Tihar Jail: अपराध का गढ़ बना तिहाड़, मर्डर और गैंगवार ने लगाया जेल की साख पर बट्टा
देश की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक मानी जाने वाली तिहाड़ जेल इन दिनों अपराध का गढ़ बन गई है। जेल से आए दिन गैंगवार और झड़प की खबरें सामने आती रहती हैं। इसी कारण कह सकते हैं कि जेल की सुरक्षा केवल कागजी तौर पर दुरुस्त है।
By Nitin YadavEdited By: Nitin YadavUpdated: Sat, 06 May 2023 12:47 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। एशिया की सबसे बड़ी जेल कही जाने वाले तिहाड़ जेल में देशभर के कुख्यात अपराधी और गैंगस्टर बंद हैं। इस जेल को भारत की सबसे सुरक्षित जेलों में भी गिना जाता है, लेकिन बीते दिनों जेल के अंदर टिल्लू ताजपुरिया और प्रिंस तेवतिया की हत्या के बाद जेल के अंदर की सिक्योरिटी कागजी तौर पर ही दुरुस्त नजर आ रही है जबकि हकीकत में स्थिति काफी खराब है।
टिल्लू और प्रिंस तेवतिया तो महज दो नाम हैं, लेकिन अपराधियों ने तिहाड़ के मुंह पर अपने बदले की स्याही पोत दी है। आइए जानते हैं कि तिहाड़ को शर्मसार करने वाली इस जुर्म की दुनिया की शुरुआत कहां से हुई।
रसूख और वीआईपी कल्चर से पटी तिहाड़ की दीवारें
दिल्ली की तिहाड़ जेल में साल-दर-साल गैंगवार और कैदियों के बीच झड़प बढ़ती जा रही हैं, जिससे मालूम होता है कि तिहाड़ की लंबी-लंबी दीवारें कैदियों के रसूख, वीआईपी कल्चर और नोटों के बंडल के बीच पटी हुई नजर आ रही हैं।जेल में सजा काट रहे अपराधियों को देश-दुनिया की गतिविधियों से दूर रखना है, लेकिन तिहाड़ जेल इस मामले में भी बदनाम है। यहां के कैदी धड़ल्ले से मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। जेल कर्मियों की आंखों में धूल झोंककर कैदी जेल के अंदर मोबाइल फोन लेकर आते हैं।बीते साल में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया था, जब एक कैदी के पेट में 5 मोबाइल मिले थे। आरोपित कैदी स्मगलिंग कर जेल के अंदर फोन लाया था। वह इन फोन को दूसरे कैदियों को बेचकर पैसे कमाना चाहता था।
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब कैदी अपने पेट से फोन निकालने में सफल नहीं हो पाया। मजबूरन उसे जेल अधिकारियों को इसकी जानकारी देनी पड़ी। पहले तो किसी ने उसकी बात का भरोसा नहीं किया, लेकिन जब डॉक्टरों ने उसकी जांच की, तो सभी दंग रह गए। कैदी ने बताया कि उसने सारे फोन निगल लिए थे। डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर कैदी के पेट से फोन निकाले।
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तिहाड़ जेल में नशीले पदार्थों की स्मगलिंग काफी बड़े पैमाने पर की जाती है। ड्रग्स, चरस, गांजा, तंबाकू जैसे नशीले पदार्थ को जेल के अंदर लाने के लिए कैदी नए-नए हथकंडे अपनाते हैं और फिर इन्हें जेल के अंदर कैदियों को महंगे दामों पर बेचते हैं। ड्रग्स स्मगलिंग का एक हैरान कर देने वाला मामला पिछले साल भी सामने आया था, जब तिहाड़ की जेल नंबर-3 में एक कैदी ने स्पीड पोस्ट से चरस और तंबाकू की बड़ी खेप मंगवाई थी। कैदी ने कपड़े और चप्पलों के नाम पर पार्सल मंगाया था। जेल अधिकारियों को शक हुआ तो तलाशी ली गई। पार्सल खोलने पर उसमें से कपड़े और चप्पल ही निकली, लेकिन उसके अंदर चरस और गांजा भरा हुआ था।अधिकारियों पर लग चुका है हत्या का आरोप
