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दिल्ली समेत कई राज्यों में पटाखों पर लगा प्रतिबंध, स्वदेशी जागरण मंच ने कहा- ऐसा करना गलत

Diwali 2020 स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ अश्वनी महाजन ने सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि पटाखों के पर्यावरण पर दुष्प्रभाव के संदर्भ में दुष्प्रचार को दरकिनार करते हुए दीपावली के अवसर पर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की कार्रवाई के बचें।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 07 Nov 2020 11:53 AM (IST)
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषंगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच की फाइल फोटो।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। दिल्ली समेत कई राज्यों में पटाखों पर प्रतिबंध का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषंगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने विरोध किया है। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ अश्वनी महाजन ने सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि पटाखों के पर्यावरण पर दुष्प्रभाव के संदर्भ में दुष्प्रचार को दरकिनार करते हुए दीपावली के अवसर पर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की कार्रवाई के बचें। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से बिना किसी तथ्यात्मक जानकारी के ही सरकारों द्वारा दीपावली के अवसर पर सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध जैसी कार्रवाई की जाती रही है। यह सरासर गलत है। हमें समझना होगा कि पटाखों के कारण अभी तक जो प्रदूषण होता था, वह अधिकांशत: गैरक़ानूनी रूप से चीन से आयातित पटाखों के कारण होता था। चीनी पटाखों में पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर मिलाए जाने के कारण प्रदूषण होता रहा है, लेकिन अब भारत में बन रहे ग्रीन (प्रदूषण रहित) पटाखों में पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर नहीं मिलाया जाता और अन्य प्रदूषक तत्वों जैसे एल्युमीनियम, लीथियम, आर्सेनिक एवं पारा आदि को भी न्यूनतम कर दिया गया है।

ग़ौरतलब है कि ये पटाखे वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोध परिषद-नीरी द्वारा प्रमाणित हैं और न्यूनतम 30 फीसद कम प्रदूषण करते हैं। केंद्र सरकार ने चीनी पटाखों पर प्रभावी प्रतिबंध लगाया हुआ है, इसलिए दीपावली पर सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगाना सर्वथा अनुचित है।

उन्होंने कहा कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि तमिलनाडु (शिवाकाशी), पश्चिम बंगाल और देश के कई भागों में लाखों लोगों की जीविका पटाखा उद्योग से चलती है। वर्ष भर ये लोग दीपावली की प्रतीक्षा करते हैं ताकि वे अपने पटाखों को बेच सकें। ऐसे में बिना किसी वैज्ञानिक आधार के कहीं कम प्रदूषण फैलाने वाले ग्रीन पटाखों पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है। इस अवसर पर हम केंद्र सरकार से भी आग्रह करते हैं कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल को भी सही जानकारी से अवगत कराएं। खेद का विषय है कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली समेत देश के विभिन्न हिस्सों में सरकारी एजेंसियां पराली जलाने की समस्या का समाधान नहीं कर पाई है, जिससे राजधानी और आस पास के क्षेत्रों में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है और वो ख़तरे के निशान से कहीं ऊपर पहुंच चुका है।

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