राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले काफी जटिल होते हैं लेकिन उरी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक ने दुनिया को सख्त संदेश दिया है। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कही। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कन्वेंशन सेंटर में भारत और विश्व विषय पर हुए पंडित हृदय नाथ कुंजरू मेमोरियल व्याख्यान को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले काफी जटिल होते हैं, लेकिन उरी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक ने दुनिया को सख्त संदेश दिया है। पश्चिम मोर्चे पर बढ़ते आंतकवाद के प्रति हमारा यह करारा जवाब है। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कही। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कन्वेंशन सेंटर में ''भारत और विश्व'' विषय पर हुए पंडित हृदय नाथ कुंजरू मेमोरियल व्याख्यान को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
जेएनयू में पंडित हृदय नाथ कुंजरू मेमोरियल व्याख्यान में भारत और विश्व विषय पर बोलते विदेश मंत्री एस जयशंकर साथ में कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ि पंडित।
जयशंकर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की गणना बहुत अधिक जटिल हो गई है। प्रतिस्पर्धा और दबाव के पारंपरिक तरीकों को प्रभाव और व्यवधान के नए उपकरणों से बल मिला है। यहां भी, भारत ने दृढ़ संकल्प और धैर्य के साथ सभी को पीछे धकेलने में कामयाबी हासिल की है।
सीमा पार आतंक पर भारत की प्रतिक्रिया
उन्होंने कहा कि भारत ने सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास पर काम किया है। यह एक पहलू लंबे समय से उपेक्षित था। उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद पर भारत की प्रतिक्रिया उरी और बालाकोट के प्रकरणों में देखी गई। जब हमें चीन के साथ एलएसी पर चुनौती दी गई, तो कोविड महामारी के बीच में त्वरित और प्रभावी जवाबी तैनाती उचित जवाब था।
सीमा के बुनियादी ढांचे की लंबे समय से उपेक्षा को दूर करने की कोशिश की जा रही है। हमने देश की रक्षा को और अधिक प्रभावी बनाया है। उन्होंने कहा, जब इंडो-पैसिफिक की बात आई तो सबसे बड़े मंच पर हमने क्वाड की स्थापना और उसे आगे बढ़ाने के अपने फैसले पर दृढ़ता से कायम रखा।
आतंकी की चुनौती को उचित प्रतिक्रिया
पश्चिमी मोर्चे पर, सीमा पार आतंकवाद की लंबे समय से चली आ रही चुनौती को अब और अधिक उचित प्रतिक्रिया मिल रही है। विदेश मंत्री ने कहा,जहां ''भारत'' सवालों का जवाब देने से नहीं कतराएगा, वहीं सवाल पूछने वालों से सवाल करने का साहस भी हम रखते हैं।
उन्होंने कहा, विदेशों के लिए आर्थिक रूप से भारत का उत्तर अधिक आत्मनिर्भरता में है। राजनीतिक रूप से, एक अधिक प्रामाणिक और निहित प्रतिनिधित्व जो उस प्रचार का मुकाबला करेगा जो देश को बदमान करने की कोशिश करता है। जयशंकर ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे भारत पश्चिमी देशों के मुकाबले अपने घरेलू हितों के लिए रूस से सस्ता तेल खरीदने के अपने रुख पर कायम है।उन्होंने आगे कहा, दुनिया अब अधिक अस्थिर और अनिश्चित दिख रही है, जो हमसे स्वतंत्र और आत्मविश्वासपूर्ण सोच की मांग कर रही है। हमने यह पहले ही देख लिया है जब हमारे ऊर्जा खरीद विकल्पों की बात आई। भारत ने अंतरराष्ट्रीय दबाव का विरोध करते हुए अपने घरेलू उपभोक्ताओं के हित को चुना। इस मौके पर जेएनयू की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ि पंडित मुख्य तौर पर उपस्थित रहीं।
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