Red Fort Attack: आतंकी बिलाल अहमद कावा दिल्ली से गिरफ्तार,18 साल पहले लालकिले में जवानों पर बरसाई थी गोलियां
2000 Red Fort Attack हमले के बाद सभी आतंकी भागने में कामयाब हो गए थे। अशफाक ने ही टीम का नेतृत्व किया था। दिल्ली में इससे पहले लश्कर के आतंकियों ने कोई हमला नहीं किया था। हालांकि लश्कर के कई आतंकी पकड़े जरूर गए थे।
By Rakesh Kumar SinghEdited By: Pradeep Kumar ChauhanUpdated: Thu, 03 Nov 2022 08:18 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Terrorist Bilal Ahmed Kawa: पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक समेत छह आतंकियों ने 22 दिसंबर 2000 को लाल किले के अंदर घुसकर सेना के जवानों पर हमला किया था। एके-47 व हैंड ग्रेनेड से लैस आतंकियों ने रात करीब नौ बजे लाल किले के अंदर चल रहे लाइट एंड साउंड प्रोग्राम के दौरान जवानों पर अधाधुंध गोलियां चलाई थीं।
आतंकी अशफाक ने किया था टीम का नेतृत्व
हमले में राजपूताना राइफल्स के राइफल मैन उमा शंकर मौके पर शहीद हो गए थे, जबकि गंभीर रूप से घायल नायक अशोक कुमार को अस्पताल ले जाया गया था, जहां उनकी मौत हुई थी। इस हमले में एक अन्य व्यक्ति अब्दुल्लाह ठाकुर की भी गोलियां लगने से मौके पर ही मौत हो गई थी। हमले के बाद सभी आतंकी भागने में कामयाब हो गए थे। अशफाक ने ही टीम का नेतृत्व किया था।
अशफाक समेत 22 आतंकियों के खिलाफ दायर किया था आरोप पत्र
दिल्ली में इससे पहले लश्कर के आतंकियों ने कोई हमला नहीं किया था। हालांकि, लश्कर के कई आतंकी पकड़े जरूर गए थे। घटना के तीन-चार दिन के भीतर ही स्पेशल सेल ने एक के बाद एक कई आतंकियों को दबोचकर केस को सुलझा लिया था। उस केस को सुलझाना स्पेशल सेल के तत्कालीन जांबाज एसीपी राजबीर सिंह की टीम की बड़ी उपलब्धि रही थी। इस मामले में पुलिस ने अशफाक समेत कुल 22 आतंकियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इनमें से तीन मारे जा चुके थे, जबकि आठ को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था।2005 में अदालत ने एक आतंकी को दी थी फांसी
कड़कड़डूमा कोर्ट में 11 आरोपितों के खिलाफ सुनवाई हुई थी। 2005 में अदालत ने पाकिस्तानी नागरिक अशफाक को फांसी की सजा, जबकि हमले में शामिल श्रीनगर निवासी पिता-पुत्र नजीर अहमद कासिद और फारूक अहमद कासिद को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अशफाक की भारतीय पत्नी रहमाना यूसुफ फारुकी व तीन अन्य बाबर मोहसिन बागवाला, सदाकत अली और मतलूब आलम को कड़कड़डूमा कोर्ट ने अशफाक को पनाह देने और फर्जी भारतीय पहचान पत्र उपलब्ध कराने के मामले में सात साल कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।दिल्ली हाईकोर्ट में दी गई थी निचली अदालत के फैसले को चुनौती
सभी ने निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। वर्ष 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट ने अशफाक की सजा बरकरार रखते हुए अन्य सभी को बरी कर दिया था। इसके बाद अशफाक ने कई बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अदालत ने उसकी याचिका स्वीकार नहीं की थी। वर्ष 2016 में शीर्ष अदालत अशफाक की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हुई थी, जिसपर बृहस्पतिवार को अदालत ने निर्णय सुनाया है।
घटना के 18 साल बाद गुजरात एटीएस व स्पेशल सेल की टीम ने लाल किले के आतंकी बिलाल अहमद कावा को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। बिलाल के बैंक खाते से हमले में शामिल आतंकियों के खाते में हवाला के जरिये पैसे भेजे गए थे। हमले में शामिल कई आरोपित अबतक फरार हैं।कब क्या हुआ.
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- 26 दिसंबर, 2000 - अशफाक और पत्नी रहमाना यूसुफ को जामिया नगर से गिरफ्तार किया गया।
- 20 फरवरी, 2001- दिल्ली पुलिस ने कड़कड़डूमा कोर्ट में 22 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
- 24 अक्टूबर, 2005- कड़कड़डूमा कोर्ट ने अशफाक व उसकी पत्नी समेत सात आरोपितों को दोषी ठहराया।
- 10 जुलाई, 2006- सजा को चुनौती देने वाली दोषियों की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई शुरू की।
- 13 सितंबर, 2007- हाई कोर्ट ने अशफाक की फांसी की सजा बरकरार रखते हुए अन्य को बरी किया।
- 10 अगस्त, 2011- हाई कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने वाली अशफाक की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज।
- 28 अगस्त, 2011- आतंकी अशफाक की पुनर्विचार याचिका भी शीर्ष अदालत ने खारिज की।
- 28 अप्रैल 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अशफाक की फांसी की सजा पर रोक लगा दी।
- 2 सितंबर 2014-आतंकी अशफाक की पुनर्विचार याचिका शीर्ष अदालत ने खारिज की।
- 19 जनवरी 2016- अशफाक की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार की।