VIDEO: 'सीता के पिता' बने मोदी के मंत्री, जानें- कितने और राजनेता बनेंगे अभिनेता
नई दिल्ली की मशहूर लव-कुश रामलीला कमेटी से जुड़े लोगों के मुताबिक असम के गवर्नर जगदीश मुखी आदिवासी राजा निषाद राज का रोल निभाएंगे
By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 13 Oct 2018 12:50 PM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्रीय पृथ्वी एवं विज्ञान, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार की रात को दिल्ली स्थित 'लव कुश रामलीला' में सीता के पिता राजा जनक का किरदार निभाया। समाचार एजेंसी एएनआइ ने इस बाबत राजा जनक का किरदार निभाने के दौरान की तस्वीरें भी जारी की हैं। इन तस्वीरों में केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन राजा जनक की भूमिका निभाते हुए सिंहासन पर बैठे नजर आ रहे हैं।
कुछ महीने पहले हर्षवर्धन को जब यह भूमिका ऑफर हुई थी तब उन्होंने कहा था कि यह छोटा रोल होगा और इसके लिए उन्होंने रामलीला आयोजन समिति को अपनी सहमति दे दी थी।
बताया जा रहा है कि केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री विजय सांपला मां पर्वती के पिता और भगवान शिव के ससुर हिमावत की भूमिका निभाएंगे।
नई दिल्ली की मशहूर लव-कुश रामलीला कमेटी के मुताबिक, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी पिछले साल के जैसे अंगद की भूमिका निभाएंगे। वहीं, दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता अत्री ऋषि की भूमिका निभाते नजर आएंगे।
गौरतलब है कि पिछले साल भी केंद्रीय मंत्री विजय सांपला और भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने रामलीला में भूमिका निभाई थी। मनोज तिवारी ने अंगद का किरदार निभाते हुए राजनीति के इर्द-गिर्द घूमते डायलॉग दिए थे। यहां पर बता दें कि मनोज तिवारी भोजपुरी फिल्मों के नामी अभिनेता हैं।
उत्तर-पूर्व दिल्ली सीट से सांसद और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी को कभी भोजपुरी फिल्मों का अमिताभ बच्चन भी कहा जाता था। बिहार में जन्मे मनोज तिवारी का 2005 से ही भोजपुरी फिल्मों में एकाधिकार रहा था।फिल्मों में अभिनय करने से पहले मनोज तिवारी ने करीब 10 सालों तक गायकी में अपना एक अलग मुकाम बनाया और साल 2003 में उन्होंने सुपरहिट फिल्म 'ससुरा बड़ा पैसे वाला' में अभिनय किया, इस फिल्म ने अपार लोकप्रियता हासिल करने के साथ उस समय रिकॉर्ड तोड़ बिजनेस किया था।
वर्ष 2009 में मनोज तिवारी ने समाजवादी पार्टी की ओर से राजनीति कदम रखा। लोकसभा चुनाव में गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उतरे। इस चुनाव में उनकी हार हुई। राजनीति में कदम रखने के बाद मनोज तिवारी ने 2011 में अन्ना हज़ारे द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से जुड़े। 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले मनोज तिवारी भाजपा में शामिल हुए। यह वही वर्ष था जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित हुए थे।
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