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Career In Ayurveda: आयुर्वेद के क्षेत्र में जॉब्स के बढ़ रहे मौके, जानिए कोर्स एवं योग्यताएं

कोविड-19 के सामने आने के बाद से ही शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने और वायरस के संक्रमण से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपचार लोगों के लिए काफी मददगार रहा है। तेजी से बढ़ी आयुर्वेद की लोकप्रियता के बीच आइए जानते हैं आयुर्वेद सेक्टर में करियर के मौकों के बारे में...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 02 Jun 2021 11:39 AM (IST)
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जानिए आयुर्वेद के क्षेत्र में करियर कैसे बनाएं

नई दिल्‍ली, जेएनएन। हमारे देश में आयुर्वेद की मान्यता और इसके प्रति लोगों का भरोसा प्राचीन काल से ही रहा है, लेकिन कोविड के सामने आने के बाद इसके प्रति लोगों का विश्वास और बढ़ गया है। इस दौरान घर-घर योग, प्राणायाम के साथ-साथ भाप लेने, उचित मात्रा में काढ़ा पीने और खाने में औषधीय मसालों के समुचित इस्तेमाल पर जोर बढ़ा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन के हाल के एक वक्तव्य के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के बाद आयुर्वेद की अर्थव्यवस्था में फीसद तक वृद्धि हुई है। पिछले एक साल में आयुर्वेदिक दवाओं और उत्पादों की मांग में बेतहाशा वृद्धि से पता चलता है कि भारत और विश्व में आयुर्वेदिक उत्पादों के प्रति रुझान कितनी तेजी से बढ़ रहा है।

तमाम अध्ययनों में यह बात सामने आई कि वायरस के संक्रमण से बचने के लिए इम्युनिटी मजबूत होनी चाहिए और आयुर्वेद इम्युनिटी बढ़ाने वाली खूबियों की वजह से इस संक्रमण काल में हर किसी के लिए और अधिक विश्वसनीय बन गया। दरअसल, लोगों को सेहतमंद बनाए रखना ही आयुर्वेद का मूल उद्देश्य है। आयुर्वेद में जीवनशैली को दुरुस्त रखने पर काफी हद तक जोर होता है। कोरोना काल में आयुष मंत्रालय की ओर से संस्तुत आयुष-64, आयुष क्वाथ, संशमनी वटी, फीफाट्रोल, लक्ष्मीविलास रस जैसी आयुर्वेदिक दवाओं की इन दिनों काफी चर्चा है। आयुर्वेदिक/प्राकृतिक उपचार में लोगों की बढ़ती इसी दिलचस्पी के कारण आयुर्वेदिक चिकित्सकों की मांग भी बढ़ रही है। माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में इस सेक्टर में नौकरी/रोजगार की संभावनाएं और ज्यादा बढ़ेंगी।

तेजी से बढ़ रही हैं नौकरी की संभावनाएं: महामारी से जंग में केंद्र सरकार का शुरू से एलोपैथिक चिकित्सा के साथ-साथ योग/प्राणायाम और आयुर्वेदिक औषधियों पर काफी जोर रहा है। आयुष मंत्रालय की ओर से जारी प्रोटोकाल के तहत काढ़े के नुस्खे से लेकर मरीजों को दवाएं तक दी जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक चिकित्सा और इसके अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ही नवंबर 2014 में अलग से आयुष मंत्रालय का गठन किया गया, जो प्राचीन उपचार पद्धतियों (योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी और होम्योपैथी) को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, आयुर्वेद का प्रशिक्षण दिए जाने के लिए इसकी पढ़ाई पर भी बल दिया जा रहा है। आयुर्वेद को प्रोत्साहित करने के लिए ही चार साल पहले देश को एम्स जैसा पहला अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (नई दिल्ली) समर्पित किया गया। वैसे, प्रधानमंत्री यह कह चुके हैं कि देश के हर जिले में आयुर्वेद से जुड़ा अस्पताल हो, इस दिशा में उनकी सरकार काम कर रही है। जाहिर है, इससे आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में जॉब की अधिक संभावनाएं सामने आएंगी।

