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'आसमान' में 'भगवान' बनकर आए दो डॉक्टर, रांची से दिल्ली आ रही फ्लाइट में इस तरह बचाई बच्चे की जान

रांची से दिल्ली जा रही इंडिगो की फ्लाइट में दो डॉक्टरों ने एक बच्चे की जान बचाई। बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी वह जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित था। रांची से फ्लाइट के उड़ने के 20 मिनट पर उसे सांस लेने में समस्या होने लगी तो फ्लाइट में अनाउंस किया गया कि बच्ची की हालत खराब है और फ्लाइट में मौजूद किसी डॉक्टर से मदद मांगी।

By AgencyEdited By: GeetarjunUpdated: Sun, 01 Oct 2023 06:24 PM (IST)
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रांची से दिल्ली आते समय एक बच्चे को होने लगी थी सांस लेने में दिक्कत।

पीटीआई, नई दिल्ली। रांची से दिल्ली जा रही इंडिगो की फ्लाइट में दो डॉक्टरों ने एक बच्चे की जान बचा ली। बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, वह जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित था। रांची से फ्लाइट के उड़ने के 20 मिनट पर उसे सांस लेने में समस्या होने लगी तो फ्लाइट में अनाउंस किया गया कि बच्ची की हालत खराब है और फ्लाइट में मौजूद किसी डॉक्टर से मदद मांगी।

इस दौरान दो सहयात्री जो डॉक्टर थे उन्होंने बच्ची को बचाया। यह घटना शनिवार की है।

फ्लाइट उड़ने के 20 मिनट बाद हुई बच्चे को समस्या

जानकारी के अनुसार, हवाई जहाज उड़ने के 20 मिनट बाद विमान चालक दल ने एक आपातकालीन घोषणा की। इस दौरान उन्होंने बच्चे के लिए विमान में किसी भी डॉक्टर से चिकित्सा सहायता मांगी। वर्तमान में झारखंड के राज्यपाल के प्रधान सचिव कुलकर्णी और सदर अस्पताल (रांची) के डॉ. मोजम्मिल फिरोज बच्चे को बचाने के लिए आगे आए।

बच्चे को बचाने के लिए डॉक्टरों ने क्या किया?

आईएएस अधिकारी डॉ. नितिन कुलकर्णी (प्रशिक्षण से एक डॉक्टर) और रांची सदर अस्पताल के एक डॉक्टर ने आपातकालीन चिकित्सा सहायता के रूप में वयस्कों के लिए बने मास्क और अन्य दवाओं का उपयोग करके ऑक्सीजन की आपूर्ति की। एक घंटे बाद जब फ्लाइट लैंड हुई तो मेडिकल टीम ने बच्चे को अपनी देखरेख में लिया और ऑक्सीजन सपोर्ट दिया।

बच्चे की हृदय संबंधी बीमारी के इलाज के लिए माता-पिता बच्चे को दिल्ली के एम्स ले जा रहे थे। बच्चा जन्मजात से हृदय रोग, पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (पीडीए) से पीड़ित था।

सांस नहीं ले पा रहा था बच्चा

डॉ. कुलकर्णी ने कहा कि मां रो रही थी, क्योंकि बच्चा सांस लेने के लिए हांफ रहा था। मैंने और डॉ. मोजम्मिल ने बच्चे की देखभाल की। एक वयस्क मास्क के माध्यम से ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई, क्योंकि किसी तरह कोई शिशु मास्क या कैनुला उपलब्ध नहीं था। हमने बच्चे के मेडिकल रिकॉर्ड की जांच की।

उन्होंने बताया कि ड्रग्स किट (दवाई की किट) से इंजेक्शन थियोफाइलिन दिया गया था। उन्होंने कहा कि माता-पिता इंजेक्शन डेक्सोना ले रहे थे, जो बहुत मददगार साबित हुआ।

इंजेक्शन लगाने और ऑक्सीजन की मदद से बची जान

इंजेक्शन और ऑक्सीजन के बाद बच्चे में सुधार के कुछ लक्षण दिखे और स्टेथोस्कोप से दिल की धड़कन की निगरानी की जा रही थी। कुलकर्णी ने कहा कि ऑक्सीमीटर की कमी के कारण ऑक्सीजन संतृप्ति स्थिति का आकलन करना मुश्किल हो गया।

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उन्होंने कहा कि पहले 15-20 मिनट बहुत महत्वपूर्ण और तनावपूर्ण थे। आखिरकार आंखें सामान्य हो गईं और बच्चे ने आवाज भी निकाली। उन्होंने कहा कि केबिन क्रू बहुत मददगार था और उन्होंने तुरंत सहायता प्रदान की।

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