तमिलनाडु सरकार भटक गई...केंद्र विकल्प सोचे, सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी पर विहिप
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पुत्र व राज्य के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म की तुलना डेंगू-मलेरिया से करने पर विहिप ने कहा कि तमिलनाडु सरकार अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करने की जगह कानून के रास्ते से भटक गई है। विहिप के आलोक कुमार ने कहा कि उन्होंने उदयनिधि से पूछा कि क्या उनका यह बयान उनकी सरकार का बयान है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। विहिप तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पुत्र व राज्य के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म की तुलना डेंगू-मलेरिया से करने और उसे समाप्त करने के आह्वान से स्तब्ध है। संगठन के केंद्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करने की जगह, कानून के रास्ते से भटक गई है।
उदयनिधि से आलोक कुमार ने पूछा सवाल
ऐसे में केंद्र को सोचना पड़ेगा कि उसके पास कौन-कौन से विकल्प हैं। उन्होंने उदयनिधि से पूछा कि क्या उनका यह बयान उनकी सरकार का बयान है। यदि ऐसा है तो हम केंद्र सरकार से कहेंगे कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार देते हैं। ऐसे केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि वह उसकी रक्षा करें।
धमकियों के गंभीर परिणा हो सकते-विहिप
उन्होंने कहा कि अहंकार व सत्ता के मद में चूर होकर उदयनिधि स्टालिन जिस तरह की धमकियां उछाल रहे हैं, उसके पहले उन्होंने अपनी ताकत का भी विचार नहीं किया। ऐसी धमकियों के परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं।
आलोक कुमार ने जोर देकर कहा कि जिस सनातन को मुगल, मिशनरी व अंग्रेज समाप्त नहीं कर पाए, कुछ राजनेता उसका दिवा स्वप्न देख रहे हैं। स्मरण रहे कि जो सनातन को नष्ट करने की बात करता है वह स्वयं नष्ट हो जाता है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में ईश्वर को देखने वाला धर्म, इससे जो समता मूलक समाज बनेगा और इससे जो सामाजिक न्याय प्राप्त होगा वह अन्यंत्र कहां से प्राप्त हो सकता है। द्रविड़ संस्कृति भी तो भारत में पैदा हुई आध्यात्मिक धाराओं में से एक अनोखी और सुंदर छवि वाली है।