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Delhi Food Festival: कनाट प्लेस में शुरू हुआ तीन दिवसीय फूड फेस्टिवल, यहां लीजिये लजीज व्यंजनों का स्वाद

Delhi Food Festival 2022 दिल्ली में आयोजित इस फूड फेस्टिवल की खास बात यह है कि यहां सिंगल यूज प्लास्टिक से जंग का संदेश देने के लिए पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

By Abhishek TiwariEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 02:51 PM (IST)
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Delhi Food Festival: कनाट प्लेस में शुरू हुआ तीन दिवसीय फूड फेस्टिवल
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अगर आप पाव भाजी से लेकर ढोकले और दही भल्ले में मिट्टी का स्वाद लेना चाहते हैं तो इसके लिए तीन दिवसीय फूड फेस्टिवल (Food Festival) कनाट प्लेस के चरखा पार्क में शुरू हो गया है। 21 अगस्त तक चलने वाले इस फूड फेस्टिवल की खासियत इसे पर्यावरण अनुकूल बनाना है। जो कि सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्पों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

चाहे मिट्टी का तवा हो या फिर मिट्टी की कढ़ाई, कुल्हड और प्लेट से मटका आदि लोगों दिखाएं जा रहे हैं। यहां संदेश देने की कोशिश होगी कि किस प्रकार से यह मिट्टी के बर्तन सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ जंग में हथियार बन सकते हैं। हल्दीराम से लेकर चायोज, कुल्हड़ चाय वाला, सरवना भवन, खानदानी पकोड़ा, जलेबा, राजस्थान व दक्षिण भारतीय व्यंजनों को लेकर विभिन्न नामचीन और स्थानीय फूड चेन के विक्रेता आए हैं।

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फेस्टिवल में सिंगल यूज प्लास्टिक का नहीं हो रहा उपयोग

यह पहली बार ऐसा फेस्टिवल हैं जिसमें सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए प्रतिबंधित 19 वस्तुओं में से कोई भी वस्तु यहां उपयोग नहीं की जा रही है। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) द्वारा आयोजित इस फूड फेस्टिवल में विक्रेताओं को मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने और परोसने की शर्त पर निश्शुल्क स्थान व स्टाल उपलब्ध कराए गए हैं।

यहां पर हल्दीराम के एक स्टाल पर 80 रुपये से लेकर 200 रुपये की चाट के कई आइटम हैं। जिसमें पानीपूरी, भल्ला पापड़ी, पापड़ी चाट, स्पेशल दही भल्ला और राजकचौड़ी जैसी वस्तुएं उपलब्ध हैं। इसी प्रकार से करोल बाग के कुल्हड़ चाय वाले के चाय और बड़ा पाव उपलब्ध हैं।

मिट्टी के बर्तनों का उपयोग गरीबी दूर करने का माध्यम

हल्दीराम के स्टाल संचालक संदीप ने बताया कि हमारे हल्दीराम के 101 आउटलेट्स हैं। हम जबसे सिंगल यूज प्लास्टिक के जिन वस्तुओं को प्रतिबंधित किया गया है उनका उपयोग नहीं कर रहे हैं। हमारे रेस्तरां में भी मिट्टी के बर्तनों का उपयोग हो रहा है।

प्लास्टिक के गिलास प्लेट की अपेक्षा में मिट्टी के बर्तन महंगे तो जरुर हैं, लेकिन यह हमारे देश के गरीबों की गरीबी दूर करने का माध्यम भी है। यह पैसा सीधे तौर पर गरीबों में जाता है, क्योंकि इन बर्तनों को गरीब कुम्हार बनाता है। जिससे हम पर्यावरण के अनुकुल वस्तुएं प्रयोग तो करते ही हैं बल्कि गरीबों की भी मदद करते हैं। एनडीएमसी द्वार आयोजित इस फूड फेस्टिवल का हिस्सा बनकर अच्छा लग रहा है। ऐसे अन्य आयोजन भी होते रहने चाहिए।

मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित होंगे लोग

कुल्हड़ चाय के स्टाल संचालक अजीत ने बताया कि हमारी करोल बाग समेत दिल्ली में विभिन्न आउटलेट्स हैं। हम यहां कुल्हड में चाय उपलब्ध कराएंगे। हमारे आउटलेट में पहले से ही मिट्टी के इन बर्तनों का उपयोग हो रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक का हम उपयोग नहीं कर रहे हैं।

इसी को हम यहां दिखाने आए हैं। जब लोग यहां से देखकर जाएंगे तो अपने घरों में और विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन में मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

यह भी जानें-

समय: दोपहर 12 बजे रात्रि 9 बजे तक

स्थान: चरखा पार्क, कनाट प्लेस

आयोजन: 19 से 21 अगस्त तक

सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल के खिलाफ NDMC ने छेड़ रखी है जंग

एनडीएमसी सदस्य कुलजीत चहल ने बताया कि एनडीएमसी ने सिंगल यूज प्लास्टिक को उपयोग न करने के खिलाफ जंग छेड़ रखी है। लोगों को विकल्प दिखाने के लिए इस फूड फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है।

मिट्टी के बर्तन न केवल पर्यावरण के अनुकुल होते हैं बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी होते हैं। इसलिए इस स्वाद मिट्टी के नाम से फूड फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है।

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