दिल्ली में कोचिंग सेंटरों की मंडी में सुरक्षा की 'नो गारंटी', छात्रों से लेते हैं मोटी फीस; लेकिन सेफ्टी का नहीं ख्याल
ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित कोचिंग सेंटर राव IAS स्टडी सर्किल के बेसमेंट में पानी भरने से दो छात्राओं और एक छात्र की मौत हो गई। इस दुर्घटना से दिल्ली में स्थित कोचिंग सेंटरों और पीजी में छात्रों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। राजधानी के कई कोचिंग सेंटर में छात्रों की सुरक्षा को लेकर इंतजाम नहीं हैं। कोचिंग सेंटरों में कोई आपातकालीन गेट नहीं है।
रिषभ बाजपेयी, पश्चिमी दिल्ली। कोचिंग सेंटरों गेटा बेहतर भविष्य के सपने दिखाकर शिक्षा के नाम पर विद्यार्थियों से मोटी फीस तो ली जा रही है, लेकिन उनकी सुरक्षा का जरा भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। कोचिंग सेंटर की कक्षाओं में विद्यार्थियों के लिए एसी लगा रखा है मगर उसमें आग लग जाने पर बचाव के लिए बाहर निकलने का कोई आपातकालीन गेट नहीं बना रखा है।
इतना ही नहीं सर्विस रोड के किनारे संचालित हो रहे कोचिंग सेंटरों में अगर कोई हादसा हो जाए तो वहां पर अग्निशमन विभाग की गाड़ी तक नहीं जा सकती है, क्योंकि रास्ते के दोनों तरफ वाहनों की लाइन लगी रहती है। साथ ही कुछ जगहों पर रेहड़ी वाले भी खड़े रहते हैं।
विद्यार्थियों के साथ कभी भी हो सकता है हादसा
सुरक्षा के इंतजाम न होने की वजह से विद्यार्थियों के साथ कभी भी हादसा हो सकता है। जनकपुरी से लेकर गेटका मोड़ तक दो से तीन किलोमीटर के दायरे में कोचिंग सेंटरों की मंडी बनी हुई है। यहां पर छोटे से लेकर बड़े तक 35 से अधिक कोचिंग सेंटर संचालित हैं, जिसमें करीबन पांच कोचिंग सेंटर ऐसे हैं जो कि बेसमेंट में चल रहे हैं।
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कोचिंग सेंटर के एक बैच में रहते हैं करीब 60 विद्यार्थी
यहां पर अधिकतर सेंटरों में आईआइटी जेईई और नीट की तैयारी कराई जाती है। कोचिंग सेंटरों में रोजाना सुबह और शाम के समय विद्यार्थियों की संख्या अधिक रहती है। कोचिंग सेंटर के एक बैच में करीबन 60 विद्यार्थी रहते हैं, जबकि दिनभर में चार-पांच बैंच लगते हैं। इन कोचिंग सेंटरों में प्रतिदिन 10,000 से अधिक बच्चे यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं।
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