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'शाम 4 चार बजे के बाद तीस हजारी कोर्ट में होता है बंदरों का कब्जा': दिल्ली HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में बढ़ते बंदरों के आतंक को देखते हुए सभी बंदरों को असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि आवारा जानवरों को शहर पर कब्जा नहीं करने दिया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली के मुख्य सचिव को चार नवंबर को बैठक करने का आदेश दिया।

By Jagran News Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Sat, 26 Oct 2024 12:42 PM (IST)
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दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश, बंदरों को असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में किया जाए स्थानांतरित। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में बंदरों व कुत्तों के बढ़ते आतंक को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने शुक्रवार को सभी बंदरों को असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि आवारा जानवरों को शहर पर कब्जा करने नहीं दिया जा सकता।

अदालत ने दिल्ली के मुख्य सचिव को चार नवंबर को समस्या से निपटने के लिए एक तंत्र बनाने को एक बैठक बुलाने का भी निर्देश देते हुए कहा कि इसमें नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली छावनी बोर्ड और वन विभाग के प्रमुखों को शामिल रहें।

पीठ ने कहा कि बैठक में दिल्ली के पशु कल्याण बोर्ड के सचिव, दिल्ली सरकार के पशुपालन विभाग, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई), याचिकाकर्ताओं के वकील राहुल बजाज और अमर जैन और कार्यकर्ता गौरी मौलेखी को भी शामिल होना चाहिए।

इंसानों के साथ भी सम्मानपूर्वक व्यवहार करने की आवश्यकता-कोर्ट

एक समाज में दिव्यागों से लेकर विभिन्न समूह के लोग रहते हैं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है। दुनिया में कहीं भी नहीं पाएंगे कि शहर पर बंदरों और कुत्तों ने कब्जा कर लिया है। पीठ ने कहा कि हम आवारा जानवरों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करेंगे, लेकिन इंसानों के साथ भी सम्मानपूर्वक व्यवहार करने की आवश्यकता है।

इसके लिए कुछ तंत्र विकसित करना होगा। सभी पक्षों की सहमति से पीठ ने निर्देश दिया कि बंदरों को दिल्ली से असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित किया जाए। साथ ही मामले की सुनवाई 18 नवंबर तक के लिए स्थगित करते हुए अदालत ने कहा कि यह काम एमसीडी, एनडीएमसी, छावनी बोर्ड और वन विभाग द्वारा प्राथमिकता के आधार पर क्रियान्वित किया जाना चाहिए।

दिव्यांगों को शहर की सड़कों पर चलने का मौलिक अधिकार-पीठ

याचिकाकर्ता एनजीओ धनंजय संजोगता फाउंडेशन की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता राहुल बजाज ने कहा कि दृष्टिबाधितों की छड़ी को जानवर खतरा मानते हैं और इसलिए हमला कर देते हैं। पीठ ने कहा कि दिव्यांगों को शहर की सड़कों पर चलने का मौलिक अधिकार है।

पीठ ने कहा तीस हजारी अदालत परिसर में शाम चार बजे के बाद बंदरों का कब्जा हो जाता है। अधिकारियों से पूछा गया कि आवारा जानवरों की आबादी इतनी तेजी से कैसे बढ़ रही है। इस पर एक अधिकारी ने जवाब दिया कि एनडीएमसी क्षेत्र में आवारा कुत्तों की नसबंदी कर दी गई है और इस प्रक्रिया को अन्य क्षेत्रों में भी अपनाया जा रहा है।

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