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दिल्ली के टाउन हाल की जल्द बदलेगी तस्वीर, पढ़िए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्यों दिखाई इसमें दिलचस्पी

इसका रखरखाव उचित तौर पर हो सके और इसका सदुपयोग किया जा सके इसके लिए उत्तरी निगम ने कई बार प्रयास किए हैं। यहां पर रेस्तरां खोलने तक की बात चली थी। विभिन्न कारणों से यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई।

By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Fri, 15 Apr 2022 02:26 PM (IST)
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विभिन्न कारणों से यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई।
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। जर्जर होते जा रहे टाउन हाल की भी हालत सुधरेगी। केंद्र सरकार इसे लेने के लिए आगे आई है। यहां विश्वस्तरीय संग्रहालय, पुस्तकालय और शोध संस्थान बनाया जाएगा। इसके लिए उत्तरी निगम और केंद्रीय संस्कृति मंत्रलय की बातचीत आखिरी दौर में चल रही है। इससे पूर्व दोनों पक्षों में सैद्धांतिक मंजूरी हो चुकी है। निगम इसे 33 वर्ष के लिए पट्टे पर देगा। पट्टे का शुल्क क्या होगा, यह आखिरी बातचीत में तय होगा, लेकिन यहां पर संग्रहालय खुलने का रास्ता तैयार हो गया है।

एकीकृत दिल्ली नगर निगम के समय टाउन हाल निगम का मुख्यालय हुआ करता था। महापौर से लेकर निगमायुक्त समेत अन्य अधिकारी बैठते थे। यहां पर सदन भी है, जिसमें निगम की बैठक होती थी। वर्ष 2011 में रामलीला मैदान के सामने निगम का आधुनिक मुख्यालय सिविक सेंटर बनकर तैयार हुआ तो सभी कार्यालय और सदन की बैठक सिविक सेंटर में ही होने लगी।

धीरे-धीरे टाउन हाल से निगम का कामकाज बंद होने लग गया। इसके बाद बेहतर रखरखाव के अभाव में इसकी स्थिति बिगड़ने लगी। इसका रखरखाव उचित तौर पर हो सके और इसका सदुपयोग किया जा सके, इसके लिए उत्तरी निगम ने कई बार प्रयास किए हैं। यहां पर रेस्तरां खोलने तक की बात चली थी। विभिन्न कारणों से यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई।

टाउन हाल का है ऐतिहासिक महत्व: टाउन हाल का निर्माण अंग्रेजी शासन में वर्ष 1860 में शुरू हुआ और 1863 में पूरा हुआ था। निर्माण में उस समय एक लाख 86 हजार रुपये का खर्च हुआ था। इसे पहले इंस्टीट्यूट बिल्डिंग कहा जाता था। यह ए श्रेणी की संरक्षित इमारत भी है।

प्रधानमंत्री ले रहे हैं दिलचस्पी : टाउन हाल के पुनरुद्धार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रुचि ले रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, उच्चस्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री को योजना के बारे में बताया गया था। माना जा रहा है कि यहां बनने वाला संग्रहालय विश्वस्तर का होगा।

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