विविध रूपों में जॉब के अवसर: अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, दिल्ली समेत देश के तमाम सरकारी अस्पतालों में आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से उपचार हो रहा है। निजी अस्पतालों में भी आयुर्वेद के विशेषज्ञों की मांग देखी जा रही है। छोटे-बड़े शहरों में तेजी से तमाम ऐसे क्लीनिक /हेल्थकेयर सेंटर खुलते जा रहे हैं, जहां लोगों का होलिस्टिक उपचार होता है। देशभर के उन तमाम फार्मास्युटिकल कंपनियों में भी आजकल ऐसे प्रशिक्षित लोगों की काफी मांग है, जो आयुर्वेदिक दवाएं और उत्पाद बनाने व रिसर्च में सहयोग दे सकते हैं। एमिल, वैद्यनाथ, हमदर्द, डाबर, हिमालया जैसी तमाम कंपनियां बड़े पैमाने पर आयुर्वेदिक सिरप और अन्य औषधियां बनाती हैं, जिनका इस्तेमाल लगभग हर घर में किया जाता है। कुल मिलाकर, आयुर्वेद में समुचित पढ़ाई के बाद युवाओं के पास अवसरों की कमी नहीं है। बीएएमएस जैसे कोर्स में मास्टर डिग्री करके आयुर्वेदिक कॉलेजों में बतौर अध्यापक अपना करियर बना सकते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं, खुद का आयुर्वेदिक औषधियों का स्टोर खोल सकते हैं।

कोर्स एवं योग्यताएं: एक क्वालिफाइड आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर बनने के लिए बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी (बीएएमएस) कोर्स करना जरूरी है। यह साढ़े पांच साल का कोर्स है। 50 फीसदी अंकों के साथ पीसीबी विषयों से बारहवीं करने के बाद यह कोर्स किया जा सकता है। एमबीबीएस की तरह ही बीएएमएस, बीएसएमएस, बीयूएमएस तथा बीएचएमएस जैसे कोर्सेज में भी दाखिला नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एट्रेंस टेस्ट) द्वारा होता है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) हर साल यह परीक्षा कराती है। इस बारे में जानकारी के लिए एनटीए की वेबसाइट (https://ntaneet.nic.in) देखें।

प्रमुख संस्थान

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, दिल्ली

https://aiia.gov.in

गुजरात आयर्वेद यूनिवर्सिटी, जामनगर

www.ayurveduniversity.edu.in

बीएचयू, वाराणसी

www.bhu.ac.in

आइपी यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली

www.ipu.ac.in

उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी, देहरादून

https://uau.ac.in

युवा अब दिल से अपनाएंगे यह पैथी: आयुर्वेद के एमडी डा. राजीव पुंडीर ने बताया कि आयुर्वेद और एलोपैथ को अब कदम से कदम मिलाकर चलने का वक्त आ गया है। इस कोविड में लोगों ने यह देख लिया है कि एलोपैथ की दवाओं की भी अपनी एक सीमा है। इसलिए पिछले एक साल में अगर आयुर्वेद के प्रति लोगों में इतनी जागरूकता आई है, तो निश्चित रूप से अब युवाओं का दृष्टिकोण भी बदलेगा और वे आगे आयुर्वेद को दिल से अपनाएंगे, क्योंकि अभी तक वे मजबूरी में इसे अपनाते थे। लेकिन अब इसमें दिलचस्पी रखने वाले युवा यह सोचकर आयुर्वेद कोर्स में दाखिला लेंगे कि यह चिकित्सा विज्ञान या पैथी बहुत भरोसेमंद है, हमें इसी में चिकित्सा करनी है। चूंकि लोगों में इसके प्रति रुझान बढ़ गया है, इसलिए आयुर्वेद का भविष्य बहुत अच्छा रहने वाला है। युवाओं के लिए भी यहां अवसरों की कोई कमी नहीं है। अपनी रुचि के अनुसार आपको रिसर्च, मार्केटिंग, चिकित्सा या शिक्षण में से जिस भी फील्ड में जाना है, उसके लिए बहुत अवसर हैं। मेरा युवाओं को यही सुझाव है कि अगर वे इस फील्ड में आना चाहते हैं, तो यह सोचकर आएं कि हमको चिकित्सा आयुर्वेद की ही करनी है और आयुर्वेद हमको सीखना है। सिर्फ डिग्री लेने के मन से न आएं।

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