Move to Jagran APP

Tihar Jail: तिहाड़ सिर्फ जेल ही नहीं बल्कि कई फैक्ट्रियों का है हब, संख्या जानकर रह जाएंगे हैरान, करोड़ों का कारोबार

Tihar Jail रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली की जेलों में कैदियों ने वर्ष 2021 में 19.32 करोड़ रुपये मूल्य के उत्पाद बनाए। पूरे देश में दिल्ली से पहले केवल दो राज्य तमिलनाडु व तेलंगाना ही हैं जहां कैदियों ने दिल्ली के कैदियों से अधिक मूल्य के उत्पाद बनाए हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Tue, 13 Sep 2022 10:54 AM (IST)
Hero Image
Tihar Jail:- तमिलनाडु, तेलंगाना के बाद तीसरे स्थान पर पहुंची दिल्ली की जेल।
नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। Tihar Jail: एनसीआरबी (NCRB)द्वारा देश की सभी जेलों की स्थिति पर जारी सलाना रिपोर्ट में दिल्ली की जेलों से जुड़ी कुछ सकारात्मक बातें कही गई हैं। रिपोर्ट में दिल्ली की जेलों में कैदियों द्वारा बनाए जा रहे उत्पाद व तिहाड़ परिसर(Tihar Campus) की एकमात्र महिला जेल में कैदियों के लिए चलाए जा रहे प्रोफेशनल कोर्स का विशेष तौर पर जिक्र किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली की जेलों में कैदियों ने वर्ष 2021 में 19.32 करोड़ रुपये मूल्य के उत्पाद बनाए। पूरे देश में दिल्ली से पहले केवल दो राज्य तमिलनाडु(Tamilnadu) व तेलंगाना(Telengaana) ही हैं, जहां कैदियों ने दिल्ली के कैदियों से अधिक मूल्य के उत्पाद बनाए हैं। शेष राज्य हो या केंद्र शासित प्रदेश सभी दिल्ली(Delhi) से नीचे ही हैं।

जेलों में 35 फैक्ट्रियां

तिहाड़ में सबसे पहले वर्ष 1960 में कागज निर्माण से जुड़ी फैक्ट्री खोली गई थी। तब से विस्तार होते होते आज दिल्ली की विभिन्न जेलाें में करीब 35 फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों में परिधान से लेकर ईत्र तक का निर्माण किया जाता है। यहां की बेकरी, सिलाई- बुनाई, हथकरघा, लकड़ी से बने सामान, सरसों तेल, मसाले, पेंटिंग्स, कागज बनाने से जुड़ी यूनिट काफी प्रसिद्ध हैं। यहां बने उत्पादों की ब्रांडिंग टीजे नाम से की जाती है। टीजे के दिल्ली में कई जगह आउटलेट हैं। इनमें दिल्ली के सभी जिला न्यायालय परिसर, हाई कोर्ट व पूसा परिसर शामिल है।

जेल संख्या दो में सबसे बड़ी फैक्ट्री

तिहाड़ परिसर(Tihar Jail) स्थित जेल संख्या दो में सबसे बड़ी फैक्ट्री है। यहां कारपेंट्री व बेकरी से जुड़ी फैक्ट्रियां हैं। इनमें सैकड़ों की तादाद में कैदी काम करते हैं। कारपेंट्री के तहत यहां कार्यालय या घेरलू उपयोग से जुड़े फर्नीचर बनाए जाते हैं। तिहाड़ की बेकरी भी काफी प्रसिद्ध है। लेकिन बेकरी का अधिकांश सामान जेलों की कैंटीन में ही खपत हो जाता है।

जेल संख्या आठ- नौ में कंबल बनाया जाता है। वहीं जेल संख्या चार में कागज व जूट से जुड़े सामान बनाए जाते हैं। जेल संख्या एक में हथकरघा इकाई कुछ समय पहले ही स्थापित की गई। यहां प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के निर्माण की यूनिट कुछ वर्ष पहले ही लगाई गई थी।

कुशल कारीगर के कारण सफल है तिहाड़ की फैक्ट्रियां

तिहाड़ की फैक्ट्रियां इस मामले में अलग हैं कि यहां काम करने वाले सभी कैदी ही होते हैं। कैदी अपनी रुचि व क्षमता के अनुसार हुनरमंद बनें इसके लिए जेलों में कई तरह के व्यवसायिक काेर्स कराए जाते रहते हैं। इसका सबसे पहला तत्कालिक फायदा जेल प्रशासन को ही होता है।

फैक्ट्री संचालन के जरूरी कुशल या अर्धकुशल मानव संसाधन उसे जेल में ही मिल जाते हैं। यहां एलईडी बल्व निर्माण, गैराज मैकेनिक, प्लंबर, कारपेंट्री व अन्य तमाम विधाओं के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। अपनी विधा में कुशल कैदियों को जेल की फैक्ट्री में कार्य करने के एवज में 308, अर्धकुशल को 225 व अकुशल को 200 रुपये का भुगतान किया जाता है। कई ऐसे भी कैदी हैं, जो यहां अर्जित कमाई का एक बड़ा हिस्सा अपने परिवार को भेजते हैं।

महिला जेल में कई तरह के व्यवसायिक कोर्स

एनसीआरबी की रिपोर्ट में तिहाड़ की महिला जेल (Lady Jail)का विशेष जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां बने फैशन लैब(Fashion Hub) में जो बुटिक है वहां कैदियों को अत्याधुनिक परिधान बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। आभूषण डिजाइन भी यहां महिला कैदी अपनी इच्छा से सीखती हैं। इसके अलावा यहां कुंभकारी, अचार व नमकीन बनाना, पेंटिंग्स बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।