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स्वामी विवेकानंद ने आत्मनिर्भरता पर दिया था बल : अभिनेता अनुपम खेर

अनुपम खेर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारत के दर्शन विचार को दुनिया के सामने रखा। जब चारों तरफ हताशा का माहौल था। हम गुलामी के बोझ तले हम दबे थे तब उस समय स्वामी जी ने कहा था कि आने वाला समय भारत का होगा।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Fri, 12 Nov 2021 07:17 PM (IST)
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पूरब और पश्चिम को एक दूसरे के प्रति धारणा नहीं बनानी चाहिए।

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। बालीवुड के जाने-माने अभिनेता अनुपम खेर जेएनयू में मुख्य वक्ता के तौर शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि जेएनयू कैंपस में स्वामी जी की मूर्ति का अनावरण करते हुए भारत के दिव्य व दूरदर्शी प्रधानमंत्री ने जिन बातों को रेखाकिंत किया था वो कुछ ऐसी हैं। उन्होंने कहा था कि मूर्ति में आस्था से आप विजन का विकास करते हैं। पीएम ने कहा था कि जेएनयू में लगी स्वामी जी की प्रतिमा लोगों को ऊर्जा व साहस भरे, जो स्वामी जी सभी में देखना चाहते थे।

राष्ट्र के प्रति अगाध समर्पण

यह प्रतिमा हमें राष्ट्र के प्रति अगाध समर्पण और प्रेम सिखाए। यह प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रही है। बता दें कि जेएनयू में गत वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया था। इसी के एक साल पूरा होने पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें अभिनेता अनुपम खेर मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल हुए।

भारत के दर्शन और विचार को दुनिया के सामने रखा

अनुपम खेर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारत के दर्शन, विचार को दुनिया के सामने रखा। जब चारों तरफ हताशा का माहौल था। हम गुलामी के बोझ तले हम दबे थे, तब उस समय स्वामी जी ने कहा था कि आने वाला समय भारत का होगा। उन्होने भारत में नई चेतना का संचार किया था।

संबोधन की प्रमुख बातें

-पूरब और पश्चिम को एक दूसरे के प्रति धारणा नहीं बनानी चाहिए।

-स्वामी विवेकानंद ने आत्मनिर्भरता पर बल दिया था।

-हमें हर देश से सीखना चाहिए और अपने लिए जो अच्छा है उसे अपनाना चाहिए।

-उच्च शिक्षण संस्थाएं ज्ञान की प्रयोगशाला हैं, इन्हें किसी एक विचारधारा की प्रयोगशाला नहीं बनने देना चाहिए।

-स्वामी विवेकानंद स्वयं ऐसी तकनीकी शिक्षा के पक्षधर थे जो आत्मनिर्भर बनाए।

-स्वामी जी अनुभव को किताबी ज्ञान से श्रेष्ठ बताते थे।

-जेएनयू की रैंकिंग बेहतर जारी हुई है। उम्मीद है कि जेएनयू स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक कारणों से जाना जाता रहेगा।