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कारोबार संभालने वाले परिवार की तीसरी पीढ़ी ने खोली दुनिया की राह़, स्थानीय लोगों को दिया रोजगार

लतीफी सिल्क के अहमद नदीम बताते हैं कि अब हम क्षेत्रीय लोगों से सिल्क लेकर उसे प्रोसेस कर विदेश भी भेज रहे हैं। हम सिल्क के धागे कपड़े और घर में प्रयोग होने वाले अन्य उत्पाद बना रहे हैं। इसमें हम क्षेत्रीय लोगों की सहायता लेते हैं।

By sanjeev GuptaEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Sat, 19 Nov 2022 03:40 PM (IST)
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भारतीय कला को वैश्विक मंच भी देने में अहम भूमिका निभाई है।

संजीव गुप्ता, नई दिल्लीः प्रगति मैदान में चल रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले की थीम से बिहार भी बखूबी कदमताल कर रहा है। हाल नंबर दो में स्थित बिहार मंडप में एक ऐसा स्टाल है, जो न सिर्फ अपने लिए काम कर करता है बल्कि अपने साथ जुड़े लोगों, कर्मचारियों, कारीगरों और उत्पाद को भी ग्लोबल स्तर तक भी पहुंचा रहा है। बिहार के भागलपुर जिले का सिल्क दुनिया भर में मशहूर है। यहां पर तसर सिल्क के काम तो कहने ही क्या। तसर सिल्क शरीर के तापमान को संतुलित रखता है।

विगत तीन दशक से सिल्क के कारोबार में भागलपुर की फर्म लतीफी सिल्क एक्सपोर्ट ने मजबूती से कदम ही नहीं बढ़ाए हैं, बल्कि इस भारतीय कला को वैश्विक मंच भी देने में अहम भूमिका निभाई है। राज्य से राष्ट्रीय स्तर तक पहचान ले जाने का सफर तो फर्म में तय कर लिया, लेकिन इसे विदेश तक पहुंचाना किसी मुहिम से कम नहीं रहा। कारोबार संभालने वाले परिवार की तीसरी पीढ़ी ने वैश्विक बाजार को समझा और बिहार के उत्पाद को वहां तक पहुंचाने की चुनौती को पूरा करने में मेहनत की। इसमें स्थानीय कारीगरों और सिल्क व्यवसाइयो को भी काम मिल रहा है।

स्थानीय लोगों को रोजगार

लतीफी सिल्क के अहमद नदीम बताते हैं कि अब हम क्षेत्रीय लोगों से सिल्क लेकर, उसे प्रोसेस कर विदेश भी भेज रहे हैं। हम सिल्क के धागे, कपड़े और घर में प्रयोग होने वाले अन्य उत्पाद बना रहे हैं। इसमें हम क्षेत्रीय लोगों की सहायता लेते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि कई अन्य लोगो को भी रोजगार मिल सका। अहमद नदीम का कहना है कि वह अपने साथ लगभग 3,000 क्षेत्रीय लोगो को रोजगार दे रहे हैं। साथ ही उन्होंने रिसाइकिल सिल्क का प्लांट भी लगा लिया है, जहां सिल्क के कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट को भी पुनः उपयोग के लिए तैयार किया जाता है।

नदीम का कहना है कि उनके द्वारा उत्पादित सिल्क 80 जीएसएम (ग्राम पर स्क्वाएर मीटर आफ फैब्रिक) से 1,500 जीएसएम तक है। इसका निर्यात अमेरिका, यूरोप और आस्ट्रेलिया तक किया जा रहा है। कभी भागलपुर की गलियों से शुरू हुआ व्यापार आज विदेश में लोकप्रिय है। आज फर्म के रेशम निर्यात की मात्रा करीब 3,000 किलो तक पहुंच चुकी है। नदीम के लिए यह व्यापार मेला भी एक नई उम्मीद लेकर आया है। उन्हें यहां कुछ नए देशों से आर्डर मिलने की उम्मीद है।

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