Ayodhya Ram Mandir: जानिये- कैसे आप भी राम मंदिर के लिए दे सकते हैं अपना योगदान
Ayodhya Ram Mandir भूमि पूजन के बाद पहली बार श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने आम लोग से दान के लिए हाथ फैलाया है। दान में भी महज 10 हजार तांबे की पत्तियां मांगी हैं।
By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 21 Aug 2020 09:18 AM (IST)
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में बनाए जा रहे भव्य राम मंदिर में आप भी अपना योगदान देने के साथ उससे जुड़ सकते हैं। दरअसल, नामराम मंदिर के निर्माण में लगने वाली इन पत्तियों पर दानकर्ता अपना परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। बता दें कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण में लगने वाले भाग्यशाली पत्थरों को जोड़ने में तांबे की पत्तियों का प्रयोग होगा, ताकि मौसम की हर मार झेलते हुए भी देश की अस्मिता, संस्कृति और आस्था का यह प्रतीक सैकड़ों साल तक अडिग रहे। यहीं तांबे की पत्तियां आम जन को भी राम से जोड़ेंगी।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त को भूमि पूजन के बाद पहली बार श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने आम लोग से दान के लिए हाथ फैलाया है। दान में भी महज 10 हजार तांबे की पत्तियां मांगी हैं। ट्रस्ट ने कहा कि मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का प्रयोग किया जाएगा। खास बात कि मंदिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। ट्रस्ट आह्वान करता है कि तांबे की पत्तियां दान करें। वैसे, ट्वीट पर इस मांग पर कुछ ही घंटे में हजारों दानकर्ता आगे आ गए हैं। वहीं, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी। अपितु मंदिर निर्माण में संपूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।
मंदिर निर्माण पर हुई गहन चर्चा
दिल्ली स्थित नेहरू मेमोरियल में मंदिर निर्माण समिति के पदाधिकारियों की बैठक भी हुई। जिसमें मंदिर निर्माण और नक्शे को लेकर गहन चर्चा हुईं। समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र व चंपत राय के अलावा ट्रस्टी अनिल मिश्र, कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी जी महाराज, विहिप के वरिष्ठ पदाधिकारी दिनेश चंद, संघ के सरकार्यवाह भैया जी जोशी व सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल भी मौजूद रहे। मंदिर के वास्तुकार सोनपुरा व निर्माण की कंपनी लार्सन एंड टर्बो (एलएंडटी) के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में मंदिर के नए नक्शे के साथ निर्माण कार्य शुरू करने पर चर्चा हुई। नए नक्शे को अभी स्थानीय निकाय से मंजूरी भी लेना है।
जानें खासियत
- मंदिर का निर्माण देश की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है।
- इसका निर्माण इस तरह से किया जा रहा है कि यह 1000 साल से भी अधिक समय तक न केवल खड़ा रहे, बल्कि भूकंप, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा भी इसे किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुंचा सकें। इसके लिए मजबूत नींव तैयार होगी।
- नींव में एक मीटर मोटे 1200 पिलर 30 से 35 मीटर गहराई में स्थापित किए जाएंगे। इसमें केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) रुड़की व आइआइटी चेन्नई मदद कर रहे हैं।
- वहीं मंदिर निर्माण भूमि से मिट्टी के नमूने लेकर उनकी जांच की जा रही है।
- ट्रस्ट ने उम्मीद जताई है कि मंदिर का निर्माण 36 से 40 माह में पूरा हो जाएगा।
ये होना चाहिए आकार
ट्रस्ट ने तांबे की पत्ती का आकार भी बताया है। यह 18 इंच लंबा, तीन एमएम गहरी और 30 एमएम चौड़ी होनी चाहिए।
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