Delhi Air Pollution दिल्ली-एनसीआर के लोग आम दिनों में भी सामान्य से ज्यादा प्रदूषण का सामना करते हैं लेकिन जाड़े के दिनों में स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है। दिल्ली एनसीआर में प्रमुख तौर पर पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली का धुआं पहुंचना शुरू हो गया है। बुधवार को प्रदूषण में इसकी हिस्सेदारी तीन प्रतिशत रही।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। Delhi Air Pollution : पराली का धुंआ राष्ट्रीय राजधानी पहुंचना शुरू हो गया है। यह बात अलग है कि हवा की दिशा विपरीत होने से अभी तक इसका दिल्ली के प्रदूषण पर बहुत ज्यादा असर नजर नहीं आ रहा।
दिल्ली-एनसीआर के लोग आम दिनों में भी सामान्य से ज्यादा प्रदूषण का सामना करते हैं, लेकिन जाड़े के दिनों में स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है। जाड़े में हवा की रफ्तार बेहद कम होती है और तापमान में गिरावट से प्रदूषक कण ज्यादा देर वातावरण में रहते हैं।
इसके अलावा अक्टूबर और नवंबर में पराली का धुआं भी लोगों का दम घोंटता है। खासतौर पर पंजाब और हरियाणा में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए तमाम कदम उठाए जाते हैं, लेकिन इस पर रोक लगाना मुश्किल साबित होता रहा है।
इस साल भी अब तक छह राज्यों में पराली जलाने की 1900 से ज्यादा घटनाएं हुईं हैं। पंजाब में पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आईं हैं।
सफर (सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) द्वारा जारी एक अक्टूबर से अब तक का आकलन बताता है कि पराली जलाने की घटनाएं 15 सितंबर से ही शुरू हो गई थी।
पिछले साल की तुलना में इस बार पराली जलाने के मामले अधिक सामने आ रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिन दिल्ली के लिए अधिक प्रदूषित हो सकते हैं।
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11 अक्टूबर से दिल्ली पहुंचने लगा पराली का धुंआ
इस आकलन के अनुसार एक अक्टूबर से 11 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की घटनाएं पड़ोसी राज्यों में अधिक हुई है। आठ और नौ अक्टूबर को 200 से अधिक पराली की घटनाएं सामने आई।
वहीं सात से 10 अक्टूबर के बीच हवाओं की वजह से पराली का धुंआ राजधानी नहीं पहुंच रहा था, लेकिन 11 अक्टूबर से पराली का धुंआ राजधानी पहुंचना शुरू हो गया है।
पिछले साल पराली ने नौ अक्टूबर से दिल्ली को प्रदूषित करना शुरू कर दिया था। नौ अक्टूबर को यहां पराली प्रदूषण तीन प्रतिशत और 10 और 11 अक्टूबर को यह दो प्रतिशत रहा।
28 अक्टूबर के बाद पराली के धुएं की वजह से राजधानी काफी प्रदूषित होने लगी थी। यह प्रदूषण 21 से 26 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
नवंबर के पहले हफ्ते में रहता है सर्वाधिक प्रदूषण
2015 से 2022 तक के आकलन के अनुसार पराली जलाने का सर्वाधिक प्रदूषण नवंबर के पहले हफ्ते में रहता है। यानी चार से छह नवंबर के बीच यह सर्वाधिक रहता है।
डॉ. गुफरान बेग, सफर के परियोजना निदेशक रहे विज्ञानी