Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

शिक्षा को समावेशी बनाने पर एकमत हैं छात्र संगठन, व्यापारीकरण के खिलाफ एकजुट होने पर दिया गया बल

दिल्ली विश्वविद्यालय में जागरण संवादी कार्यक्रम के पहले दिन के अंतिम सत्र में ‘छात्र राजनीति और भारत’ विषय पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय मंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के दिल्ली अध्यक्ष आशीष लांबा और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) दिल्ली के अध्यक्ष अभिज्ञान ने विचार रखे। छात्र नेताओं से लेखक नवीन चौधरी ने चर्चा की।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Fri, 13 Sep 2024 03:48 PM (IST)
Hero Image
जागरण संवादी कार्यक्रम के पहले दिन के अंतिम सत्र में ‘छात्र राजनीति और भारत’ विषय पर चर्चा हुई।

उदय जगताप, नई दिल्ली। शिक्षा का व्यापारीकरण विद्यार्थियों के सामने चुनौती है। इससे निपटने के लिए सभी को साथ आना जरूरी है, जिससे विश्वविद्यालयों में लोकतंत्र कायम रहे और छात्र हितों की बात होती रहे। विद्यार्थियों की सक्रियता विश्वविद्यालयों तक सीमित न रहकर पूर्व में स्वाधीनता आंदोलन, आपातकाल और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलनों में बनी रही और आगे भी इसका जारी रहना जरूरी है। 

जागरण संवादी कार्यक्रम के पहले दिन के अंतिम सत्र में ‘छात्र राजनीति और भारत’ विषय पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय मंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के दिल्ली अध्यक्ष आशीष लांबा और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) दिल्ली के अध्यक्ष अभिज्ञान ने विचार रखे। छात्र नेताओं से लेखक नवीन चौधरी ने चर्चा की। 

डूसू चुनाव में अधिक खर्च पर लगे रोक

एबीवीपी नेता याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा, "छात्र राजनीति नहीं, छात्र एक्टिविज्म है। जब यवनों का आक्रमण हुआ था तो राजाओं के बजाय विद्यापीठ के छात्रों ने मुकाबला किया था। आंध्र प्रदेश में लाल क्रांति ने खूनी खेल खेला तो छात्र शक्ति ने ही रोका था। वाम छात्र संगठन फलस्तीन की बात करते हैं, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा पर नहीं बोलते। एबीवीपी 140 करोड़ भारतीयों की बात करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हर भाषा को बढ़ाने काम किया है। शिक्षा में निजीकरण राक्षस के तौर पर बढ़ रहा है। डूसू चुनाव उत्सव है, लेकिन इसमें अधिक खर्च रुकना चाहिए।"

लिंगदोह की सिफारिशें लागू होने से रुकेगा खर्च

एनएसयूआई नेता आशीष लांबा ने कहा, "नीट पेपर लीक हो या छात्र हित के दूसरे मुद्दे, एनएसयूआई सदैव छात्रों के साथ खड़ा रहा है। फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर हम डूसू चुनाव लड़ रहे हैं। विश्वविद्यालय में लोकतंत्र खत्म हो रहा है, प्रदर्शन से पहले अनुमति लेनी पड़ती है। डूसू चुनाव में अधिक खर्च तभी रुकेगा, जब लिंगदोह की सिफारिशें सख्ती से लागू होंगी।"

डीयू में फीस बढ़ोतरी पर डूसू मौन

आइसा नेता अभिज्ञान ने कहा, "विश्वविद्यालय के छात्र मजदूर, आदिवासी, महिलाओं और दलितों की बात करते हैं। हमारे लिए भारत की यही परिभाषा है। डूसू चुनाव में धनबल चल रहा है और उसमें हम पीछे हैं, तो इसमें शर्म की बात नहीं है। डीयू में लगातार फीस बढ़ रही है और डूसू मौन है।"

यह भी पढ़ेंः उपन्यासों में देश की गरीबी व उत्पीड़न की झलक ही क्यों? पढ़ें क्या बोले- प्रसिद्ध कथाकार सच्चिदानंद जोशी

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर