पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नक्सलियों की आहट, जड़ जमाने की फिराक में 'लाल आतंक'
नक्सलियों का नोएडा और गाजियाबाद कनेक्शन एक खतरनाक संकेत दे रहा है।
नोएडा [ रमेश मिश्र ]। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासकर दिल्ली से सटे नोएडा और गाजियाबाद में नक्सलियों की दिलचस्पी अनायास नहीं है। विगत पांच वर्षों में इस क्षेत्र में लगातार नक्सली सक्रियता देखी गई है। नक्सलियों का नोएडा और गाजियाबाद कनेक्शन एक खतरनाक संकेत दे रहा है। यदि नक्सली संगठन पांव जमाने में सफल रहे तो इसके खतरनाक और घातक परिणाम होंगे। उनकी इस हलचल ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि नक्सली यहां अपना ठिकाना क्यों बनाना चाहते हैं? इस मामले में क्या कहते हैं गौतम बुद्ध नगर के पुलिस प्रमुख अजय पाल शर्मा। इसके निहितार्थ और उसके प्रभाव पर पेश है एक रिपोर्ट।
नक्सलियाें का यहां क्या हित छिपा है
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नक्सलियों की दिलचस्पी का मामला बहुत पुराना नहीं है। लेकिन विगत तीन वर्षों में उनकी दस्तक यहां तेजी बढ़ी है। हालांकि, इस इलाके में नक्सलियों ने कभी किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दिया है। इसलिए पुलिस प्रशासन ने कभी उनके खिलाफ कोई बड़ी मुहिम नहीं छेड़ी। अलबत्ता जब-जब उनके ठिकानों की पुलिस को भनक लगी तो उन्हें गिरफ्तार करके मामले से इतिश्री कर ली गई। कभी इस बात पर गौर नहीं किया गया कि नक्सलियाें का यहां क्या हित छिपा है।
आर्थिक क्षमता को बढ़ाने की फिराक में नक्सली
दरअसल, बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के करीब एक दर्जन जिलों में नक्सली प्रभाव और वर्चस्व देखा जा सकता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश का भौगोलिक और सामाजिक ढांचा कुछ इस तरह का है कि नक्सलियों के पोषण लिए यह काफी उर्वर और उत्तम जमीन है। लेकिन लंबे अरसे तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नक्सलियों की नजर इधर नहीं गई। लेकिन अब यहां की आर्थिक संपन्नता अौर भौगोलिक कारक नक्सलियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। नक्सली संगठनों को धन की जरूरत है लिहाजा आर्थिक जरूरतों के लिए अब नक्सलियों ने यहां अड्डा जमाना शुरू कर दिया है।
क्या कहते हैं गौतम बुद्ध नगर के पुलिस कप्तान
गौतम बुद्ध नगर के एसएसपी अजय पाल शर्मा का कहना है कि नक्सलियों का इस क्षेत्र के प्रति आकर्षण बेवजह नहीं है। वह मानते हैं कि इन दावों में निश्चित रूप से दम है। इस पहलू को खारिज नहीं किया जा सकता है। जिस तरह से नक्सलियों की दिलचस्पी और गतिविधियां इस क्षेत्र में बढ़ रही है, उससे उनके हितों का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह निश्चित रूप से कानून व्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय है।
पुलिस के लिए चुनौती
यह इलाका राजधानी दिल्ली से सटा हुआ है। जाहिर है ऐसे में इनकी पहुंच राजधानी तक हो जाएगी। चूंकि इस इलाके में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की एक बड़ी बसावट है, ऐसे में इन नक्सलियों काे चिन्हित कर पाना प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती होगी। अत: ये नक्सली कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनाती बन सकते हैं। अगर समय रहते पुलिस प्रशासन नहीं चेता तो वह दिन दूर नहीं जब यह इलाका भी नक्सलियों के प्रभाव क्षेत्र में होगा।
बड़े हमले की फिराक में थे नक्सली
वर्ष 2016 में यह शक तब प्रबल रूप से स्थापित हुआ था जब नोएडा के सेक्टर 49 के हिंडन अपार्टमेंट से पुलिस ने नौ संदिग्ध नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद हुए थे। पहली बार दिल्ली एनसीआर के इलाके से इतने बड़े पैमाने पर नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई थी। उस वक्त पुलिस ने कहा था कि इन नक्सलियों की मंशा अपराध के जरिए फंड जुटाने की थी। पुलिस का दावा था कि नक्सली दिल्ली और एनसीआर में बड़े हमले की फिराक में थे।
नोएडा से फिर गिरफ्तार हुआ खूंखार नक्सली
उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोमवार की रात नोएडा सेक्टर-9 स्थित हरौला गांव में छिपे 50 हजार के ईनामी खूंखार नक्सली सुधीर को गिरफ्तार किया है। बिहार और उससे सटे इलाकों में इसका आतंक था। खूंखार नक्सली अब तक 14 हत्याओं और आधा दर्जन नरसंहार जैसी वारदातों को अंजाम दे चुका है। बिहार पुलिस को उसकी शिद्दत से तलाश थी। सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार नक्सली एरिया कमांडर है। फिलहाल नोएडा पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। पुलिस इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि आखिर वह किस मकसद से नोएडा में आया था।
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