गाजीपुर लैंडफिल साइट से कूड़े का पहाड़ ढहने से हिंडन नहर में गिरकर डूबने से हो गई थी दो लोगों की मौत, कोर्ट ने तय किया मुआवजा, जानें अन्य डिटेल
अतिरिक्त जिला जज विजय कुमार झा के कोर्ट ने आदेश में कहा है कि दिल्ली सरकार और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को वाद दायर होने की तिथि से नौ प्रतिशत साधारण ब्याज के साथ मुआवजा राशि का भुगतान करना होगा।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Fri, 13 May 2022 01:30 PM (IST)
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। गाजीपुर लैंडफिल साइट से कूड़े का पहाड़ ढहने से हिंडन नहर में गिरकर डूबने से हुई दो लोगों की मौत के मामले में कोर्ट ने मुआवजा तय किया है। मृतक अभिषेक गौतम के माता-पिता को 15 लाख रुपये और मृतका राजकुमारी के पिता को 10 लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। अतिरिक्त जिला जज विजय कुमार झा के कोर्ट ने आदेश में कहा है कि दिल्ली सरकार और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को वाद दायर होने की तिथि से नौ प्रतिशत साधारण ब्याज के साथ मुआवजा राशि का भुगतान करना होगा।
एक सितंबर 2017 को दोपहर करीब ढाई बजे गाजीपुर लैंडफिल साइट से कूड़े का पहाड़ अचानक ढह गया था। उस समय बारिश हो रही थी। लैंडफिल साइट से सटी सर्विस रोड से गुजर रहे कई लोग कूड़े के साथ हिंडन नहर में जा गिरे थे। इनमें घड़ोली एक्सटेंशन राजीव कालोनी गली नंबर-एक में रहने वाले अभिषेक गौतम और गाजियाबाद की खोड़ा कालोनी में रहने वाली राजकुमारी की हिंडन नहर में डूबने से मौत हो गई थी। हादसे के वक्त अभिषेक घर से दोस्त के साथ गाजीपुर मंडी की तरफ जा रहे थे। राजकुमारी स्कूटी पर किसी के साथ जा रही थीं।
वर्ष 2018 में मृतक अभिषेक के पिता महिपाल सिंह और मां राम मूर्ति ने वाद दायर कर 15 लाख रुपये मुआवजा मांगा था। मृतका राजकुमारी के पिता तारा चंद ने 10 लाख रुपये मुआवजे के लिए वाद दायर किया था। इस मामले में लैंडफिल साइट के रखरखाव में लापरवाही के लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम और उचित निगरानी ने रखने के लिए दिल्ली सरकार को प्रतिवादी बनाया गया था।
वादियों की तरफ से अधिवक्ता हितेश भारद्वाज ने पक्ष रखा था कि हादसे में मौत निगम की लापरवाही से हुई है। हादसे के वक्त कूड़े का पहाड़ 50 मीटर से ज्यादा ऊंचा था, जबकि नियमानुसार उसकी ऊंचाई 20 मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए थी। साथ ही पक्ष रखा कि मृतक अभिषेक दूरस्थ शिक्षा से स्नातक की पढ़ाई करने के साथ नौकरी कर रहा था। इस हादसे से मृतक के स्वजन को मानसिक और आर्थिक आघात पहुंचा है। अभिषेक बुढ़ापे में उनके जीवन का सहारा बनता।
इसी तरह मृतका राजकुमार के बारे में बताया कि वह गुरुग्राम की कंपनी में अच्छे पद पर नौकरी करती थीं। दिसंबर 2017 में उनकी शादी होने वाली थी, जिसकी तैयारी चल रह थी। उधर, नगर निगम ने कोर्ट में पक्ष रखा कि यह हादसा किसी की लापरवाही से नहीं हुआ, बल्कि बारिश की वजह से पानी के बहाव के साथ कूड़ा ढहने की वजह से हुआ था। निगम के पक्ष में इसे प्राकृतिक या संयोग से हुआ हादसा करार देने के अलावा आपदा की संज्ञा दी गई।
प्रतिवादियों ने मृतकों के स्वजन के मुआवजे के दावे को निराधार बताते हुए कोर्ट में कहा कि दोनों परिवारों को दिल्ली सरकार दो-दो लाख रुपये और निगम की तरफ से एक-एक लाख रुपये मुआवजा दिया जा चुका है। इसके अतिरिक्त मृतकों के कानूनी वारिस को अस्थायी नियुक्ति का प्रस्ताव भी दिया गया था।
सभी पक्षों व तथ्यों पर कोर्ट ने माना कि हादसा निगम की लापरवाही से हुआ था। इस पर कोर्ट ने मृतक अभिषेक गौतम के मामले में 15 लाख रुपये और मृतका राजकुमारी के मामले में 10 लाख रुपये मुआवजा निर्धारित कर दिया। साथ में पांच-पांच हजार रुपये मुकदमेबाजी के खर्च की क्षतिपूर्ति के रूप में देने का भी आदेश दिया है।
नगर निगम अधिकारी का कहना है कि बीस सालों से मांग रहे जमीन, जो नहीं मिली रहीनगर निगम ने कोर्ट में पक्ष रखा कि बीस सालों से भूमि स्वामी एजेंसी दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से कचरा प्रबंधन केंद्र स्थापित करने के लिए जमीन की मांग कर ही है, जो कोर्ट के निर्देशों के बावजूद उपलब्ध नहीं हो पा रही। इन परिस्थितियों के कारण निगम गाजीपुर लैंडफिल साइट पर ही कूड़ा डालने को मजबूर है।
तारा चंद (मृतक राजकुमारी के पिता) का कहना है कि मेरी बेटी ही मेरा सहारा थी। उसके चले जाने के बाद मैं दुनिया में अकेला रह गया हूं। मुझे अफसोस रहेगा कि मैं उसकी शादी होते नहीं देख पाया।
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