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असम सरकार के मुस्लिम शादी और तलाक के रजिस्ट्रेशन कानून को विहिप ने सराहा, पूरे देश में लागू करने की मांग की

असम सरकार द्वारा राज्य में लागू किए गए मुस्लिम शादी और तलाक के पंजीकरण के कानून को विश्व हिंदू परिषद ने सही बताया है। साथ ही इस कानून को अन्य राज्यों से भी लागू करने की मांग की है। इसके अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने इस कानून का विरोध किया है। उन्होंने इसे संविधान के खिलाफ बताया है।

By Nimish Hemant Edited By: Geetarjun Updated: Sat, 31 Aug 2024 09:29 PM (IST)
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असम सरकार के मुस्लिम शादी और तलाक के रजिस्ट्रेशन कानून को विहिप ने सराहा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। असम सरकार के निर्णय और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा के बयान सुर्खियों में हैं। राज्य सरकार के असम में मुस्लिम शादी और तलाक के पंजीकरण के कानून को जहां विहिप ने ऐतिहासिक बताते हुए इसे पूरे देश में लागू करने की मांग की है। वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मुख्यमंत्री के बयानों को विभाजनकारी बताते हुए गृहमंत्री अमित शाह, देश के मुख्य न्यायाधीश और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। असम विधानसभा में दो दिन पहले यह कानून पारित हुआ है।

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने जारी बयान में कहा कि उक्त कानून से अब राज्य की बेटियों को काजी और शारीरिक उत्पीड़न करने वाले लोगों से मुक्ति मिलेगी। बाल विवाह और काजी सिस्टम खत्म होने पर महिला अत्याचारों पर रोक और नारी सशक्तिकरण को बल मिलेगा।

मौलाना महमूद मदनी, विनोद बंसल

अन्य राज्य की सरकारें भी दिलाएं मुक्ति

विहिप प्रवक्ता ने कहा कि शेष राज्य सरकारों को भी नारी कल्याणकारी उस पहल का अनुसरण कर बाल विवाह, बहु विवाह, बहु संतान व हलाला जैसी नारी दोहनकारी कुप्रथाओं पर अंकुश लगा कर सभी नारियों को दत्तक, तलाक, भरण पोषण, संपत्ति में हिस्सा तथा अलग पहनावे से मुक्ति दिलानी चाहिए।

कानून के गिनाए फायदे

उन्होंने कहा कि बड़ी बात यह भी है कि उक्त कानून के माध्यम से बहुविवाह पर रोक लगाने, विवाहित महिलाओं को वैवाहिक घर में रहने, भरण पोषण आदि के अपने अधिकार का दावा करने तथा विधवाओं को अपने पति की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार का अधिकार के साथ अन्य लाभ व विशेष अधिकारों के लिए दावा करने में भी सहायता मिलेगी। कहते

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने किया विरोध

उधर, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने लिखे पत्र में कहा है कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा के हालिया मुस्लिम विरोधी बयान न सिर्फ गहरी चिंता पैदा करने वाले है, बल्कि संवैधानिक और नैतिक सिद्धांतों के साथ धोखेबाजी है। पत्र में उन्होंने असम के मुख्यमंत्री के लगातार असंवैधानिक बयानों की सूची संलग्न की है और उनसे तुरंत कार्रवाई की मांग की गई है।

सीजेआई से संज्ञान लेने का किया आग्रह

उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से इस पर स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह भी किया है। मौलाना मदनी ने जोर देकर कहा कि संविधान के तहत मुख्यमंत्री के पद की मांग है कि वह सभी लोगों के साथ न्याय और निष्पक्षता के साथ पेश आएं। लेकिन मुख्यमंत्री इस बुनियादी सिद्धांत की लगातार अनदेखी कर रहे हैं।

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विधानसभा में उन्होंने कहा कि "मैं पक्षपाती रहूंगा, यही मेरा सिद्धांत है" और आगे कहा कि "मैं मियां मुसलमानों को असम पर कब्जा नहीं करने दूंगा।" ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब ऊपरी असम में 30 से अधिक उपद्रवी समूहों ने बंगाली मुसलमानों को क्षेत्र खाली करने की धमकी दी है।