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'हमें मूल रिकॉर्ड दिखाएं', दिल्ली में पेड़ों की कटाई को लेकर एलजी से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने साथ ही अगले सप्ताह तक पेड़ों की कटाई की अनुमति से संबंधित मूल रिकॉर्ड भी मांगा है। कोर्ट यह जानना चाहता है कि आखिर पेड़ काटने की प्रक्रिया कब कहां कैसे और किस-किस की अनुमति से आगे बढ़ी। कोर्ट ने पेड़ों की कटाई के बारे में जानकारी मिलने की तारीखों में फर्क का उल्लेख किया है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 25 Oct 2024 07:49 AM (IST)
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दिल्ली में पेड़ों की कटाई को लेकर एलजी से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के रिज इलाके में पेड़ों की कटाई के बारे में सूचना को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अध्यक्ष यानी उपराज्यपाल वीके सक्सेना और डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा के बयानों में फर्क है। कोर्ट ने इस पर दोनों से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने साथ ही अगले सप्ताह तक पेड़ों की कटाई की अनुमति से संबंधित मूल रिकॉर्ड भी मांगा है। कोर्ट यह जानना चाहता है कि आखिर पेड़ काटने की प्रक्रिया कब, कहां, कैसे और किस-किस की अनुमति से आगे बढ़ी।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा प्रस्तुत हलफनामे से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें 10 जून को पेड़ों की कटाई के बारे में पता चला लेकिन रिकार्ड के अनुसार, उन्हें अप्रैल में रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के बारे में अवगत कराया गया था।

याचिकाकर्ताओं पर घटना को गलत तरीके से पेश करने का आरोप

उपराज्यपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने हालांकि याचिकाकर्ताओं पर घटना को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें पेड़ों की कटाई के बारे में कब पता चला, इसकी कोई सटीक तारीख नहीं है। साथ ही उन्होंने बेहतर हलफनामा दायर करने की अनुमति मांगी।

दिल्ली के उपराज्यपाल ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्हें रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता के बारे में अवगत नहीं कराया गया था। उन्होंने कहा कि छह फरवरी से 26 फरवरी के बीच पेड़ों की कटाई के बाद ही उन्हें इस बारे में पता चला।

दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई शुरू

उन्होंने कहा कि यह सूचना 10 जून को डीडीए उपाध्यक्ष के एक पत्र के माध्यम से दी गई। हलफनामे में कहा गया है कि यह एक चूक थी, लेकिन डीडीए अधिकारियों द्वारा किया गया काम जनहित में था। हालांकि, डीडीए द्वारा दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई शुरू की गई है।

बढ़ते प्रदूषण के कारण अब सुबह टहलने नहीं जाता: जस्टिस चंद्रचूड़

दिल्ली में बढ़ रहे वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने ¨चता जाहिर की है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि प्रदूषण के कारण सुबह टहलने के लिए बाहर जाना बंद कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके डाक्टर ने उन्हें सुबह बाहर निकलने से बचने की सलाह दी थी क्योंकि सांस संबंधी बीमारियों से बचने के लिए घर के अंदर रहना बेहतर है।

उन्होंने वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने 24 अक्टूबर से सुबह टहलने के लिए बाहर जाना बंद कर दिया है। मैं आमतौर पर सुबह चार से सवा चार बजे के बीच सुबह टहलने के लिए जाता हूंउन्होंने शीर्ष अदालत की कार्यवाही को कवर करने वाले पत्रकारों को मान्यता देने के लिए कानून की डिग्री रखने के अनिवार्य मानदंड को खत्म करने की भी घोषणा की।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे

उन्होंने कहा कि मान्यता प्राप्त पत्रकारों को अब सुप्रीम कोर्ट परिसर में अपने वाहन पार्क करने की सुविधा मिलेगी। उन्होंने रिकार्ड और न्यायिक प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण और विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अनुवाद करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरूआत के बारे में भी बात की। देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सेवानिवृत्ति के बाद की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पहले कुछ दिन वह आराम करेंगे।

प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का मौलिक अधिकार

पराली जलाने पर नियंत्रण करने में केंद्र, सीएक्यूएम और पंजाब एवं हरियाणा सरकार की विफलता पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सख्त टिप्पणी की और कहा कि केवल दिखावा किया जा रहा है और प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का मौलिक अधिकार है जिसे सरकार को कायम रखना चाहिए। यह भी आदेश दिया गया कि प्रदूषण फैलाने पर जुर्माने की राशि बढ़ाई जाए। न्यायमूर्ति अभय ओका, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि सरकारें प्रदूषण को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठा रही हैं और पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ राज्यों द्वारा शायद ही कोई दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है।

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