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Metro Big Update: अब पूरे NCR में दौड़ेंगी मेट्रो, फेज पांच के लिए सर्वे शुरू; DMRC के निदेशक ने दिया हर सवाल का जवाब

DMRC Update दिल्ली ही नहीं पूरे एनसीआर में मेट्रो दौड़ती नजर आएंगी। मेट्रो के फेज चार के बाद अब फेज पांच के लिए तैयारी शुरू हो गई है। साथ ही इसके सर्वे भी शुरू हो गया है। अभी तक एनसीआर में मेट्रो का नेटवर्क 392 किलोमीटर तक पहुंच चुका है जो पांचवें फेज के बाद करीब 500 किलोमीटर तक पहुंच जाएगा।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Mon, 08 Jul 2024 10:42 AM (IST)
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एनसीआर में मेट्रो के पांचवें चरण के लिए सर्वे शुरू हो गया है।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। एनसीआर में मेट्रो का नेटवर्क 392 किमी पहुंच गया है। इसमें बड़ा हिस्सा दिल्ली मेट्रो का है। इसलिए दिल्ली मेट्रो सिर्फ दिल्ली हीं नहीं, बल्कि एनसीआर की लाइफ लाइन बनकर उभरी है। फेज चार की परियोजनाएं पूरी होने के बाद एनसीआर में मेट्रो का नेटवर्क 500 किमी के करीब पहुंच जाएगा, लेकिन फेज चार के मेट्रो कारिडोर के निर्माण में देरी हुई है।

वहीं, फेज चार के कारिडोर के निर्माण की स्थिति, निर्माण में अड़चन, वर्तमान कारिडोर पर मेट्रो की कम फ्रिक्वेंसी, लास्टमाइल कनेक्टिविटी की समस्याएं और भविष्य की जरूरतों के संदर्भ में रणविजय सिंह ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) के प्रबंध निदेशक विकास कुमार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-

फेज चार के तीन कारिडोर का निर्माण चल रहा है, उसकी क्या स्थिति है, कब तक काम पूरा होगा?

जनकपुरी पश्चिम से आरके आश्रम, मजलिस पार्क से मौजपुर और तुगलकाबाद से एरोसिटी के बीच 65 किमी के ये तीन कारिडोर अभी बन रहे हैं। करीब 50% काम पूरा हो चुका है। मार्च 2026 तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है।

अगले वर्ष तक फेज चार कारिडोर के किन-किन हिस्सों पर मेट्रो का परिचालन शुरू हो जाएगा?

जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम कारिडोर पर जनकपुरी पश्चिम से कृष्णा पार्क एक्सटेंशन के बीच ढाई किमी कारिडोर पर अगले माह परिचालन शुरू हो जाएगा। अगले वर्ष 12.31 किमी लंबे मजलिस पार्क-मौजपुर कारिडोर पर मेट्रो चलने लगेगी। जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम कारिडोर के कुछ और हिस्से पर भी मेट्रो का परिचालन अगले वर्ष शुरू हो जाएगा।

मजलिस पार्क-मौजपुर मेट्रो लाइन बन जाने पर दिल्ली में मेट्रो का पहला रिंग कारिडोर बन जाएगा, ऐसे में इस कारिडोर पर मेट्रो परिचालन की क्या रणनीति होगी?

हां, यह कारिडोर बन जाने पर वर्तमान लाइन सात (पिंक लाइन) पूरा रिंग कारिडोर हो जाएगा, तब इस पर मेट्रो भी अप और डाउन दोनों तरफ से गोलाकार चलेगी। इस कारिडोर के जिस हिस्से पर यात्रियों का दबाव अधिक होगा, वहां लूप लाइन के रूप में मेट्रो चलेगी, पूरे रिंग पर ज्यादा मेट्रो चलाने से परिचालन का खर्च भी बढ़ जाएगा और फायदा भी अधिक नहीं होगा।

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मेट्रो फेज एक व दो का काम जल्दी पूरा हो गया था। फेज तीन व चार की परियोजनाएं भी विलंब हैं। फेज चार के कारिडोर का निर्माण शुरू हुए करीब साढ़े चार वर्ष हो चुके हैं, इसके क्या कारण हैं?

कोरोना के कारण फेज चार के कारिडोर का निर्माण दो वर्ष प्रभावित रहा। जमीन व पेड़ काटने की स्वीकृति से जुड़े कुछ मसले थे, इस वजह से भी काम रुका। कुछ जगहों पर पेड़ काटने की स्वीकृति व जमीन का मामला भी फंसा हुआ है। दिल्ली सरकार से बातचीत चल रही है। हमें विश्वास है कि निर्धारित समय में निर्माण पूरा हो जाएगा। फेज एक के निर्माण के लिए दस वर्ष का समय निर्धारित था। दिल्ली मेट्रो ने तेज गति से निर्माण में ऊंचे मानदंड निर्धारित किए हैं। भूमिगत मेट्रो कारिडोर 4.5 वर्ष में तैयार नहीं हो सकते। फेज चार का एक बड़ा हिस्सा भूमिगत कारिडोर होगा। चेन्नई, बेंगलुरु की मेट्रो कारिडोर के निर्माण में दिल्ली की तुलना में अधिक समय लग रहा है।

क्या पहले के मुकाबले अड़चनें बढ़ गई हैं?

