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Tihar Jail Prisoner: नए साल से तिहाड़ जेल के कैदी पढ़ेंगे भगवद गीता, जीवन सुधारने को लिया जाएगा संकल्प

नए साल के मौके पर द्वारका इस्कान द्वारा तिहाड़ जेल के कैदियों के कल्याणार्थ गीता का वितरण होगा। इसके लिए तैयारी हो चुकी है। हालांकि इस्कान प्रबंधन मानता है कि सनातन धर्म के लोगों के लिए नव वर्ष चैत्र पूर्णिमा से आरंभ होता है।

By Biranchi Kumar SinghEdited By: GeetarjunUpdated: Fri, 30 Dec 2022 10:30 PM (IST)
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नए साल से तिहाड़ जेल के कैदी पढ़ेंगे भगवद गीता, जीवन सुधारने को लिया जाएगा संकल्प
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नए साल के मौके पर द्वारका इस्कान द्वारा तिहाड़ जेल के कैदियों के कल्याणार्थ गीता का वितरण होगा। इसके लिए तैयारी हो चुकी है। हालांकि, इस्कान प्रबंधन मानता है कि सनातन धर्म के लोगों के लिए नव वर्ष चैत्र पूर्णिमा से आरंभ होता है। चूंकि एक जनवरी को नया साल पूरा विश्व मना रहा होता है, तब जेलों में बंद कैदी निराश हो उठते हैं।

उनकी निराशा को खुशियों में तब्दील करने के लिए गीता मैराथन और नव वर्ष के अवसर पर इस्कॉन द्वारका दिल्ली ने मानव कल्याण की दिशा में यह कदम उठाया है। इस दिन को भी इस्कान उत्सव मनाएगा। तिहाड़ के कैदियों के बीच भागवत गीता का वितरण करेगा।

संकुचित सोच बदलने का प्रयास

इस्कान कैदियों के कल्याण के लिए भागवत गीता वितरण कर उनकी संकुचित सोच को बदलने की दिशा में भी प्रयास करेगा। मंदिर प्रबंधक अर्चित दास कहते हैं कि भागवत गीता मात्र भगवान कृष्ण के उपदेश नहीं, बल्कि अपने जीवन को चलाने और सुधारने का ‘लाइफ मैनुअल है।

सकारात्मक सोच होना जरूरी

व्यक्ति के जीवन में परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, सकारात्मक सोच के माध्यम से उनसे उबरा जा सकता है। आत्म सुधार की दिशा में कैदियों से संकल्प लिया जाएगा कि वे इस नए साल में अपने जीवन को सुधारने का प्रयास करेंगे। इस अवसर पर उनके साथ केक कटिंग सेलिब्रेशन भी मनाया जाएगा।

हर दिन नया, ताजगी भरा

मंदिर के वरिष्ठ प्रबंधक अर्चित दास कहते हैं कि हर दिन नया है, ताजगी से भरा है। हर दिन हमें भगवान से नई ऊर्जा मिलती है, प्रेरणा मिलती है, आत्मशक्ति को पहचानने की और कर्म करने की। पर फिर भी सब नए साल की परंपरा को मनाते हैं, उत्साहित होते हैं, संकल्प लेते हैं कि जिन उद्देश्यों को हम पिछले साल पूरा नहीं कर पाए, इस साल उन्हें पाने का प्रयास करेंगे।

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जैसे कुछ लोग साल में एक बार मंदिर आते हैं, वे हर महीने भगवान का दर्शन करने का संकल्प ले सकते हैं। जो हर महीने आते हैं तो कोई जन्मदिवस पर, वे प्रतिदिन आने का संकल्प ले सकते हैं। इस तरह हम बच्चों को भी छोटे-छोटे संकल्प लेने की ओर प्रेरित कर सकते हैं।

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