सरकारी स्कूलों में सुरक्षित तरीके से नष्ट हो सकेंगी इस्तेमाल की हुई सैनिटरी नैपकीन
स्कूलों में छात्राओं को सैनिटरी नैपकीन तो आसानी से मिल जाती है लेकिन इस्तेमाल किए हुए सैनिटरी नैपकीन को सुरक्षित तरीके से नष्ट करना छात्राओं के लिए एक बड़ी समस्या है। लेकिन अब दिल्ली सरकार ने छात्राओं की इस समस्या को भी दूर कर दिया।
By Prateek KumarEdited By: Updated: Thu, 21 Jan 2021 09:26 AM (IST)
नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। स्कूलों में छात्राओं को सैनिटरी नैपकीन तो आसानी से मिल जाती है, लेकिन इस्तेमाल किए हुए सैनिटरी नैपकीन को सुरक्षित तरीके से नष्ट करना छात्राओं के लिए एक बड़ी समस्या है। लेकिन अब दिल्ली सरकार ने छात्राओं की इस समस्या को भी दूर कर दिया। दिल्ली सरकार के समग्र शिक्षा विभाग के उप शिक्षा निदेशक मोहिंदर पाल ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सैनिटरी नैपकीन इंसीनरेटर मशीन लगाने का निर्देश जारी किया है।
अब छात्राओं को इस्तेमाल की हुई सैनिटरी नैपकीन के नष्ट करने के लिए विभिन्न तरीके नहीं अपनाने पड़ेंगे। ये छात्राएं इस मशीन का उपयोग कर के इस्तेमाल की हुई सैनिटरी नैपकीन को स्कूलों में ही सुरक्षित तरीके से नष्ट कर सकेंगी। मोहिंदर के मुताबिक दिल्ली के सरकारी और नगर निगम के 352 स्कूलों में 1102 सैनिटरी नैपकीन इंसीनरेटर मशीन लगाई जाएगी। ये मशीन स्कूलों के बाथरूम में लगाई जाएगी। इसके उपयोग किए जाने से नैपकिन को सुरक्षित तरीके से डिस्पोज किया जा सकेगा।
इस योजना से छात्राओं को शारीरिक स्वच्छता के साथ पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी। इस मशीन को लगाने वाले विनीत गोयल बताते हैं कि इस्तेमाल किए हुए सैनिटरी नैपकीन को सही तरीके से नष्ट करना बहुत जरूरी है। लेकिन, जानकारी के अभाव में छात्राएं कहीं पर भी पैड फेंक देती हैं। कई बार इससे नालियां तक जाम होती है। ऐसे में जगह-जगह गंदगी फैल रही है जो पर्यावरण और सामुदायिक स्वास्थ्य के लिहाज से भी खतरा है। उन्होंने बताया कि वो प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान के बाद कम दामों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ये मशीन लगा रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्राएं इसका इस्तेमाल कर सके।
उन्होंने बताया कि मशीन में स्मोक कंट्रोल यूनिट भी लगी है जिससे इस्तेमाल किए हुए पैड को जलाने के बाद निकलने वाला धुंआ पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा। वहीं, ये मशीन 31 मार्च से पहले पहले स्कूलों में लगनी है। स्कूलों में ये मशीन लगने के बाद प्रधानाचार्य एक शिक्षक के साथ मिलकर कक्षा पांचवी से 12वीं तक की कक्षाओं की छात्राओं को इसे उपयोग करना सिखाएंगे और ये सुनिश्चित करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा छात्राएं इस मशीन का इस्तेमाल करे ताकि पर्यावरण को स्वच्छ रखने में उनकी भी भागीदारी सुनिश्चित हो।Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो
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