Move to Jagran APP

यूपी से बिहार नानी से मिलने अकेले निकला 8वीं का छात्र, फिर क्या हुआ पढ़िए खबर

गाजियाबाद से 8वीं कक्षा का छात्र मां के नाम 3 पेज का पत्र छोड़कर रविवार रात बिहार के भागलपुर स्थित कहलगांव में रहने वाली नानी मिलने निकल गया था।

By Edited By: Updated: Tue, 28 May 2019 01:54 PM (IST)
Hero Image
यूपी से बिहार नानी से मिलने अकेले निकला 8वीं का छात्र, फिर क्या हुआ पढ़िए खबर
गाजियाबाद, जेएनएन। यूपी के गाजियाबाद से अपनी नानी से मिलने के लिए घर से निकला 8वीं का छात्र आर्यन आखिरकार बिहार के भागलपुर सकुशल पहुंच गया। रविवार को घर से निकलने के बाद यूपी से लेकर बिहार तक परिवार में हड़कंप मचा रहा, वहीं पुलिस भी परेशान रही। आर्यन (14) के पिता नवीनकांत भागलपुर स्थित कहलगांव एनटीपीसी में मैनेजर हैं और कहलगांव में ही आर्यन के नाना-नानी भी रहते हैं। आर्यन की मां रितु वैशाली सेक्टर- चार गाजियाबाद में छोटे बेटे के साथ रहती हैं। 

यहां पर बता दें कि वैशाली सेक्टर-चार से आठवीं कक्षा का छात्र मां के नाम तीन पेज का पत्र छोड़कर रविवार रात बिहार के भागलपुर स्थित कहलगांव में रहने वाली नानी से मिलने निकल गया था। जानकारी के अनुसार सोमवार देर शाम तक वह बिहार नहीं पहुंचा था। छात्र ने पत्र में लिखा था कि वह 10-12 दिन के लिए नानी के पास जा रहा है। उसे यहां पर अच्छा नहीं लग रहा था। डेढ़ माह पहले ही छात्र अपनी मां के साथ हैदराबाद से वैशाली शिफ्ट हुआ था। छात्र एक हजार रुपये लेकर घर से निकला है। पुलिस बच्चे की गुमशुदगी दर्ज कर तलाश कर रही थी।

मूलरूप से बिहार के भागलपुर स्थित कहलगांव निवासी पीड़ित महिला डेढ़ माह पूर्व हैदराबाद से अपने दो बेटे के साथ वैशाली सेक्टर-4 में रहने आईं। बड़ा बेटा इंदिरापुरम के एक स्कूल में आठवीं कक्षा का छात्र है। छात्र के पिता कहलगांव स्थित एनटीपीसी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। महिला रविवार रात खाना खाकर सो गईं। रात करीब एक बजे  देखा तो बड़ा बेटा घर पर नहीं था। उन्होंने बेटे को तलाशना शुरू किया लेकिन बेटे का कहीं कोई सुराग नहीं मिला था।

घर में ही मां को अपने बिस्तर के पास तीन पेज का एक पत्र मिला। इसमें लिखा था- 'मैं नानी से मिलने जा रहा हूं मां बच्चे ने लिख है कि मैं खुले में रहना चाहता हूं। मैंने एक हजार रुपये, कपड़े, किताबें और चादर ले ली हैं। मैं दिल्ली से कहलगांव जाने वाली ट्रेन के एसी कोच में बिना टिकट सफर करूंगा। सीट मिलेगी तो बैठ जाऊंगा। नाना-नानी को मत बताना कि मैं जा रहा हूं। मैं स्टेशन से खुद घर पहुंच जाऊंगा। छात्र ने पत्र में लिखा है कि नानी के जाने के बाद से मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। स्कूल में भी मैं किसी से बात नहीं कर पा रहा था। छात्र ने कहा है कि वह मां के मोबाइल में ट्रेन के बारे में गूगल पर देख चुका है। छात्र ने चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर, और मां समेत रिश्तेदारों का भी नंबर लिया हुआ है। छात्र ने पत्र में लिखा है कि मुझे आप स्मार्ट वॉच दिलवा दीजिएगा। इससे अपना मन खुश कर लूंगा। नहीं तो मैं कहीं और भी गलत रास्ता न पकड़ लूं। सोचकर बताइएगा।'

जरूरत से ज्यादा न पूरी करें बच्चों की मांग
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. संजीव त्यागी का कहना है कि जरूरत से ज्यादा बच्चों की मांग न पूरी करें। भविष्य में मांग न पूरी होने पर बच्चे कोई गलत कदम उठा सकते हैं। बच्चों के साथ दोस्तों जैसा व्यवहार करें, उनके साथ समय व्यतीत करें, बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखें। जिससे बच्चों के दिमाग में क्या चल रहा है इसके बारे में जानकारी हो। गलती करने पर बच्चों को डांटे नहीं बल्कि प्यार से समझाएं।

दिल्ली-NCR की ताजा खबरों को पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।