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दिल्ली नागरिक सरकारी बैंक घोटाले में बढ़ सकती हैं कई लोगों की मुश्किलें, दोबारा होगी जांच

लोन बांटने के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) को दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Mon, 25 Nov 2019 10:27 AM (IST)
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दिल्ली नागरिक सरकारी बैंक घोटाले में बढ़ सकती हैं कई लोगों की मुश्किलें, दोबारा होगी जांच
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक में फर्जी दस्तावेजों व इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) के आधार पर करोड़ों के लोन बांटने वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लोन बांटने के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) को दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ ने जब आरबीआइ की सीलबंद रिपोर्ट को खोला तो पाया कि मामले की जांच शिकायतकर्ता की शिकायत के हिसाब से नहीं की गई।

पीठ ने पहली जांच से असंतुष्टि जाहिर की और निर्देश दिया कि मामले की जांच पूरी कर एक्शन टेकन रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में 25 मई 2020 तक पेश की जाए।

 2016 में दाखिल की गई थी याचिका

दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक के सदस्य व याचिकाकर्ता अनिल कुमार गौर ने 2016 में अधिवक्ता राजेश श्रीवास्तव के माध्यम से याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का आरोप है कि सहकारी बैंक में लोन देने के नाम पर 2011 से 2014 के बीच करीब 50 करोड़ का घोटाला हुआ। उन्होंने इस संबंध में आरबीआइ से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने याचिका दायर की।

दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक द्वारा वर्ष 2011 से 2014 के बीच फर्जी दस्तावेज और आइटीआर के आधार पर लोन जारी किया गया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि सरकारी नौकरी के फर्जी दस्तावेज के आधार पर भी लोन दिए गए। कुछ लोगों ने शिक्षक होने का दावा करके लोन लिया, जोकि बाद में जांच में पता चला कि वे सरकारी शिक्षक नहीं हैं। मामले से जुड़ी 96 फाइल बैंक से होने की जानकारी मिलने पर हाई कोर्ट के निर्देश पर वर्ष 2011 से 2014 तक सभी रिकॉर्ड सीज करा दिए गए।

सहकारी बैंक के सीईओ को हटाने तक का हुआ है आदेश

अनिल कुमार गौर ने बताया कि 30 अक्टूबर 2019 को रजिस्ट्रार ऑफ कॉपरेटिव सोसायटी ने आरबीआइ को दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक में हुई वित्तीय अनियमितता को लेकर पत्र लिखा है। एडिशनल रजिस्ट्रार रंजीत सिंह ने गंभीर आरोपों को देखते हुए वर्तमान सीईओ को हटाकर किसी अन्य उपयुक्त को नियुक्त करने को कहा है। पत्र में एडिशनल रजिस्ट्रार ने आरबीआइ को लिखा कि हाल में ही चर्चा में पंजाब महाराष्ट्र कॉरपोरेशन बैंक की स्थिति को देखते हुए पूरे मामले जांच के लिए एक अधिकारी तैनात किया जाए।

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