पहले जमीन अधिग्रहण का कानून अंग्रेजों के जमाने का था। जमीन अधिग्रहण आसान था। कानून बदलने के बाद कहीं भी जमीन अधिग्रहण के लिए मोलभाव करना पड़ता है और प्रक्रिया में समय लगता है। मेट्रो के सतत विकास और आय के लिए प्रापर्टी डेवलपमेंट जरूरी है। इसके लिए जमीन की जरूरत होती है, लेकिन गैर किराया राजस्व के लिए मेट्रो को जमीन नहीं मिल पा रही है।

कुछ माह पूर्व फेज चार के जिन दो अन्य कारिडोर को मंजूरी मिली, इनका निर्माण कब शुरू होगा?

लाजपत नगर-साकेत जी ब्लाक और इंद्रप्रस्थ-इंद्रलोक कारिडोर को केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद इसका कांट्रेक्ट तैयार करने का काम जारी है। जापान की एजेंसी जायका से लोन के लिए भी बात चल रही है। लोन स्वीकृत होने के बाद टेंडर होगा। कोशिश कि तीन माह में टेंडर जारी हो जाएं। रिठाला-नरेला-कुंडली कारिडोर को केंद्र सरकार से फाइनल स्वीकृति मिलना बाकी है। इसका भी इंतजार है।

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दिल्ली एयरपोर्ट से गुरुग्राम के बीच मेट्रो कारिडोर बनाने के लिए बहुत पहले योजना बनी थी, उसकी क्या स्थिति है?

फिलहाल इस पर कुछ नहीं हो रहा है। मुख्य रूप से यह मुद्दा हरियाणा का है, लेकिन यह कारिडोर बहुत जरूरी है। इसलिए देर सबेर यह योजना भी धरातल पर आएगी।

यलो लाइन के बाद दिल्ली मेट्रो के कई अन्य कारिडोर पर भी परिचालन निजी एजेंसी को सौंपने की पहल की गई है, इसका क्या मकसद है?

ठेके पर नियुक्त कर्मियों का वेतन कम होता है। इसलिए मेट्रो के परिचालन व रखरखाव का खर्च कम हो जाएगा। मेट्रो के स्थायी कर्मियों का वेतन अधिक होता है। मेट्रो के परिचालन में सबसे ज्यादा खर्च कर्मियों के वेतन पर होता है। इसके बाद रखरखाव व बिजली बिल पर खर्च होता है। स्वचालित मेट्रो कारिडोर पर तो ठेके पर भी कर्मचारी नियुक्त करने की जरूरत नहीं है। स्वचालित मेट्रो ट्रेनें चालक वाली मेट्रो से अधिक सुरक्षित है, क्योंकि चालक होने पर मानवीय गलती होने की संभावना अधिक है।

फेज तीन के बाद सभी पुराने कारिडोर की लंबाई बढ़ गई, लेकिन ट्रेन नहीं बढ़ने से फ्रिक्वेंसी कम हो गई। प्रदूषण के मद्देनजर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग भी फ्रिक्वेंसी बढ़ाने का सुझाव दे चुका है?

मेट्रो ट्रेनें कोई सस्ती चीज नहीं है। जिस कारिडोर पर व्यस्त समय में सात मिनट के अंतराल पर मेट्रो उपलब्ध होती है, वहां यात्रियों के दबाव के अनुसार मेट्रो जरूरतें पूरी कर रही है। उन कारिडोर पर जितने यात्री सफर करते हैं, इसके मुकाबले 15% अतिरिक्त क्षमता के साथ मेट्रो का परिचालन हो रहा है।

लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए ई-आटो चलाने की योजना थी, इस पर अब तक क्या काम हुआ है?

दिल्ली सरकार लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए नौ मीटर की बसें खरीद रही। डीएमआरसी ने 152 रूटों का सर्वे कर दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग को दिया है। 52 अतिरिक्त रूटों का भी सर्वे किया है। बाकी विभिन्न स्टेशनों से 1163 ई-आटो चल रहे हैं। इसकी संख्या और भी बढ़ेगी। ई-बाइक टैक्सी की सुविधा शुरू की जाएगी।

क्या मेट्रो फेज चार के बाद फेज पांच की योजना भी आएगी?

अभी फेज चार पर फोकस अधिक है, लेकिन फेज पांच में भी मेट्रो विस्तार की परियोजनाएं आनी चाहिए। इसके लिए प्राथमिक स्तर पर तैयारी व सर्वे शुरू कर दिया गया है कि कहां पर किस तरह की मेट्रो होनी चाहिए। जरूरत के अनुसार नई तकनीक की मेट्रो आ सकती हैं। एनसीआर की बढ़ती आबादी के मद्देनजर यदि परिवहन की समस्या का निदान करना है, तो फेज चार के बाद भी मेट्रो विस्तार की जरूरत है। यदि यह नहीं होगा, तो समस्या बढ़ जाएगी।

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