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'सबकुछ हवाबाजी है...', बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूछे ताबड़तोड़ सवाल, अधिकारी नहीं दे पाए माकूल जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण पर चिंता जताई है। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में कई सवाल पूछे जिसका अधिकारी माकूल जवाब नहीं दे पाए। कोर्ट ने कहा कि कानून के एक भी प्रावधान का पालन नहीं किया गया है।

By Sonu Suman Edited By: Sonu Suman Updated: Fri, 27 Sep 2024 04:00 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने को रोकने के लिए सीएक्यूएम द्वारा उठाए गए कदमों पर की सुनवाई।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को रोकने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा उठाए गए कदमों पर असंतोष व्यक्त किया। कोर्ट ने प्रदूषण रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों के बारे में कई सवाल पूछे, जिसका अधिकारी माकूल जवाब नहीं दे पाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 18 अक्टूबर मुकर्रर की।

बता दें, पराली जलाए जाने के कारण हर साल सर्दियों में दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रहे थे।

कोर्ट में जस्टिस और वकील के बीच बहस की मुख्य बातें:

  • जस्टिस अभय ओका: कानून के एक भी प्रावधान का पालन नहीं किया गया है।
  • जस्टिस ओका ने ऑनलाइन पेश हुए सीएक्यूएम अध्यक्ष से पूछा: क्या आपने सीएक्यूएम एक्ट की धारा 11 के तहत समितियों का गठन किया है?
  • अध्यक्ष: हां, वे हर 3 महीने में मिलते हैं।
  • जे ओका: क्या यह पर्याप्त है? आज हम एक गंभीर समस्या के मुहाने पर खड़े हैं।
  • जे ओका: सेक्शन 12 के तहत कितने निर्देश पारित किए गए हैं? इसको लागू करने के लिए समिति ने क्या कार्रवाई की है?
  • अध्यक्ष: 82 निर्देश पारित किए गए हैं।
  • जे ओका: क्या किसी निर्देश से समस्या का समाधान निकल पाया है? हर साल यही होता है। प्रदूषण की गंभीर समस्या है। क्या इसमें कमी आ रही है?
  • जे ओका: क्या इसमें समय के साथ कमी आ रही है या बढ़ रही है?
  • अध्यक्ष: पंजाब और हरियाणा में पराली में आग लगाने की घटनाओं में कमी आ रही है।
  • बेंच: क्या आदेशों का पालन न करने वाले किसी अधिकारी के खिलाफ CAQM अधिनियम की धारा 14 के तहत कोई कार्रवाई की गई है?
  • ASG ऐश्वर्या भाटी: नहीं
  • जे ओका: प्राधिकरण का गठन 3 साल पहले हुआ है, इसलिए आपका कहना है कि सभी आदेशों का पालन नहीं हो पाया है। जब तक इसके लागू नहीं करने पर धारा 14 के तहत कार्रवाई नहीं करते, तब तक निर्देश कागज पर ही रहेंगे।
  • एएसटी: धीरे-धीरे आगे बढ़ना और एक-दूसरे के सहयोग से बेहतर काम होता है। पराली जलाना मुश्किल है, लेकिन प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों आदि के संबंध में हमने सख्त कार्रवाई की है।
  • जे ओका: नवंबर में शुरू होने वाले प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
  • एएसजी: कई कारण हैं। कभी-कभी एक कारण गंभीर हो जाता है। अब दिल्ली की भौगोलिक स्थिति के कारण हवाएं हरियाणा की तरफ से आती हैं और उसी समय पराली जलाना शुरू हो जाता है।
  • जे ओका: यदि आपके अनुसार भी पराली जलाना समस्या है तो आपने इसके लिए क्या उपाय किए हैं?
  • एएसजी ने सीएक्यूएम के निर्देश संख्या 80 की ओर इशारा किया। 
  • जे ओका: कमिश्नर का रवैया देखिए। कहते हैं कि हम कोई कार्रवाई नहीं करेंगे, कार्रवाई सरकार पर छोड़ दीजिए। आपने जो संकेत दिया है, उससे लगता है कि आप निर्देश जारी करते रहेंगे, बैठकें करते रहेंगे और अंततः कोई काम नहीं होगा।
  • जस्टिस एजी मसीह: पूरी फसल एक बार में ही तैयार हो जाती है। किसान चाहते हैं कि धान को तुरंत हटा दिया जाए ताकि वे इसे अगली फसल के लिए तैयार कर सकें। बड़े हार्वेस्टर में डंठल का निचला हिस्सा छोड़ दिया जाता है। उस काम के लिए मशीनों की संख्या कम है। तो यह एक और मुद्दा है।
  • जे ओका: मेरे विद्वान भाई कह रहे हैं कि पराली जलाने के लिए कोई प्रभावी और कुशल विकल्प होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयोग की स्थापना वायु गुणवत्ता सूचकांक और उससे जुड़ी समस्याओं के बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान के उद्देश्य से की गई है। आयोग द्वारा रिकॉर्ड में कई रिपोर्ट दर्ज की गई हैं, इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की है। हालांकि, एमिकस का यह कहना सही है कि आयोग ने उस तरह से काम नहीं किया है जैसा उससे अपेक्षित था, क्योंकि आयोग की स्थापना जिस उद्देश्य से की गई थी, उसे देखते हुए आयोग ने वैसा प्रदर्शन नहीं किया है।

उपकरणों का जमीनी स्तर पर हो उपयोग: सुप्रीम कोर्ट

आयोग द्वारा निपटाए जाने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक पराली जलाने का मुद्दा है। यह बात रिकॉर्ड में लाई गई है कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए पैसे से किसानों को कुछ उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। इन उपकरणों का उपयोग पराली जलाने के विकल्प के रूप में किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रयास किए जाने की आवश्यकता है कि उपकरणों का वास्तव में जमीनी स्तर पर उपयोग हो। आयोग को अस्तित्व में आए तीन साल से अधिक हो गए हैं और आयोग द्वारा धारा 12(1) के तहत अब तक बमुश्किल 85 से 87 निर्देश जारी किए गए हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने उप-समिति को महत्वपूर्ण कार्य सौंपे

निर्देशों का पालन न किए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। संभवतः अधिनियम की धारा 14 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। आज वीसी के माध्यम से उपस्थित अध्यक्ष ने कहा कि धारा 11 की उपधारा एक में उल्लिखित समितियां हर तीन महीने में केवल एक बैठक कर रही हैं। निगरानी और पहचान संबंधी उप समिति और सुरक्षा और लागू करने संबंधी उप समिति को महत्वपूर्ण कार्य सौंपे गए हैं।

हम आयोग को निर्देश देते हैं कि वह अधिनियम के प्रावधानों को लागू करें। आयोग न केवल प्रावधानों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों बल्कि समितियों की सिफारिशों और आयोग द्वारा जारी निर्देशों को दर्ज करते हुए एक बेहतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करे। उक्त रिपोर्ट पर विचार करने के लिए याचिका को गुरुवार को सूचीबद्ध करें।

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