पिता नशे के आदी, मां घरों में धोती हैं बर्तन, बेटी ने कर दिखाया ऐसा कमाल; अब हर कोई कर रहा प्रशंसा
Delhi News तनीशा की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे कठिन परिस्थितियां भी सफलता के रास्ते में बाधा नहीं बन सकतीं। शाहबाद डेयरी की झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली तनीशा ने जूडो और कुराश में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर 24 पदक जीतकर यह साबित कर दिया है कि अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी बाधा आपको अपने लक्ष्य से दूर नहीं कर सकती।
लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। Delhi News अगर आपके सपने बड़े हों, तो हालात मायने नहीं रखते। गरीबी या कठिन परिस्थितियां भी आपका रास्ता नहीं रोक सकतीं। बस जरूरत होती है कठिन मेहनत, लगन और पसीना बहाने की।
अपने इलाके में चर्चा में है तनीशा
बता दें कि तनीशा अपनी इस सफलता के कारण अपने इलाके में काफी चर्चा में है। वहीं, इलाके के युवाओं को तनीशा से प्रेरणा भी मिल रही है। उधर, पड़ोसी और रिश्तेदार भी तनीशा की खूब प्रशंसा कर रहे हैं। इलाके के लोगों को उम्मीद है कि तनीशा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने परिवार, शहर और पूरे देश का नाम रोशन करेगी। हालांकि, तनीशा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता हासिल करने के लिए बहुत अधिक मेहनत करने की जरूरत होगी।
झुग्गी-झोपड़ी में रहती है तनीशा
वहीं, ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है 12 वर्षीय तनीशा की। जो शाहबाद डेयरी की झुग्गी-झोपड़ी में रहने के बावजूद जूडो और कुराश में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर 24 पदक जीत चुकी हैं। तनीशा की ये कामयाबी संघर्ष और समर्पण की कहानी है, जो साबित करती है कि अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी बाधा आपको अपने लक्ष्य से दूर नहीं कर सकती।बेरोजगार हैं तनीशा के पिता
बताया गया कि तनीशा के पिता बेरोजगार हैं और नशे की आदत के कारण परिवार की जिम्मेदारियां नहीं उठा पाते है। उनकी मां ने घरों में बर्तन धोकर अपनी चार बेटियों और एक बेटे का पालन-पोषण किया।
भाई बहनों में सबसे छोटी है तनीशा
तनीशा सबसे छोटी है और खेलों में अपनी अलग पहचान बना रही हैं। कोच बबलू ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। उन्हें कोच मीरा और बबलू निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं।तनीशा की उपलब्धियां
तनीशा ने खेलों में अपनी शुरुआत 2023 में की और तब से अब तक राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई पदक अपने नाम किए हैं। उन्होंने दिल्ली स्टेट स्कूल गेम्स में चार स्वर्ण, नेशनल स्तर पर तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता।
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