कोरोना ने सिखाया जीना, 55 साल की सुप्रिया ने जीते 10 पदक; बड़े-बड़े सूरमाओं को दी मात
जो लोग उम्र हो गई कहकर अपने सपनों को पूरा करने के लिए लड़ना छोड़ देते हैं। उनके लिए सुप्रिया राय की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। । उन्होंने डिप्रेशन से जूझने के बाद दौड़ना शुरू किया और 55 साल की उम्र तक दस पदक जीते। वह महिलाओं को अपनी सेहत पर ध्यान देने और फिट रहने के लिए प्रेरित करती हैं।
लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। कहते है दौड़ने की कोई उम्र नहीं होती है। इरादे मजबूत हो और ठान ले कि हर हाल में अपने लक्ष्य को पाना है तो मंजिल दूर नहीं होती है। कुछ ऐसी ही जज्बे से भरी है 55 वर्षीय सुप्रिया राय (Supriya Rai) की मेडल जीतने की कहानी है।
जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद भी अपनी लड़ाई जारी रखी और नेशनल स्तर पर बड़े-बड़े सूरमाओं को पिछाड़ दिया। वेदांता दिल्ली हाल्फ मेराथन 2024 में सुप्रिया ने ओवरआल केटेगरी (55 से 64 उम्र) में गोल्ड मेडल जीता।
डिप्रेशन की वजह से दौड़ लगाना किया था शुरू
सुप्रिया राय घर में अकेली रहती है। पति के स्वर्गवास के कुछ समय बाद बेटी भी शादी कर अपने ससुराल चली गई थी। कोरोना काल में सुप्रिया एक दम अकेली हो गई थी। जिस वजह से वह डिप्रेशन का शिकार हो गई थी। उनका वजन भी बहुत ज्यादा बढ़ने लगा था।कोरोना के बाद उन्होंने घर से निकल कर पार्क में दौड़ना शुरू किया। शुरुआत में लोग उन्हें ताने मारा करते थे और कहते थे कि इस उम्र में दौड़ा नहीं करते है, हड्डी टूट जाएगी या दर्द बुढ़ापे में बहुत ज्यादा सताएगा। न जाने कितने लोगों ने उन पर इस प्रकार के कमेंट किए।
दिल्ली की विभिन्न प्रतियोंगिताओं में पदक जीते
बीच में उन्होंने सोचा की दौड़ना बंद कर देती हूं, लेकिन सुप्रिया अपने बढ़ते वजन से परेशान थी। जिस कारण उन्होंने दौड़ना जारी रखा और दिल्ली की विभिन्न प्रतियोंगिताओं में पदक जीते। सुप्रिया राय ने महिलाओं को जागरूक होने की सलाह देते हुए कहा कि महिलाओं को अपनी सेहत पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
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