'एलजी कर सकते हैं दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति', सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी
Supreme Court ने उपराज्यपाल द्वारा एल्डरमैन की नियुक्ति को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि दिल्ली नगर निगम में सदस्यों को नामित करने की दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्ति एक वैधानिक शक्ति है न कि कार्यकारी शक्ति। इसलिए दिल्ली के उपराज्यपाल अपने विवेक के अनुसार कार्य कर सकते हैं न कि दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार।
एएनआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) में 10 ‘एल्डरमैन’ नामित करने के दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में 10 ‘एल्डरमैन’ नामित करने के एलजी के फैसले को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एमसीडी में सदस्यों को नामित करने की एलजी की शक्ति एक वैधानिक शक्ति है, न कि कार्यकारी शक्ति।
इससे पहले दिल्ली में एमसीडी के पार्षदों की नियुक्ति का फैसला बिना अरविंद केजरीवाल सरकार के मंत्रियों से विचार-विमर्श कर किए जाने का आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने विरोध किया था। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के इस फैसले पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पार्डीवाला ने पिछले साल 17 मई को सुनवाई के बाद आदेश को सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इस मामले में कहा था कि एमसीडी के पार्षद मनोनीत करने की शक्ति उपराज्यपाल के पास होने का मतलब है कि वह नगर निगम को अस्थिर कर सकते हैं। एमसीडी में 250 निर्वाचित व 10 मनोनीत सदस्य होते हैं।उपराज्यपाल के पास अधिकार
पिछले साल जब पार्षदों को मनोनीत किया गया था, तब उपराज्यपाल ऑफिस की ओर से कहा गया था कि डीएमसी एक्ट के तहत प्राप्त शक्तियों के तहत उपराज्यपाल को 10 लोगों को नगर निगम में मनोनीत करने का अधिकार है। इसमें कहा गया था कि उपराज्यपाल को कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों के तहत पार्षदों की नियुक्ति का पूरा अधिकार है।ये भी पढ़ें- Waqf Board Act: वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन मामले पर हिंदू-मुस्लिम संगठन आमने-सामने
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