Delhi Education News : टीकरी कलां स्कूल में कुप्रबंधन और सियासी रोड़ा, 1800 छात्राओं के लिए मात्र 20 क्लासरूम
टीकरी कलां नगर निगम प्राथमिक कन्या स्कूल में छात्राओं के लिए सुबह और छात्रों के लिए शाम की पारी तय की गई थी। इससे बच्चों को बैठने के लिए अधिक क्लास रूम उपलब्ध हो सकते थे और जलभराव की स्थिति में भी हालात नहीं बिगड़ते। स्थानीय लोगों के अनुसार छात्रों के स्कूल में स्थानीय नेता के करीबी पढ़ाते हैं उनकी सहूलियत देख इसे दूसरी पारी में नहीं होने दिया गया।
धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। टीकरी कलां नगर निगम प्राथमिक कन्या स्कूल में 1,800 छात्राओं के लिए मात्र 20 क्लास रूम... इस विडंबनापूर्ण स्थिति के लिए साधन-संसाधन की कमी नहीं, बल्कि कुप्रबंधन और सियासत जिम्मेदार है। एक साल पहले दो पारी (सुबह-शाम) में स्कूल संचालन के सर्कुलर पर अमल किया गया होता, तो आज एक क्लास रूम में 90-90 छात्राओं को पढ़ने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता।
राजनीतिक हस्तक्षेप रोड़ा बन रही
टीकरी कलां के एक परिसर में चल रहे छात्र-छात्राओं के प्राथमिक स्कूल के संचालन को एक पारी के बजाय दो पारियों (सुबह-शाम) में कर दिया जाए, तो क्लास रूम की क्षमता दोगुनी हो जाती। बताया जाता है कि स्थानीय प्रभावशाली नेताओं के दबाव में नरेला नगर निगम के इस सर्कुलर को अमल में नहीं लाया गया। बेटियों की बेहतर पढ़ाई में प्रशासनिक हीलाहवाली व राजनीतिक हस्तक्षेप रोड़ा बन रही है।
दो प्राथमिक स्कूल चल रहे
दो पारी में स्कूल हो, तो मिलेंगे 45 क्लास रूमः लगातार दो साल से वर्षा के पानी से स्कूल तालाब बन जाता है और क्लास रूम की कमी के चलते स्कूल, स्कूल कम बाड़ा ज्यादा नजर आता है। इस स्कूल के एक ही परिसर में अगल-बगल छात्र-छात्राओं के दो प्राथमिक स्कूल चल रहे हैं। दोनों स्कूल एक पारी यानी सुबह में ही संचालित होते हैं।
दो पारी में संचालन की योजना बनाई
छात्राओं के लिए 20 कमरे और छात्रों के लिए लगभग 25 कमरे आवंटित हैं। छात्राओं की संख्या 1,800 और छात्रों की 1,600 से अधिक है। यानी, 45 कमरों में लगभग साढ़े तीन हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में क्लास रूम की संख्या कम होने की समस्या के समाधान के लिए नरेला नगर निगम ने पिछले साल छात्र-छात्राओं को दो पारी (सुबह-शाम) में संचालन की योजना बनाई।
स्थानीय नेता के करीबी पढ़ाते हैं, ऐसे में...
छात्राओं के लिए सुबह और छात्रों के लिए शाम (दोपहर एक बजे से शाम छह बजे तक) की पारी तय की गई थी। इस प्रस्ताव में यह भी बताया गया था कि दो पारियों के स्कूल के संचालन से दोनों ही पारियों के बच्चों को बैठने के लिए अधिक क्लास रूम उपलब्ध हो सकेंगे और जलभराव की स्थिति के दौरान भी हालात नहीं बिगड़ेंगे, क्योंकि जहां छात्र पढ़ाई करते हैं स्कूल के उस हिस्से में जलजमाव नहीं होता है।
स्थानीय लोगों के अनुसार छात्रों के स्कूल में स्थानीय नेता के करीबी पढ़ाते हैं, उनकी सहूलियत के कारण इसे दूसरी पारी में नहीं होने दिया गया। टीकरी कलां गांव के कई अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में बच्चों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर दो पारियों में चलाया जाना चाहिए।
दो पारियों में दिल्ली में नगर निगम के लगभग 1,550 स्कूल
चार सौ स्कूल चलते हैं दो पारियों में दिल्ली में नगर निगम के लगभग 1,550 स्कूल हैं, इनमें से अनुमानित 400 स्कूल दो पारी में चल रहे हैं। दिल्ली सरकार के 250 से अधिक स्कूलों का संचालन शाम की पारी और 800 से अधिक का संचालन सुबह की पारी में होता है।
अभिभावक चाह रहे तो करेंगे विचार
"ग्रामीण क्षेत्रों में दो पाली में कक्षाएं कहीं नहीं लगती हैं लेकिन अभिभावक चाहेंगे तो इस पर विचार किया जाएगा। वैसे इस समस्या के समाधान के लिए स्कूल के पास ही 25 नए कमरे बनाए जाने की योजना बनाई है। इसका प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जाएगा।"
-गजेंद्र दराल, विधायक मुंडका, विधानसभा क्षेत्र
अधिकारियों से करेंगे चर्चा
"स्कूल में ज्यादा बच्चे होने की जानकारी मेरे संज्ञान में आई है। छात्राओं को इस तरह की स्थिति में पढ़ने के लिए बिल्कुल नहीं छोड़ा जाएगा। अधिकारियों को बुलाकर इस पर चर्चा करूंगा कि कैसे इसका समाधान किया जा सकता है।"
-राजा इकबाल सिंह, महापौर, दिल्ली
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