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बिजनेसमैन के घर IT की 'रेड' का मिला मुंबई कनेक्शन, जानें क्या है अजय देवगन से लिंक

'रेड' मूवी में कितने पैसे लगाए और कितने की आय हुई।? इसके अलावा और किन-किन फिल्मों पर आनंद ने पैसा लगाया है? इसकी जांच की जा रही है।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 02 Aug 2018 02:54 PM (IST)
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बिजनेसमैन के घर IT की 'रेड' का मिला मुंबई कनेक्शन, जानें क्या है अजय देवगन से लिंक
गाजियाबाद (जेएनएन)। आयकर विभाग (IT) की 45 घंटे तक चले सर्च आपरेशन में चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आए हैं। आयकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, नेशनल स्टील प्रा. लि. के मालिक आनंद प्रकाश की आनंद मूवीज नाम से कंपनी है। उन्होंने आयकर सर्वे पर आधारित अजय देवगन की फिल्म 'रेड' पर पैसे लगाए थे। आयकर विभाग के अधिकारी हैरान हैं कि लोगों को कर चोरी न करने को लेकर जागरूक करने वाली फिल्म बनाने वाला भी टैक्स चोरी करता रहा।

गाजियाबाद में 45 घंटे तक चला आयकर विभाग का सर्वे

अधिकारियों का कहना है कि आनंद प्रकाश के यहां से लाखों रुपये और प्रॉपर्टी के दस्तावेज जब्त किए गए हैं। 'रेड' मूवी में कितने पैसे लगाए और कितने की आय हुई। इसके अलावा और किन-किन फिल्मों पर आनंद ने पैसा लगाया है, इसकी जांच की जा रही है। सोमवार सुबह आयकर विभाग की टीमों ने छह फर्मों के मालिकों के 17 ठिकानों पर सर्वे किया। 100 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी पकड़ी गई। ढाई करोड़ रुपये, दो किलो सोना, ढेरों दस्तावेज और आठ लॉकर सीज किए।

सीए के घर मिली ट्रायल बुक्स

पीएस एंटरप्राइजेज द्वारा दाखिल किए जाने वाले रिटर्न में लाभ टर्नओवर का 0.1 या इससे भी कम दिखाया जा रहा था, जबकि लोहामंडी के अन्य व्यापारी डेढ़ से दो फीसद लाभ का रिटर्न दाखिल करते हैं। इसी आधार पर आयकर विभाग की टीम ने सर्च की। पहले दिन सूचना मिली कि 12 करोड़ रुपये शिफ्ट किया जा रहा है। टीम ने लोहामंडी से ही एक गाड़ी सवा करोड़ रुपये कैश के साथ पकड़ी। टीम दीपक गर्ग के सीए के घर पहुंची, यहां ट्रायल बुक्स (कच्ची बही) मिलीं, जिनमें दिसंबर तक लाभ 4.65 फीसद तक दिखाया गया था, लेकिन रिटर्न दाखिल करते समय लाभ को खत्म कर दिया जाता था।

रेड के दौरान रो पड़े कारोबारी

आयकर विभाग के सर्वे में पोल खुलने के बाद कारोबारी रोने लगे। आयकर विभाग के अनुसार, शहर के सबसे पॉश इलाकों में खड़ी कोठियों की कीमत भी दस्तावेजों में बाजार मूल्य से 10 फीसद ही दिखाई हुई है।

करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी को लेकर लोहा कारोबारियों के ठिकानों पर आयकर विभाग का सर्च अभियान 45 घंटे तक चला। आयकर विभाग को 100 करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी मिली है। बीते कुछ वर्षों की यह सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। मंगलवार रात तक ढाई करोड़ रुपये नकद और दो किलो सोना टीमों ने बरामद किया। व्यापारियों द्वारा कुछ भी सरेंडर नहीं किया गया, वहीं विभागीय टीमें भी पीछे नहीं हटीं। एकाउंट बुक्स, प्रॉपर्टी के दस्तावेज, लॉकर समेत कई चीजें सीज भी की गई हैं। दोनों दिन में कुल 17 ठिकानों पर सर्च की गई।

यहां पर बता दें कि लोहामंडी में पीएस इंटरप्राइजेज के मालिक दिनेश गर्ग और दीपक गर्ग, पन्ना लाल स्टील व गुरजा स्टील के मालिक आदित्य गर्ग, नेशनल स्टील के मालिक आनंद प्रकाश, आर्यमान इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के मालिक कपिल गर्ग और लक्ष्मी स्टील के मालिक राकेश मोहन सिंघल के ऑफिस व घरों पर 30 जुलाई (सोमवार) सुबह आयकर की 13 टीम एक साथ पहुंची थी। सूत्रों के मुताबिक सैकड़ों करोड़ का टर्नओवर दिखाने वाले ये व्यापारी रिटर्न में चंद लाख रुपये का लाभ ही दिखाते हैं। काफी सूक्ष्म स्तर पर एसेसमेंट के बाद जब ये घपलेबाजी विभागीय अधिकारियों ने पकड़ी तो सर्च की योजना बनाई गई। इस सर्च अभियान में पीएसी की एक कंपनी के अलावा देहरादून, कानपुर, आगरा, नोएडा, मेरठ और गाजियाबाद की 13 टीमें शामिल की गईं। सोमवार तक 1.20 करोड़ रुपये मिले थे। सोमवार देर रात तक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और कार्यालयों में कार्रवाई पूरी कर ली गई थी। मंगलवार को भी कविनगर और राजनगर स्थित व्यापारियों के घरों में कार्रवाई की गई।

सूत्रों की मानें तो बरामद नकदी और सोने में सबसे ज्यादा पीएस एंटरप्राइजेज की हिस्सेदारी है। कार्रवाई के बाद भी किसी भी व्यापारी ने अपनी आय व संपत्ति के स्त्रोतों के बारे में नहीं बताया था।

आइडीएस योजना में भी की थी धोखाधड़ी
सूत्रों की मानें तो पीएस एंटरप्राइजेज द्वारा आइडीएस(इनकम टैक्स डिक्लेयरेशन स्कीम) में भी धोखाधड़ी की थी। दिसंबर-2017 में विभाग ने यह योजना लॉन्च की थी। इसके तहत लोगों को अपनी अघोषित आय के बारे में बताने की छूट दी गई थी। सूत्रों की मानें तो तब पीएस एंटरप्राइजेज द्वारा करीब 70-80 लाख रुपये की आय सरेंडर की थी। इसी समय पूर्व तथ्यों के आधार पर आयकर विभाग पीएस एंटरप्राइजेज के खिलाफ सर्च कार्रवाई करने वाला था। मगर इनकम सरेंडर करने के चलते विभागीय टीम शांत बैठ गई थी और सर्च नहीं किया। मगर दुबारा साक्ष्य मिले तो विभाग भी हैरान रह गया। करोड़ों रुपये की आय करने वाली फर्म द्वारा महज लाखों में ही रिटर्न दाखिल किया जा रहा था।


 

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