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जानिए, दिल्‍ली पुलिस की छवि सुधारने के लिए क्‍या-क्‍या जतन करते हैं 'जिले सिंह' और 'नफे सिंह'

संता-बंता की तर्ज पर सुमित ने अपने व्यंग्य लिखने के लिए जिले सिंह और नफे सिंह जैसे कैरेक्टर तैयार किया है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sat, 05 May 2018 08:45 AM (IST)
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जानिए, दिल्‍ली पुलिस की छवि सुधारने के लिए क्‍या-क्‍या जतन करते हैं 'जिले सिंह' और 'नफे सिंह'

नई दिल्ली [ निहाल सिंह ] । अक्सर पुलिस की वर्दी में आपने पुलिस वालों को डराते हुए और धमकाते हुए देखा होगा, लेकिन दिल्ली पुलिस में एक ऐसा भी पुलिस वाला भी है जो डराता नहीं हंसाता है। इसकी तमन्ना अपनी प्रतिभा के जरिए दिल्ली पुलिस की छवि को ठीक करना है। पुलिस वालों का दर्द हो या फिर समाज की बुराई का कोई मुद्दा लोगों के सामने अपने व्यंग्य और काव्य के जरिए सकारात्मक रूप से पेश करना इनकी लेखनी में शामिल है।

हम बात कर रहे हैं दिल्ली पुलिस में हवलदार के पद पर तैनात सुमित प्रताप सिंह। वह इस समय राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में तैनात है। पुलिस कीे नौकरी के साथ सुमित को कविताएं एवं व्यंग्य लिखने का शौक है। सुमित बताते हैै कि जब वह दिल्ली पुलिस वर्ष 2001 में तैनात हुए तो उस जो ट्रेनिंग में हुआ उसको व्यंग्य के रूप में उन्होंने पेश किया।

जिले सिंह और नफे सिंह की होती है चर्चा

संता-बंता की तर्ज पर सुमित ने अपने व्यंग्य लिखने के लिए जिले सिंह और नफे सिंह जैसे कैरेक्टर तैयार किया है। सके जरिए वह समाज की बुराईयों को लेकर चर्चा करते हैै। इस कैरेक्टर के आपसी संवाद के जरिए वह समाज की हर बुराई को सामने रखते हैं। सुमित बताते हैं कि दिल्ली पुलिस में जवानों के नाम जिले सिंह और नफे सिंह ज्यादा होते है, जिसके तहत वह भ्रष्टाचार से लेकर असहिष्णुता जैसे विषयों पर व्यंग्य लिखते है।

'पुलिस की ट्रेनिंग, मुसीबतों की रेनिंग नाम की पुस्तक में पुलिस पर आधारित हास्य एवं मनोरंजक कविताएं थी। इसके बाद 'व्यंग्यस्ते' नाम का व्यंग्य संग्रह लिखा। नमस्ते की तर्ज पर व्यंग्य का अभिवादन करने के लिए व्यंग्यस्ते नाम की पुस्तक काफी चर्चित हो गई।

पाकिस्तान को लोग व्यंग्य की भाषा में पापस्ते, भ्रष्ट नेताओं के लिए घोटालस्ते जैसे शब्दों को कोड वर्ड के रूप में बना दिया। सुमित कहते है कि अक्सर लोग पुलिस के लिए बेईमान, भ्रष्ट और न जाने किस किस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हैं, जबकि पुलिस में सभी लोग ऐसे नहीं होते।

एक गंदी मछली की वजह से पूरा तालाब गंदा हो गया, जिसकी छवि सुधारने का प्रयास वह कर रहे हैं। क्योंकि एक पुलिस वाले की भी भावनाएं होती है, उसका भी परिवार होता है। लेकिन जब कवि सम्मेलन से लेकर हास्य सम्मेलनों मेें पुलिस का मजाक बनाया जाता है तो पुलिसकर्मियों के परिवार और उनके बच्चों को भी दुख होता है।

इसलिए इस छवि को सुधारने के लिए 'सावधान पुलिस मंच पर है' कविता संग्रह लिखा। इसमें कविता के जरिए पुलिसकर्मी की भावनाओं को बताया गया है। 'छठा आरोप पुलिस के शहीदों ने लगाया'  उन्होंने कहा कि इसमें एक शहीद पुलिस वाले की आत्मा किस प्रकार मंच के कवि को लेकर सोचती है उस पर व्यंग्य किया गया है।

दिल्ली पुलिस के कार्यक्रमों में रहती है मांग

पुलिस पर सकारात्मक व्यंग्यों के जरिए सुमित की दिल्ली पुलिस के कर्मियों में भी मांग रहती है। उन्होंने बताया कि किरण बेदी ने दिल्ली में ज्वाइंट सीपी रहते हुए उनकी प्रतिभा की सरहाना की थी। इससे उनका मनोबल बढ़ा और वह पुस्तक लेखन में ज्यादा सक्रिय हो गया। पुलिस के अपने कार्यक्रम में दिल्ली पुलिस कर्मी उन्हें सुनने की मांग भी करते हैं। उन्होंने बताया कि व्यंग्य के लिए वह फेसबुक पर सुमित के तड़के नाम से व्यंग्य लिखकर मुद्दों को भी उठाते हैं।

प्रकाशित पुस्तके

1- पुलिस की ट्रेनिंग, मुसीबतों की रेनिंग (कविता संग्रह)

2- व्यंग्यस्ते (व्यंग्य संग्रह)

3- नो कमेंट (व्यंग्य संग्रह) 

4- सावधान! पुलिस मंच पर है (कविता संग्रह) 

5- सहिष्णुता की खोज (व्यंग्य संग्रह)

6- ये दिल सेल्फिय़ाना (व्यंग्य संग्रह)

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