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New Laws: डीयू की लॉ फैकल्टी में विद्यार्थी पढ़ सकेंगे तीनों नए कानून, सिलेबस में किए जाएंगे शामिल

दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के सिलेबस में तीनों नए कानूनों को शामिल किया जाएगा। इसके लिए अकादमिक परिषद की बैठक होगी। इसमें मुहर लगने के बाद लॉ फैकल्टी में विद्यार्थी तीनों नए कानून के बारे में पढ़ सकेंगे। इसे पहले और दूसरे सेमेस्टर में क्रिमिनल लॉ के तहत पढ़ाया जाएगा। इन नए कानूनों को आइपीसी के स्थान पर पढ़ाया जाएगा।

By uday jagtap Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 08 Jul 2024 08:10 AM (IST)
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New Laws: डीयू के पाठ्यक्रम में नए कानून शामिल किए जाएंगे। फोटो- जागरण

उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय में एक जुलाई को लागू हुए तीनों नए कानून पढ़ाना शुरू किया जाने वाला है। डीयू की 12 जुलाई को प्रस्तावित अकादमिक परिषद की बैठक में इनको पढ़ाने का प्रस्ताव लाया जाएगा। इसके पास न होने की कोई संभावना नहीं है।

27 जुलाई को कार्यकारी परिषद की बैठक में मुहर लगते ही इन्हें क्रिमिनल लॉ के तहत पढ़ाना शुरू कर दिया जाएगा। भारत सरकार ने एक जुलाई को भारतीय न्याय संहिता (2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (2023) को लागू किया है।

सिलेबस किया जाएगा शामिल

अब दिल्ली विश्वविद्यालय इन्हें अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रहा है। इसे पहले और दूसरे सेमेस्टर में क्रिमिनल लॉ के तहत पढ़ाया जाएगा। इससे पहले भारतीय दंड संहिता (आइपीसी 1860), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी 1973) और इंडियन एविडेंस एक्ट (1872) को पढ़ाया जा रहा था।

अब आइपीसी के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम को पढ़ाया जाएगा। डीयू के क्रिमिनल लॉ के सहायक प्रोफेसर मेघराज ने कहा, नए कानूनों को पाठ्यक्रम में शामिल करना स्वागत योग्य कदम है।

ऐसा करने वाला देश का पहला संस्थान होगा डीयू

डीयू की स्थापना के वक्त से विधि संकाय में इन्हें पढ़ाया जा रहा है। इनमें जो बदलाव हुए हैं, उनके अनुरूप पाठ्यक्रम को बदला जाता रहा है। डीयू भारत का पहला ऐसा संस्थान होगा जहां तीनों कानूनों के लागू होने के फौरन बाद क्रिमिनल लॉ के तहत इन्हें पढ़ाना शुरू किया जाएगा।

डीयू का विधि संकाय देश के अग्रणी संकायों में से एक है। यह हमेशा कानून के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। नवीनतम जानकारियों के साथ विद्यार्थियों को शिक्षित करता है। उन्होंने कहा कि तीनों कानून नए परिवर्तन के लिए बनाए गए हैं। हालांकि, आइपीसी में 377 प्रकृति विरुद्ध अनाचार को हटाया गया है। इसको लेकर स्पष्टता नहीं है।

इससे कुकर्म और ट्रांसजेंडर के साथ होने वाले यौन अपराधों के मामलों में परेशानी हो सकती है। इसको लेकर स्पष्टता की जानी चाहिए। पहले यह दंडनीय था और जानवरों के साथ यौन अपराध करने पर इसके तहत मुकदमे दर्ज किए जाते थे।

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