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24 वर्ष की उम्र में बॉक्सिंग की विभिन्न स्पर्धाओं में उर्वशी ने मनवाया लोहा

उर्वशी इस मुकाम पर पहुंचने का पूरा श्रेय अपने परिवार को देती है। उनका कहना है कि परिवार का साथ मिला तभी जीवन में इतना आगे बढ़ पाई है। उर्वशी का लक्ष्य ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर पूरे देश का नाम रोशन करना है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 03 Dec 2020 09:25 AM (IST)
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उर्वशी ने विश्व स्तरीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ट्रॉफी जीतकर दिल्ली का नाम रोशन किया।

पुष्पेंद्र कुमार , पूर्वी दिल्ली। कौन सा हुनर किस के भीतर छुपा है यह तब तक पता नहीं चल पाता, जब तक किसी पारखी की नजर कोहिनूर पर न जाए। मयूर विहार फेज-3 निवासी उर्वशी सिंह के बारे में कुछ ऐसा ही कहें तो गलत नहीं होगा। एक दो दोस्तों के झगड़े में बीच बचाव करने पहुंची उर्वशी की फुर्ती व चपलता देख उसकी प्रतिभा को टीम रोशन एकेडमी के कोच रोशन ने पहचाना। उन्हीं के प्रोत्साहन पर उर्वशी के भीतर खेलों के प्रति झुकाव आया और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में खिताबों की शुरुआत होने लगी। नियमित खेलों का प्रशिक्षण शुरू कर उर्वशी ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिर विश्व स्तरीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ट्रॉफी जीतकर दिल्ली का नाम रोशन किया।

दरअसल उर्वशी (24) अपनी खुद की एक अलग पहचान बनाना चाहती थी। 12वीं के बाद उन्होंने नोएडा फिजिकल एजुकेशन कॉलेज में बीए में एडमिशन लिया, जहां अपनी सीनियर मंजू को बॉक्सिंग करता देख उन्होंने भी बॉक्सिंग में अपना करियर बनाने की सोची। उसके बाद वह रोजाना बॉक्सिंग की तैयारी करने लगी। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई। 2012 में मेरठ में हुई स्टेट चैंपियनशिप प्रतियोगिता में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद इंदिरा गांधी स्टेडियम बॉक्सिंग एकेडमी में 2012 से 2015 तक प्रशिक्षण लिया, जहां वह इंटर नेशनल लेबल पर बॉक्सिंग में हिस्सा लेकर खेलती रहीं।

सात देशों के खिलाड़ियों को हराकर जीता खिताब: उर्वशी ने बताया कि वह 28 जून 2018 को प्रोफेशनल बॉक्सिंग में हिस्सा लेने के लिए थाइलैंड गई थी। प्रतियोगिता में 7 देशों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। यहां लगातार मुकाबले जीतने के बाद वह फाइनल तक पहुंची और 8 जुलाई 2018 को थाइलैंड की खिलाड़ी को धूल चटाते हुए खिताब पर कब्जा जमाया।

बॉक्सिंग खेल में हाथ आजमाएं लड़कियां: उर्वशी का मानना है कि बॉक्सिंग में करियर बनाकर वह खुद को मजबूत महसूस करती है। वह चाहती है कि उनकी तरह और भी लड़कियां इस खेल में आगे आएं और अपनी ताकत को समझें। हर लड़की अपने दम पर समाज और देश को नारी शक्ति का अहसास कराएं। 

परिवार का मिला साथ तो जीत लिया कारवां: उर्वशी ने कॉलेज में बॉक्सिंग में हिस्सा लेने की बात पहले परिवार में किसी को नहीं बताई थी। जब वह मेरठ में स्वर्ण पदक जीतकर लौटी तब उन्होंने घर के सदस्यों को इस बारे में बताया। ऐसे क्षेत्र को चुनने पर पिता ने शुरू में ऐतराज जताया, मगर बेटी का समर्पण देख बाद में वह मान गए और इंदिरा गांधी स्टेडियम की बॉक्सिंग एकेडमी में हिस्सा लेकर प्रशिक्षण लेने की सलाह भी दी। 

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