'हमें मूल रिकॉर्ड दिखाएं', दिल्ली में पेड़ों की कटाई को लेकर एलजी से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने साथ ही अगले सप्ताह तक पेड़ों की कटाई की अनुमति से संबंधित मूल रिकॉर्ड भी मांगा है। कोर्ट यह जानना चाहता है कि आखिर पेड़ काटने की प्रक्रिया कब कहां कैसे और किस-किस की अनुमति से आगे बढ़ी। कोर्ट ने पेड़ों की कटाई के बारे में जानकारी मिलने की तारीखों में फर्क का उल्लेख किया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के रिज इलाके में पेड़ों की कटाई के बारे में सूचना को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अध्यक्ष यानी उपराज्यपाल वीके सक्सेना और डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा के बयानों में फर्क है। कोर्ट ने इस पर दोनों से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने साथ ही अगले सप्ताह तक पेड़ों की कटाई की अनुमति से संबंधित मूल रिकॉर्ड भी मांगा है। कोर्ट यह जानना चाहता है कि आखिर पेड़ काटने की प्रक्रिया कब, कहां, कैसे और किस-किस की अनुमति से आगे बढ़ी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा प्रस्तुत हलफनामे से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें 10 जून को पेड़ों की कटाई के बारे में पता चला लेकिन रिकार्ड के अनुसार, उन्हें अप्रैल में रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के बारे में अवगत कराया गया था।
याचिकाकर्ताओं पर घटना को गलत तरीके से पेश करने का आरोप
उपराज्यपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने हालांकि याचिकाकर्ताओं पर घटना को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें पेड़ों की कटाई के बारे में कब पता चला, इसकी कोई सटीक तारीख नहीं है। साथ ही उन्होंने बेहतर हलफनामा दायर करने की अनुमति मांगी।
दिल्ली के उपराज्यपाल ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्हें रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता के बारे में अवगत नहीं कराया गया था। उन्होंने कहा कि छह फरवरी से 26 फरवरी के बीच पेड़ों की कटाई के बाद ही उन्हें इस बारे में पता चला।
दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई शुरू
उन्होंने कहा कि यह सूचना 10 जून को डीडीए उपाध्यक्ष के एक पत्र के माध्यम से दी गई। हलफनामे में कहा गया है कि यह एक चूक थी, लेकिन डीडीए अधिकारियों द्वारा किया गया काम जनहित में था। हालांकि, डीडीए द्वारा दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई शुरू की गई है।
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