Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

रैपिड ट्रेन प्रोजेक्ट के 415 करोड़ न देने पर दिल्ली सरकार को 'सुप्रीम' फटकार, SC ने कहा- अदालत को हल्के में न लें

रैपिड ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए पैसा न दिये जाने पर दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि यही एक रास्ता रह गया है कि आप सुनें। आप ये नहीं कह सकते कि दो महीने नहीं तीन महीने लगेंगे। आप इस अदालत को हल्के में नहीं ले सकते। बता दें कि दिल्ली सरकार को प्रोजेक्ट के लिए 415 करोड़ रुपये का भुगतान करना है।

By Jagran NewsEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Tue, 21 Nov 2023 07:13 PM (IST)
Hero Image
रैपिड ट्रेन प्रोजेक्ट के 415 करोड़ न देने पर दिल्ली सरकार को 'सुप्रीम' फटकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम (RRTS) प्रोजेक्ट के लिए पैसा न दिये जाने पर दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कोर्ट को दिये वचन की अवहेलना कर रहे हैं। एक सप्ताह का समय है, परियोजना का पैसा दे। अगर आप नहीं करेंगे तो कोर्ट विज्ञापन के बजट को इसमें ट्रांसफर कर देगा।

दिल्ली सरकार को देने हैं 415 करोड़ रुपये

इस प्रोजेक्ट में दिल्ली सरकार को 415 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। ये आदेश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने दिल्ली में प्रदूषण पर चल रही सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा आरआरटीएस परियोजना के लिए अपने हिस्से का पैसा न दिए जाने का मामला उठने पर दिये। आरआरटीएस परियोजना में दिल्ली को उत्तर प्रदेश के मेरठ, राजस्थान के अलवर और हरियाणा के पानीपत से जोड़ने वाला सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर शामिल है।

पिछली सुनाई पर कोर्ट ने दिया था यह आदेश

24 जुलाई को आरआरटीएस मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि वह अपने हिस्से का धन 415 करोड़ रुपये का भुगतान करे। उस समय कोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा विज्ञापन पर खर्च किया गया तीन साल का लेखाजोखा मंगाकर देखा था, जिसके मुताबिक दिल्ली सरकार ने तीन साल में विज्ञापन पर करीब 1100 करोड़ रुपये खर्च किये थे।

उस समय भी कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा था कि अगर दिल्ली सरकार पिछले तीन साल में विज्ञापन पर 1100 करोड़ खर्च कर सकती है तो निश्चित तौर पर इन्फ्रास्ट्रक्टर प्रोजेक्ट पर भी खर्च कर सकती है। दिल्ली सरकार की ओर से कोर्ट को परियोजना के लिए पैसे का भुगतान करने का भरोसा दिलाया गया था। मंगलवार को दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें इस मामले में जवाब दाखिल करना है, लेकिन पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा क्या जवाब देंगे।

दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा

आपने कोर्ट को दिए गए वचन का पालन नहीं किया है। पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस कौल ने कहा कि हमने 24 जुलाई को आपसे कहा था कि हम आपका विज्ञापन का बजट ले लेंगे। अब हम विज्ञापन का बजट रोकने जा रहे हैं। पीठ ने कहा कि वैसे तो बजट प्रबंधन सरकार के देखने की चीज है लेकिन जब ऐसी राष्ट्रीय महत्व की परियोजना प्रभावित होती है और पैसा विज्ञापन पर खर्च होता है तो कोर्ट उस पैसे को इस परियोजना के मद में ट्रांसफर करने का आदेश देने का इच्छुक है।

यह भी पढ़ें- Delhi Liquor Scam: मनीष सिसोदिया को राउज एवन्यू कोर्ट से नहीं मिली राहत, ED मामले में 11 दिसंबर तक बढ़ी हिरासत

राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है- कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है, इससे प्रदूषण पर भी असर पड़ेगा। इसके बाद कोर्ट ने आदेश में लिखाया कि विज्ञापन के उद्देश्य से रखा गया फंड इस परियोजना में ट्रांसफर किया जाए, लेकिन तभी दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से ऐसा आदेश न देने का अनुरोध किया और कहा कि उन्हें निर्देश लेने के लिए थोड़ा समय दिया जाए। वकील के अनुरोध पर कोर्ट ने अपने आदेश को एक सप्ताह के लिए टाल दिया।

अदालत को हल्के में नहीं ले सकते- सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि अगर एक सप्ताह के भीतर दिल्ली सरकार पैसे का भुगतान नहीं करती है तो विज्ञापन के बजट को इस परियोजना में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। कोर्ट ने मामले को 28 नवंबर को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया। मौखिक टिप्पणी में जस्टिस कौल ने कहा कि यही एक रास्ता रह गया है कि आप सुनें। आप ये नहीं कह सकते कि दो महीने नहीं तीन महीने लगेंगे। आप इस अदालत को हल्के में नहीं ले सकते। 

यह भी पढे़ं- Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में कब होगा सुधार? जहरीली हवा को लेकर पर्यावरण मंत्री ने कही यह बड़ी बात