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कैदियों की रिहाई में क्यों रोड़ा बने केजरीवाल? अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा केस, क्या है पूरा मामला

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के कारण राष्ट्रीय राजधानी की जेलों में बंद दोषियों की सजा माफी याचिकाओं पर विचार करने में देरी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि जेल में होने की वजह से वह फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं कर पाए थे। जानिए पूरी खबर विस्तार से।

By Agency Edited By: Sonu Suman Updated: Fri, 06 Sep 2024 03:37 PM (IST)
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केजरीवाल के हस्ताक्षर नहीं होने से कैदियों की रिहाई अटकी।
आईएएनएस, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी की जेलों में बंद दोषियों की सजा माफी याचिका पर विचार करने में हो रही देरी को बरकरार रखा। दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद आबकारी नीति घोटाला मामले में जेल में हैं। इस कारण वह आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते। इस वजह से इन कैदियों की रिहाई में देरी हो रही है।

जस्टिस अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि क्या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब सीबीआई द्वारा हिरासत में लिए गए, तब उनके पास किसी प्रकार का प्रतिबंध आदेश था, जिस कारण वह दोषियों की समयपूर्व रिहाई से संबंधित फाइलों को निपटाने में सक्षम नहीं थे। न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह को बताया गया कि मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर न होने के कारण कैदियों की रिहाई की फाइलें एलजी कार्यालय को नहीं भेजी जा सकी है।

अनुच्छेद 142 के तहत शक्ति का कर सकते हैं इस्तेमाल: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी की स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित फाइल को मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के अभाव में रोका नहीं जा सकता है। शीर्ष अदालत ने सुझाव दिया कि वह पूर्ण न्याय करने के लिए अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करने में संकोच नहीं करेगी। 

प्रक्रिया के अनुसार, दिल्ली सरकार दोषियों को समय से पहले जेल से रिहा करने की सिफारिश करती है और उसके बाद उस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए एलजी को भेजा जाता है। किसी कैदी की याचिका एलजी तक पहुंचने से पहले फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर होने जरूरी हैं।

जमानत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

बता दें, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीएम केजरीवाल की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसमें उन्होंने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और जमानत की मांग की थी। ईडी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 12 जुलाई को मामला दर्ज किया था। 

सीबीआई की गिरफ्तारी की वजह से जेल से नहीं आ सके बाहर

इस बीच, 26 जून को उसी शराब नीति घोटाले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से वह जेल से बाहर नहीं आ सके थे। केजरीवाल को दिल्ली के सीएम पद से हटने पर फैसला लेने के सवाल पर कोर्ट ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल एक निर्वाचित नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। यह एक महत्व और प्रभाव रखने वाला पद है। इस पर हम कोई निर्देश नहीं दे सकते हैं। अदालत किसी निर्वाचित नेता को पद छोड़ने या मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में काम नहीं करने का निर्देश दे सकती है। यह फैसला हम अरविंद केजरीवाल पर छोड़ते हैं।

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