कोरोना वैक्सीन से हार्ट अटैक का कोई संबंध नहीं, COVID टीका लगाने के बाद दिल के दौरे से मौत की संभावना कम
कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की रोकथाम के लिए भारत में इस्तेमाल टीकों कोविशील्ड (Covishield) कोवैक्सीन (Covaxin) और हार्ट अटैक के खतरे के बीच कोई संबंध सामने नहीं आया है। दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती मरीजों पर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। इससे कोरोना संकट के बाद बड़ी संख्या में हार्ट अटैक से हुई मौतों को लेकर उत्पन्न संशय दूर हो गया है।
By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 04 Sep 2023 10:13 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की रोकथाम के लिए भारत में इस्तेमाल टीकों कोविशील्ड (Covishield), कोवैक्सीन (Covaxin) और हार्ट अटैक के खतरे के बीच कोई संबंध सामने नहीं आया है। दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती मरीजों पर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
इससे कोरोना संकट के बाद बड़ी संख्या में हार्ट अटैक से हुई मौतों को लेकर उत्पन्न संशय दूर हो गया है। हाल ही में पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में एक्युट मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एएमआई) या हार्ट अटैक के बाद मृत्यु दर पर कोविड-19 टीकाकरण के प्रभाव का निर्धारण किया गया है।
रोगियों का लिया गया डेटा
अध्ययन में अगस्त, 2021 और अगस्त, 2022 के बीच जीबी पंत अस्पताल में भर्ती हुए 1,578 लोगों के डेटा का इस्तेमाल किया गया। रोगियों में टीके के प्रकार, टीकाकरण की तारीख और प्रतिकूल प्रभावों के विवरण सहित रोगी के टीकाकरण की स्थिति के बारे में डेटा प्राप्त किया गया।कम से कम 1,086 (68.8 प्रतिशत) लोगों को कोरोना रोधी टीका लगाया गया था, जबकि 492 (31.2 प्रतिशत) को टीका नहीं लगाया गया था। टीका लगाने वाले समूह में से 1,047 (96 प्रतिशत) को टीके की दो खुराकें मिलीं, जबकि 39 (4 प्रतिशत) को केवल एक खुराक मिली।
टीकाकरण का दिल के दौरे से कोई संबंध नहीं
अध्ययन में शामिल जीबी पंत अस्पताल के कार्डियोलाजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मोहित गुप्ता ने कहा कि अध्ययन में पाया गया कि भारत में उपयोग किए जाने वाले टीके सुरक्षित हैं। टीकाकरण का दिल के दौरे से कोई संबंध नहीं था। वास्तव में टीका लगाए गए व्यक्तियों में दिल का दौरा पड़ने के बाद मृत्यु की संभावना कम थी।कोविशील्ड और कोवैक्सीन सुरक्षित वैक्सीन
टीकों के प्रतिकूल प्रभाव ज्यादातर हल्के, क्षणिक और सीमित रहे हैं। उन्होंने कहा कि टीके के किसी भी दुष्प्रभाव का भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में विनाशकारी प्रभाव हो सकता है, लेकिन कोविशील्ड और कोवैक्सीन में ऐसा कुछ नहीं है।
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