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100 Years of Delhi University: वेंकैया नायडू बोले भारत की ज्ञान परंपरा का रहा है समृद्ध इतिहास, नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने बनाया हमें विश्व गुरू

100 Years of Delhi University पूर्व में भारत की ज्ञान परंपरा का समृद्ध इतिहास रहा है। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने पूरे विश्व में भारत को विश्व गुरु बनाया। उन्होंने कहा कि हर इंसान को बोलचाल के लिए मात्र भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।

By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Sun, 01 May 2022 12:34 PM (IST)
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100 Years of Delhi University: समारोह में विश्वविद्यालय पर 100 सेकंड की डाक्यूमेंट्री भी दिखायी जाएगी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में आयोजित शताब्दी समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पहुंचे। उन्होंने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। डीयू के शताब्दी समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि देश में ऐसे चुनिंदा शिक्षा संस्थान हैं जिनकी आयु 100 वर्ष है। उन्हीं में से एक है दिल्ली विश्वविद्यालय। देश की आजादी में भी यह भागीदार रहा है। भगत सिंह भी यहां रात बिताए हैं। सेंट स्टीफंस महात्मा गांधी के आगमन का साक्षी रहा है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने पर मैं सभी को बधाई देता हूं। आज डीयू के लिए ऐतिहासिक दिन है। विश्वविद्यालय के 100 वर्ष की यात्रा में जिन लोगों ने योगदान दिया है मैं उन सभी का अभिनंदन करता हूं। हम सभी जानते हैं कि पूर्व में भारत की ज्ञान परंपरा का समृद्ध इतिहास रहा है। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने पूरे विश्व में भारत को विश्व गुरु बनाया। उन्होंने कहा कि हर इंसान को बोलचाल के लिए मात्र भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।

आजकल लोगों का अंग्रेजी के प्रति रुझान बढ़ रहा है। मैं अंग्रेजी का विरोध नहीं कर रहा लेकिन अपनी मात्र भाषा का ज्ञान होने से संस्कार आते हैं। संस्कार और संस्कृति जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं। उज्ज्वल भविष्य के लिए संस्कृति, संस्कार और मात्र भाषा का ज्ञान आवश्यक है। मैं छात्रों से कहना चाहता हूं पढ़ें, सीखें, कमाएं और मातृभूमि को लौटाएं। देश को आगे बढ़ाने में अपना पूरीा योगदान दें। इसके साथ ही परफार्म, रिफार्म और परफार्म कर छात्र अपनी प्रतिभा का परिचय दें। वहीं, इससे पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि आने वाले 25 वर्ष जब देश अपनी स्वतंत्रता के 100 साल पूरे कर रहा होगा तब डीयू कहां खड़ा होगा इसके लिए अभी से सभी क्षेत्रों में विश्वविद्यालय ने काम शुरू कर दिया है।

वहीं, कामन यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) को क्रियान्वित कर डीयू ने एक बड़ा उदाहरण पेश किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय देश की समस्याओं के समाधान का इनक्यूबेटर बन सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक छात्र में रचनात्मकता होती है। उन्होंने कहा कि अभी मुझे पता चला कि डीयू की शताब्दी वर्ष में लांच किए जा रहे 100 रुपये के सिक्के का डिजाइन गार्गी कालेज की छात्रा ने तैयार किया है।

ये बड़े हर्ष का विषय है। डीयू ने नई शिक्षा नीति की ओर भी कदम बढ़ा दिया है इसके माध्यम से हमें नौकरी ढूढने वाला नहीं नौकरी पैदा करने वाला बनना है। भारत के गरीब लोगों की जिंदगी के लिए हम एक आदर्श माडल बनाने में हम सफल हों। इसके लिए डीयू कार्य करे। दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने पर मैं सभी को बधाई देता हूं।