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नौकरी छोड़ अन्ना आंदोलन का बनीं हिस्सा, अब केजरीवाल ने दिया बड़ा तोहफा; स्वाति मालीवाल बनेंगी राज्यसभा सदस्य

स्वाति मालीवाल को आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है। वह फिलहाल नौ सालों से दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की चेयरपर्सन पद पर बनीं हुई हैं। वह पहली बार राज्यसभा उम्मीदवार बनाई गई हैं। स्वाति की छवि एक ईमानदार और कर्मठ महिला के तौर पर बनी है। महिलाओं से जुड़ी हर मुद्दों पर उन्होंने आवाज बुलंद किया। आइए पढ़ते हैं उनके जीवन परिचय को।

By Jagran News Edited By: Sonu SumanUpdated: Fri, 05 Jan 2024 03:12 PM (IST)
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महिलाओं की आवाज बनीं स्वाति मालीवाल अब बनेंगी राज्यसभा सदस्य।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्वाति मालीवाल को आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है। वह फिलहाल नौ सालों से दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की चेयरपर्सन पद पर बनीं हुई हैं। वह पहली बार राज्यसभा उम्मीदवार बनाई गई हैं। स्वाति की छवि एक ईमानदार और कर्मठ महिला के तौर पर बनी है। दिल्ली में घटित हर घटनाओं पर वह पुलिस को नोटिस भेजती रही है। न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि केजरीवाल सरकार से भी दिल्ली की सुरक्षा को लेकर काम करने की गुजारिश करती रही है।

स्वाति मालीवाल का जन्म 15 अक्टूबर 1984 को गाजियाबाद हुआ था, लेकिन उनकी शिक्षा-दीक्षा अलग-अलग शहरों में हुई है। 2002 में उन्होंने एमिटी स्कूल, नोएडा से इंटरमीडिएट किया। 2006 में दिल्ली के आईपी विश्विवद्यालय से सूचना प्रौद्योगिकी में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही समाजसेवा की ओर उनका रुझान हुआ और वह पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ग्रीनपीस से जुड़ गईं। इसके बाद अरविंद केजरीवाल के एनजीओ ‘परिवर्तन’ के लिए काम किया। इस दौरान उन्होंनने जन वितरण प्रणाली में सुधार लाने और सूचना का अधिकार के प्रति लोगों को जागरूक किया।

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जॉब छोड़ कर अन्ना आंदोलन से जुड़ी स्वाति

स्वाति मालीवाल ने बताया था कि वह बचपन से ही यौन उत्पीड़न का शिकार होती रही है। उन्हें वहीं से महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की समझ विकसित हुई। वह पढ़ाई में अच्छी थी, तो डर के साये में रहने के बाद भी दिल लगा कर पढ़ाई की। स्वाति ने इंजिनीयरिंग की पढ़ाई के बाद जॉब किया, लेकिन बाद में समाज के लिए कुछ अच्छा करने की चाह में जॉब छोड़ कर अन्ना आंदोलन से जुड़ीं। वह अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरण बेदी के साथ कोर कमिटी में रह कर उसे लीड भी किया।

2015 में बनीं डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष

स्वाति ने साल 2015 में 31 साल की उम्र में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष के पद की कमान संभाली थी। तब दिल्ली की जनता के लिए उनका नाम भले ही नया हो, लेकिन अब महिलाओं को सुरक्षित करने की उनकी लगन और महिलाओं से जुड़े हर मामलों पर उनकी निष्पक्षता से आज हर दिल्लीवासी को उनका नाम कंठस्थ है। स्वाति हर बार अपने अलग अंदाज से महिलाओं से लेकर बच्चियों पर हो रहे जुर्म और अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद करती आयी हैं। उन्होंने अध्यक्ष बनते ही जीबी रोड के तमाम कोठों को नोटिस जारी करके अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। 

कई अहम मु्द्दों को लेकर उठाई आवाज

स्वाति मालीवाल को साल 2015 में दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। बतौर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष उन्होंने एसिड अटैक, यौन उत्पीड़न और महिला सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों का समाधान निकालने के लिए पहल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिलाओं के कल्याण और उनके अधिकारों के लिए किए गए उनके प्रयासों के चलते आज वो भारत में सामाजिक एक्टिविज्म के क्षेत्र में काम करने वाली प्रमुख चेहरा हैं।

पति नवीन जयहिंद से हुआ तलाक

स्वाति मालीवाल की नवीन जयहिंद से मुलाकात अन्ना आंदोलन के वक्त ही हुई थी। उस वक्त नवीन जयहिंद और स्वाति मालीवाल इंडिया अंगेस्ट करप्शन की टीम का हिस्सा थे। नवीन और स्वाति दोनों ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के करीबी रहे हैं। 2011 में अन्ना आंदोलन के बाद जब इंडिया अंगेस्ट करप्शन की टीम कोयला घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंची, उस वक्त नवीन और स्वाति एक-दूसरे के करीब आए थे। 2012 में आम आदमी पार्टी के गठन से पहले दोनों ने शादी कर ली। दोनों की शादी करवाने में केजरीवाल ने अहम भूमिका निभाई थी। 2020 में दोनों का तलाक हो गया।

पिता पर लगाया यौन शोषण का आरोप

स्वाति मालीवाल ने एक अवॉर्ड फंक्शन में बताया था कि बचपन में उनके पिता उनका यौन शोषण करते थे। इसकी वजह वह अपने ही घर में डर कर रहती थी। वो बिना वजह स्वाति को पीटते थे। चोटी पकड़कर सिर दीवार पर टकरा देते थे। डर की वजह से उन्होंने कई रातें तो बिस्तर के नीचे छिपकर बिताई हैं। स्वाति ने यह बातें दिल्ली में डीसीडब्ल्यू अवार्ड कार्यक्रम में अपना दर्द बयां किया था। सीएम अरविंद केजरीवाल ने उन्हें सम्मानित किया था।

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