तिहाड़ जेल में खूंखार कैदियों से निपटने के लिए कई बार जेल अधिकारियों को सख्त रुख अपनाना पड़ता है, लेकिन कई बार सख्ती हैवानियत में बदलते देर नहीं लगती। ऐसा ही कुछ गैंगस्टर अंकित गुर्जर के साथ हुआ। तिहाड़ जेल में बंद अंकित गुर्जर की 3 अगस्त, 2021 को अचानक मौत हो गई। परिजनों ने जेल अधिकारियों पर अंकित के साथ बर्बरता का आरोप लगाया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने भी परिजनों के आरोप को सही ठहराया। तिहाड़ जेल नंबर 3 के डिप्टी जेलर नरेंद्र कुमार मीणा, सहित जेल कर्मचारी राम अवतार मीणा, दिनेश छिकारा, हरफूल मीणा, विनोद कुमार मीणा और दीपक डबास सहित छह लोगों के खिलाफ अंकित की पीट-पीटकर हत्या करने का मामला दर्ज किया गया था।चार्ल्स शोभराज ने लगाई थी जेल की सुरक्षा में सेंध
जब-जब तिहाड़ जेल की व्यवस्था में चूक पर चर्चा की जाती है तो चार्ल्स शोभराज का जिक्र जरूर होता है। बिकिनी किलर नाम से मशहूर चार्ल्स शोभराज ने वर्ष 1972-1976 के बीच 24 लोगों की हत्या की थी, जिसमें ज्यादातर विदेशी महिलाएं शामिल थीं। तिहाड़ जेल में उसे फाइव स्टार होटल की तरह ट्रीटमेंट मिलता था। 1986 में चार्ल्स अपने साथियों के साथ तिहाड़ जेल से भाग गया, जिसकी कहानी किसी फिल्म स्क्रीप्ट से कम नहीं है। चार्ल्स शोभराज के बारे में कहा जाता है कि हिंदुस्तान में कोई भी जेल इतनी मजबूत नहीं बनी, जो उसे कैद करके रख सके। 16 मार्च, 1986 को चार्ल्स शोभराज ने जेल में अपना जन्मदिन मनाया और केक में नशा मिलाकर सभी जेलकर्मियों को खिला दिया था और तिहाड़ के मजबूत तालों को तोड़कर अपने साथियों के साथ फरार हो गया। तिहाड़ जेल की इतिहास में इस तरह की लापरवाही का यह पहला मामला था। इस घटना के बाद तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट, जेलर, डिप्टी जेलर सहित तमाम सुरक्षाकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया था।किरण बेदी ने दिलाई अलग पहचान
देश की सबसे बड़ी जेल पहली बार पूरी दुनिया के आगे अच्छी वजह से चर्चाओं में तब आई जब देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने जेल का माहौल बदल दिया। उन्होंने तिहाड़ के अंदर विपस्सना सेंटर की शुरुआत कराई, ताकि अपराधियों को जुर्म की दुनिया से निकालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके। इसी पहल का नतीजा था कि साल 2014 में 60 से ज्यादा कैदियों को कई नामी कंपनियों में नौकरियां मिली। साथ ही एक कैदी ने जेल में रहते हुए UPSC की परीक्षा भी पास कर ली थी।तिहाड़ का इतिहास
आजादी के 10 साल बाद साल 1957 में यह जेल बन कर तैयार हुई थी। यह जेल दिल्ली में स्थित तिहाड़ गांव के पास बनाई गई थी, लेकिन बाद में जेल का विस्तार होते हुए गांव तक पहुंच गया। इसी वजह से इसको तिहाड़ का नाम मिला।सुरक्षा के लिहाज से तीन तरह के वार्ड
दिल्ली की जेलाें में सुरक्षा के लिहाज से जेल के वार्डों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें जनरल वार्ड, स्पेशल सिक्योरिटी वार्ड व हाई रिस्क सिक्योरिटी वार्ड शामिल हैं।प्रशिक्षण पर उठ रहे सवाल
टिल्लू मामले में अब जेल संचालन से जुड़े कार्याें में संलग्न कर्मियों के प्रशिक्षण पर सवाल उठने लगे हैं। जेलकर्मियों को विपरीत परिस्थिति को कैसे काबू करें, इसका प्रशिक्षण जरूर दिया जाता होगा। खतरनाक कैदी जब बेकाबू होने लगे, तब उन्हें काबू कैसे किया जाए, इसकी भी जानकारी दी जाती होगी। साहस, बलिदान का भी पाठ पढ़ाया जाता होगा, लेकिेन टिल्लू मामले में ऐसा लग रहा है मानों तमिलनाडु पुलिस व जेलकर्मियों को प्रशिक्षण के दौरान सिखाए गए पाठ का एक भी हिस्सा याद नहीं आया।