Delhi AIIMS में दिल के इलाज में स्वदेशी इंप्लांट के इस्तेमाल पर बढ़ी रार, कार्डियोलॉजी विभाग नहीं मान रहा आदेश
Delhi AIIMS एम्स में दिल व न्यूरो से संबंधित बीमारियों के इलाज में स्वदेशी इंप्लांट के इस्तेमाल और इसके अलावा किसी अन्य इंप्लांट की खरीद पर रोक के आदेश पर रार बढ़ गई है। कार्डियोलाजी विभाग ने भी एक आदेश जारी कर एम्स प्रशासन के इस आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया है। अब इस मामले पर एम्स प्रशासन का रूख क्या होगा यह देखना बाकी है।
By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Fri, 22 Sep 2023 12:30 AM (IST)
नई दिल्ली, रणविजय सिंह। Delhi AIIMS: एम्स में दिल व न्यूरो से संबंधित बीमारियों के इलाज में स्वदेशी इंप्लांट के इस्तेमाल और इसके अलावा किसी अन्य इंप्लांट (विदेश में निर्मित) की खरीद पर रोक के आदेश पर रार बढ़ गई है।
कार्डियोलाजी विभाग ने भी एक आदेश जारी कर एम्स प्रशासन के इस आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया है। अब इस मामले पर एम्स प्रशासन का रूख क्या होगा यह देखना बाकी है। वैसे एम्स प्रशासन ने भी अभी तक आदेश वापस नहीं लिया है। इस आदेश से मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई है और प्रोसीजर प्रभावित हुए हैं।
पिछले सोमवार को एंजियोप्लास्टी, पेस मेकर इंप्लांट सहित अन्य जीवन रक्षक प्रोसीजर नहीं हो पाए थे। इसके बाद कार्डियक सेंटर द्वारा इस मामले पर स्पष्ट रुख अपनाए जाने के बाद एम्स में मरीजों की एंजियोप्लास्टी होने लगी है, लेकिन अन्य प्रोसीजर पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं।
एम्स के कार्डियक सेंटर में बीमारियों के इलाज का पैकेज निर्धारित है। इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेंड, पेस मेकर इत्यादि इंप्लांट अस्पताल के स्टोर से मरीजों को उपलब्ध कराया जाता है। इलाज के बेहतर परिणाम के लिए उच्च गुणवत्ता के इंप्लांट मरीजों को उपलब्ध कराए जाते हैं।
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14 सितंबर को जारी हुआ था आदेश
इस बीच 14 सितंबर को कार्डियक न्यूराे सेंटर (सीएनसी) के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमित लठवाल ने कार्डियक सेंटर, न्यूरो सेंटर के प्रमुख और सभी विभागाध्यक्षों को आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया है कि सीएनसी में सिर्फ उसी चिकित्सा सामानों की खरीद की जाएगी जो 'मेक इंन इंडिया' 2017 आदेश के अनुरूप हो।
मौजूदा कांट्रेक्ट रेट के तहत ऐसे चिकित्सा सामान और इंप्लांट नहीं खरीदे जाएंगे जो 'मेक इंन इंडिया' 2017 के अनुरूप नहीं हो। यह आदेश एम्स के निदेशक डा. एम श्रीनिवास से चर्चा करने के बाद जारी किया गया है। आदेश में कहा गया है कि जो चिकित्सा सामान व इंप्लांट 'मेक इंन इंडिया' 2017 आदेश के मानकों के अनुरूप नहीं है उसकी कीमतें (कांट्रेक्ट रेट) मरीजों की सूचना के लिए विभागाध्यक्षों के कार्यालय में प्रदर्शित किया जाएगा।
मरीजों के पास ये चिकित्सा सामान और इंप्लांट सूचीबद्ध वेंडर या खुले बाजार से खरीदने का विकल्प होगा। ऐसे में मरीजों को खुले बाजार से इंप्लांट खरीदना महंगा साबित हो सकता है। एम्स प्रशासन के इस आदेश से कार्डियक सेंटर के डाक्टर सहमत नहीं है। इसके मद्देनजर कार्डियोलाजी विभाग ने एम्स प्रशासन के आदेश को नहीं मानने का फैसला लिया है।एम्स प्रशासन के फैसले का असर न्यूरो सेंटर के कामकाज पर भी पड़ेगा। इस मामले पर एम्स के मीडिया डिविजन ने चुप्पी साध रखी है। इस मामले पर कार्डियक न्यूरो सेंटर के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डा. अमित लठवाल से भी बात करने की कोशिश की गई
रिपोर्ट इनपुट- रणविजय सिंहयह भी पढ़ें- Delhi AIIMS के न्यू प्राइवेट वार्ड से स्थानांतरित होंगी बच्चों के इलाज की सुविधाएं, प्रशासन ने दिए निर्देश
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