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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से खुला वार्ड कमेटी और स्थायी समिति के गठन का रास्ता, जानिए एल्डरमैन के क्या हैं अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से वार्ड कमेटी और स्थायी समिति के गठन का रास्ता साफ हो गया है। अब महापौर के आदेश के बाद अगले कुछ सप्ताह में वार्ड कमेटी के चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है। फिर स्थायी समिति के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव की प्रक्रिया होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को भाजपा अपने पक्ष में मान रही है।

By Nihal Singh Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 05 Aug 2024 08:44 PM (IST)
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सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से खुला वार्ड कमेटी और स्थायी समिति के गठन का रास्ता।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त मनोनीत सदस्य (एल्डरमैन) पर मोहर लगाने से वार्ड कमेटी से लेकर स्थायी समिति के गठन का रास्ता खुल गया है। अब महापौर के आदेश के बाद अगले कुछ सप्ताह में वार्ड कमेटी के चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है। इसके बाद द्वारका बी से पार्षद कमलजीत सहरावत के इस्तीफे से रिक्त हुए स्थायी समिति के सदस्य के एक सदस्य का चुनाव होगा।

फिर स्थायी समिति के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव की प्रक्रिया होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को भाजपा अपने पक्ष में मान रही है और उसका दावा है कि उन्हीं का पार्षद ही स्थायी समिति का चेयरमैन बनेगा। हालांकि आप सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से सहमत नहीं है और उसने इस निर्णय को चुनौती देने की बात कहते हुए स्थायी समिति का चुनाव जीतने का भी दावा किया है।

स्थायी समिति के गठन से होगा फायदा

वार्ड कमेटियों व स्थायी समिति के गठन से दिल्ली को फायदा होगा। साथ ही लंबित पड़े हुए विकास कार्यों को भी शुरू किया जा सकेगा। पांच करोड़ से ज्यादा राशि की परियोजनाओं को मंजूरी मिल सकेगी। साथ ही एजेंसी के चयन के लिए लंबित कार्यों को भी पूरा किया जा सकेगा। अभी वार्ड कमेटियो के गठन न होने के कारण स्थानीय स्तर पर निगम के कार्यों की निगरानी नहीं हो पा रही है। साथ ही लोगों की समस्या पर सीधा काम नहीं हो पा रहा है।

भाजपा के पक्ष में जाने की संभावना

इतना ही नहीं, वार्ड कमेटियों के गठन न होने से स्थायी समिति का गठन भी नहीं हो पा रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से इन 12 वार्ड कमेटियों और स्थायी समिति का गठन संभव हो पाएगा। 10 सदस्यों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट की मोहर लगने से भाजपा को इससे फायदा होगा, क्योंकि एल्डरमैन को वार्ड कमेटी में वोटिंग का अधिकार है। इससे अगर, न केवल वार्ड कमेटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव प्रभावित होगा। बल्कि स्थायी समिति के लिए तीन सदस्यों का गणित भाजपा के पक्ष में जाने की संभावना है।

कितनी महत्वपूर्ण है स्थायी समिति

- स्थायी समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं। इसमें से छह सदस्यों का निर्वाचन सदन के सदस्यों द्वारा होता है। जबकि शेष 12 सदस्यों का चुनाव 12 वार्ड कमेटी से होता है। प्रत्येक वार्ड कमेटी से एक-एक सदस्य वार्ड संबंधित वार्ड कमेटी के पार्षद और एल्डरमैन चुनते हैं। 

- पांच करोड़ से ऊपर की राशि की परियोजनाओं को मंजूरी स्थायी समिति से ही मिलती है।

- निगम द्वारा पांच करोड़ से ऊपर की राशि के किए गए टेंडर पर (रेट एंड एजेंसी) यानि किस एजेंसी को टेंडर देना है और किस रेट पर देना है इसका अधिकार है। 

- ले आउट प्लान पास करने का अधिकार केवल निगम की स्थायी समिति को होता है -निगमायुक्त जब बजट पेश करते हैं तो उसको संशोधन करने का अधिकार भी स्थायी समित का होता।

-निगमायुक्त को छुट्टी भी स्थायी समिति से लेनी होती है।

- स्थायी समिति का चुनाव निगम सदन के गठन के बाद होता है। इसमें प्रत्येक वर्ष चुनाव का प्रविधान है -स्थायी समिति के सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष का होता है। हालांकि प्रत्येक वर्ष चुने हुए एक तिहाई सदस्य पहले वर्ष में ड्रा के द्वारा बाहर हो जाते हैं फिर शेष सदस्य दो साल कार्यकाल पूरा होते ही बाहर हो जाते हैं। 

क्यों महत्वपूर्ण है वार्ड कमेटी 

-दिल्ली नगर निगम में 12 वार्ड कमेटियां है।

-प्रत्येक वार्ड कमेटी में प्रत्येक वर्ष चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का चुनाव होता है।

-वार्ड कमेटियों की बैठक पाक्षिक तौर पर होती है जिसमें संबंधित पार्षद अपने मुद्दे उठाते है -वार्ड कमेटी के चेयरमैन क्षेत्रीय उपायुक्त को किसी भी कार्य से संबंधित रिपोर्ट मांग सकते हैं और एक्शन टेकन रिपोर्ट भी मांग सकते हैं।

-निगमायुक्त द्वारा पेश किए गए बजट को पहले वार्ड कमेटी अपने सुझाव देती है, जिसे वह स्थायी समिति को भेजती है। 

क्या होता है एल्डरमैन और उनके अधिकार

-10 ऐसे व्यक्ति जिन्हें निगम के प्रशासन का अनुभव है उपराज्यपाल इन व्यक्ति को एल्डरमैन के तौर पर नियुक्त कर सकते हैं। 

-इनका कार्यकाल उस समय तक होता है जब तक कि नए सिरे से सदन का गठन पांच वर्ष के चुनाव नहीं हो जाता।

-एल्डरमैन निगम की वार्ड कमेटी में भी हिस्सा ले सकते हैं बतौर विशेषज्ञ अपनी राय भी रख सकते हैं।

-एल्डरमैन को वार्ड कमेटी के डिप्टी चेयरमैन और स्थायी समिति के डिप्टी चेयरमैन पर नामांकन करने का अधिकार है।

-एल्डरमैन वार्ड कमेटी में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के साथ ही यहां से चुने जाने वाले स्थायी समिति के सदस्य के लिए मतदान कर सकते हैं।

-सदन में एल्डरमैन को किसी प्रस्ताव या फिर महापौर व उप महापौर के चुनाव का अधिकार नहीं होता है।

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