तनावग्रस्त छात्रों की पहचान करेंगे विवि व कॉलेज, UGC की योजना को मंत्रालय की मंजूरी
विवि और कॉलेज रखेंगे पैनी नजर। शिक्षकों को दिलाया जाएगा विशेष प्रशिक्षण। जरूरत पड़ने पर डॉक्टरों की मदद भी ली जाएगी। यूजीसी ने बनाई योजना। मानव संसाधन मंत्रालय ने भी दी सहमित।
By Amit SinghEdited By: Updated: Fri, 28 Sep 2018 12:28 PM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। पढ़ाई के दौरान तनाव में रहने वाले छात्रों पर विश्वविद्यालय और कॉलेज अब पैनी नजर रखेंगे। इसके लिए शिक्षकों को एक खास प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वह कक्षाओं में ऐसे छात्रों की आसानी से पहचान कर सकें। यदि यह तनाव पढ़ाई से जुड़ा होगा, तो शिक्षक खुद ही मदद करेंगे। यदि अन्य कारण होंगे, तो उन्हें परिवार और चिकित्सक की भी मदद दिलाई जाएगी।
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में तनाव को लेकर यह कवायद उस समय शुरू की गई है, जब देश में हर साल तनाव के चलते बड़ी संख्या में छात्र आत्महत्या कर लेते हैं। यूजीसी ने इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रलय से भी चर्चा की है। इस पर मंत्रलय भी सहमत है। सूत्रों की मानें तो इसके लिए फिलहाल कुछ ऐसी एजेंसियों और संस्थानों की तलाश है, जो शिक्षकों को इस तरह का प्रशिक्षण दे सकें। विवि और कॉलेजों में एक सेल बनाने का भी सुझाव दिया गया है, ताकि इस तरह के मामले को गंभीरता से हैंडल किया जा सके।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में ऐसे ही तनाव के चलते करीब आठ हजार छात्रों ने आत्महत्या की थी। इसमें हर साल बढ़ोतरी देखी जा रही है। योजना पर काम रहे अधिकारी के मुताबिक, यह सरकार के लिए चिंताजनक पहलू है।प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस पर लिखी है किताब
छात्रों को पढ़ाई से जुड़े तनाव से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल एक्जाम वारियर्स नाम की एक किताब भी लिखी थी। उन्होंने छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा भी की थी। मानव संसाधन विकास मंत्रलय और यूजीसी की कवायद को मोदी की इसी पहल से जोड़कर देखा जा रहा है।
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