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Kidney Cancer: ब्लड में अधिक भारी धातु बन सकती हैं गुर्दा कैंसर का कारण, खानपान का रखें ख्याल

kidney Cancer Symptoms विशेषज्ञ के मुताबिक भारी धातु शरीर में पानी भोजन हवा या त्वचा पर कोई चीज लगने से पहुंचती हैं। इसकी विषाक्तता से कैंसर सहित कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं। इसके दुष्प्रभाव से आक्सीडेशन स्ट्रेस बढ़ता है।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Sun, 29 Jan 2023 08:35 AM (IST)
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Kidney Cancer: ब्लड में अधिक भारी धातु बन सकती हैं गुर्दा कैंसर का कारण
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दूषित खानपान और प्रदूषित हवा के कारण लोगों के शरीर में भारी धातु भी पहुंच रही हैं। इनकी अधिकता गुर्दा (किडनी) कैंसर का एक बड़ा कारण हो सकती है। एम्स के एनाटमी व यूरोलाजी विभाग के डाक्टरों के एक शोध में यह बात सामने आई है। इस शोध के दौरान किडनी कैंसर के मरीजों के रक्त में सामान्य लोगों की तुलना में आर्सेनिक, कापर, मैग्नीज, सेलेनियम, कैडमियम, लेड व मर्करी जैसी भारी धातु अधिक मिलीं।

डाक्टर इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि गुर्दा कैंसर और भारी धातु के बीच संबंध है। एम्स का यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल यूरोलाजिक आंकोलाजी में प्रकाशित हुआ है। शोध में शामिल डाक्टरों का दावा है कि किडनी मरीजों के रक्त में भारी धातु की मौजूदगी का यह पहला शोध है।

एनाटमी के विभागाध्यक्ष डा. ए. शरीफ ने बताया कि किडनी कैंसर के 76 मरीजों और 67 सामान्य लोगों के ब्लड व यूरिन के सैंपल लेकर भारी धातु की जांच कर उनका तुलनात्मक अध्ययन किया गया। किडनी कैंसर के 43.4 प्रतिशत मरीजों के ब्लड में एक या उससे अधिक भारी धातु सामान्य स्तर से अधिक पाईं गईं। 15.6 प्रतिशत सामान्य लोगों में भारी धातु का स्तर अधिक पाया गया। किडनी कैंसर से पीड़ित मरीजों के यूरिन में मैग्नीज व सेलेनियम का स्तर भी बहुत अधिक पाया गया।

आर्सेनिक, कापर, कैडमियम, लेड व मर्करी का स्तर भी यूरिन में थोड़ा अधिक मिला। एंटी आक्सीडेंट एंजाइम सीरम ग्लूटाथियोन पेरोक्सीडेज (जीएसएच-पीएक्स) का स्तर कम और लिपिड पेरोक्सीडेशन (एलपीओ) अधिक पाया गया। डाक्टर किडनी कैंसर के मरीजों में भारी धातु अधिक होने के कारणों का पता लगाने के लिए भी अध्ययन कर रहे हैं। यह भी जानने का प्रयास किया जा रहा है कि कितने मरीजों में भारी धातु का स्तर अधिक होने का कारण पानी हो सकता है।

कई राज्यों में है समस्या

डाक्टरों का कहना है कि एम्स में दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब व झारखंड के अधिक मरीज पहुंचते हैं। इन राज्यों में कई जगहों पर पानी में भारी धातु की अधिकता है। एनाटमी विभाग के विशेषज्ञ डा. जावेद अहसान कादरी ने कहा कि एक अन्य अध्ययन के लिए मरीजों के घर के पानी के सैंपल लेकर भी जांच की गई है।

कई मरीजों के घर के पानी में भारी धातु पाई गईं हैं। इसलिए उन्हें उस पानी का इस्तेमाल बंद करने या फिल्टर कर इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। यह शोध भी जल्द प्रकाशित होगा। लिवर कैंसर के मरीजों में भी भारी धातु की मौजूदगी को लेकर शोध किया जा रहा है।

शरीर में ऐसे पहुंच सकती हैं भारी धातुएं

डा. शरीफ ने बताया कि भारी धातु शरीर में पानी, भोजन, हवा या त्वचा पर कोई चीज लगने से पहुंचती हैं। इसकी विषाक्तता से कैंसर सहित कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं। इसके दुष्प्रभाव से आक्सीडेशन स्ट्रेस बढ़ता है। एंटी आक्सीटेंड एंजाइम में असंतुलन और डीएनए में खराबी हो सकती है। सामान्य लोगों में भी यदि भारी धातु अधिक हो, तो उन्हें आगे चलकर बीमारी होने का खतरा हो सकता है।

एम्स के यूरोलाजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डा. बी नायक ने कहा कि कई किडनी मरीजों के ब्लड, यूरिन और कैंसर टिश्यू तीनों में भारी धातु अधिक होना इस बात की तरफ इशारा करता है कि यह कैंसर का कारण हो सकता है। इस संदर्भ में अभी और शोध की जरूरत है।

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