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Delhi Corona: देश के किसी भी शहर में कोरोना के खिलाफ जंग में दिल्‍ली जैसी तैयारी नहीं : सत्‍येंद्र जैन

दिल्‍ली के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सत्‍येंद्र जैन कोरोना के खिलाफ जंग में पूरी मुस्‍तैदी से जुटे हुए हैं। उन्‍होंने दिल्‍ली के मौजूदा हालात पर समाचार एजेंसी एएनआइ को जानकादी देते हुए बताया कि फिलहाल दिल्‍ली में 18800 बेड दिल्‍ली में हैं जिसमें से 13000 खाली पड़े हैं।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Thu, 10 Dec 2020 04:45 PM (IST)
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दिल्‍ली के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सत्‍येंद्र जैन। फाइल फोटो।
नई दिल्‍ली, एएनआइ। दिल्‍ली के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सत्‍येंद्र जैन कोरोना के खिलाफ जंग में पूरी मुस्‍तैदी से जुटे हुए हैं। उन्‍होंने दिल्‍ली के मौजूदा हालात पर समाचार एजेंसी एएनआइ को जानकादी देते हुए बताया कि फिलहाल दिल्‍ली में 18800 बेड दिल्‍ली में हैं जिसमें से 13000 खाली पड़े हैं। उन्‍होंने यह भी बताया कि देश के दूसरे शहरों में कही भी इतनी संख्‍या में बेड नहीं हैं। आगे कहा कि यह बीमारी जो महामारी का रूप ले चुकी है इसमें उतार चढ़ाव होते रहते हैं लेकिन इसकी प्रवृत्‍ति स्‍थिर होनी चाहिए। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से दि ल्‍ली में कोरोना का संक्रमण काफी कम हुआ है और इस बीमारी से होने वाली मौत भी काफी कम हुई है। 

राजधानी में क्‍या है कोरोना की चाल

बीते 24 घंटे की बात की जाए तो दिल्‍ली में कोरोना की चाल पिछले कुछ दिनों के मुकाबले थोड़ी सुस्‍त दिख रही है। बुधवार को 72079 सैंपलों की जांच की गई जिसमें 2463 नए मामले सामने आए। संक्रमण दर की बात की जाए तो यह दर भी घट कर 3.42 फीसद पर आइ गई है। इस महामारी से मौत की बात की जाए तो पिछले 24 घंटे में इस बीमारी के कारण 50 मरीजों ने दम तोड़ दिया है।

आरक्षित बेड में 50 प्रतिशत खाली हैं तो समीक्षा की जरूरत

इससे पहले हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि निजी अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के लिए आरक्षित आइसीयू बेड में से लगभग 50 प्रतिशत खाली पड़े हैं तो तुरंत समीक्षा करने की जरूरत है। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी निजी अस्पताल एसोसिएशन के वकील द्वारा अवगत कराए जाने पर दी।

हाई कोर्ट को बताया गया कि कोविड-19 रोगियों के लिए आरक्षित 5,081 आइसीयू बेड में से मंगलवार तक 2,360 खाली थे। ऐसे में दिल्ली सरकार के 12 सितंबर को जारी आदेश का कोई औचित्य नहीं रह जाता है, जिसके मुताबिक 50 फीसद बेड आरक्षित करना आवश्यक है। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने दिल्ली सरकार से इस पर विचार करने और 15 दिसंबर से पहले प्रतिक्रिया दायर करने को कहा है।

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